हाय राम कुड़ियों  को डालें दाना

हाय राम कुड़ियों  को डालें दाना

स्वतंत्र प्रभात

मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव का प्रचार अभियान शुरू हो चुका है और शुरुवात हुई है महिला मतदाताओं को दाना डालने से .सत्तारूढ़ भाजपा ने महिलाओं को अपनी बहन बनाकर प्रतिमाह एक हजार रूपये देने का वादा किया तो कांग्रेस ने इस राशि को बढ़कर डेढ़ हजार करने का ऐलान कर दिया ,लेकिन एक पार्टी सत्ता में रहते हुए ये काम कर रही है और दूसरी पार्टी ने सत्ता में आने के बाद ये काम करने का वादा किया है .

मध्य प्रदेश में महिला मतदाताओं की संख्या ढाई करोड़ से ज्यादा है .इसमें लगातार इजाफा हो रहा है ,इसलिए हर राजनीतिक दल इन महिला मतदाताओं को 'चुनावी कुड़ियां ' समझकर लुभाने में लगा है .मुझे लगता है कि तमाम राजनितिक दल देव् कोहली के गीत ' हाय राम कुड़ियों को डाले दाना 'पर काम करते हुए रोजाना नए-नए हथकंडे अपना रहे हैं. कफलीई साहब ने ये गाना 'हम आपके हैं कौन फिल्म के लिए लिखा था .स्वर्गीय लता मंगेशकर   द्वारा स्वरबद्ध किया गया ये गाना संगीतकार राम-लक्ष्मण ने तैयार कराया था .

चूंकि मध्यप्रदेश में महिलाओं की आबादी करीब 48 फीसदी है और मतदाता सोची  में करीब 7 लाख से ज्यादा महिलाएं बढ़ी हैं इसलिए सबके लिए ये महत्वपूर्ण हैं. सबसे बड़ी बात ये है कि वोटिंग प्रतिशत में महिलाओं का योगदान 70 फीसदी होता है.यानी यदि महिला मतदाता अपना मन बना लें तो किसी की भी राजनितिक दल को सत्ता सिंघासन पर बैठा और उतार सकतीं हैं. भाजपा ने इस हकीकत का आकलन करते हुए सबसे पहले महिला मतदाओं को लुभाने का अभियान शुरू किया .महिला मतदाताओं को दाना डालते हुए मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह ने 5 मार्च को 'लाड़ली बहना योजना' शुरू कर जुड़वां बहनों को  प्रति माह एक लाख रूपये देने की घोषणा की , फिर महिला दिवस के मौके पर महिला कर्मचारियों को 7 दिन का अतिरिक्त आकस्मिक अवकाश देने का ऐलान कर दिया .

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महिला मतदाताओं को साधने के लिए बारहवीं कक्षा में अव्वल आने वाली लड़कियों को मुफ्त स्कूटी देने कि घोषणा भी चुनाव अभियान का हिस्सा है. शिवराज महिलाओं से सामूहिक दुष्कर्म और बच्चियों से दुष्कर्म के मामले में फांसी की सजा देने का प्रावधान पहले ही कर चुके हैं। सीएम शिवराज महिला सुरक्षा, महिलाओं को सामाजिक-आर्थिक रूप से मजबूत करने पर फोकस कर रहे हैं। राज्य में आजीविका मिशन के तहत महिलाओं के स्व सहायता समूह से जोड़कर आर्थिक रूप से सशक्त बनाने पर फोकस किया जा रहा है।

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भाजपा के इस अभियान को पंचर करने के लिए कांग्रेस एक  कदम और आगे बढ़ गयी. प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ऐलान कर दिया कि यदि प्रदेश में फिर से कांग्रेस की सरकार बनी तो महिलाओं को एक के बजाय डेढ़ हजार रूपये दिए जायेंगे.कांग्र्रेस ने रसोई गैस सिलेंडर पांच सौ रूपये में देने का भी ऐलान कर दिया. कमलनाथ की भाषण शैली भी इस बार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की शैली पर भारी पड़ती नजर आ रही है .क्योंकि दोनों में इस बार नाटकीयता को लेकर प्रतिस्पर्द्धा है .

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मध्यप्रदेश में 2018  के विधानसभा चुनाव में भाजपा को सत्ताच्युत होना पड़ा था. कांग्रेस की सरकार बनी थी ,जनता ने बनाई थी लेकिन कांग्रेस के ही नेता रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपनी निजी महत्वाकांक्षाओं के चलते कांग्रेस की निर्वाचित सरकार को अपदस्थ करते हुए भाजपा का दामन थाम लिया था.इसी वजह से इस बार कांग्रेस की दशा घायल शेर जैसी है .कनग्रेस पहले से ज्यादा आक्रामक होकर चुनाव मैदान में उतरती दिखाई दे रही है. प्रदेश का कर्मचारी वर्ग भी इस बार सत्तारूढ़ भाजपा से नाराज है. पुरानी पेंशन योजना को लेकर टाल-मटोल भी इस नाराजगी की एक वजह है .इसलिए भाजपा घिरती नजर आ रही है .

सब जानते हैं कि महिला मतदाताओं को अपने पाले में करने में लगे कमलनाथ को घेरने के लिए इस बार भाजपा पूरी ताकत लगा रही है. केंद्रीय गृह मंत्री अमितशाह के छिंदवाड़ा दौरे के साथ ही ये घेराबंदी तेज हो गयी है .भाजपा को मालूम है कि इस बार चुनावी संग्राम ' महाराज बनाम शिवराज ' नहीं बल्कि ' शिवराज बनाम कमलनाथ' होने वाला है .पार्टी ने अघोषित रूप से कमलनाथ को ही भावी मुख्य्मंत्री के रूप में प्रस्तुत किया है .पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह मुख्यमंत्री पद की होड़ से बाहर खड़े नजर आ रहे हैं .

आपको याद होगा कि मध्य प्रदेश में विधान सभा की 230 सीट है। राज्य से भारत की संसद को 40 सदस्य भेजे जाते है: जिनमे 29 लोकसभा और 11 राज्यसभा के लिएके लिए चुने जाते हैं। दिसम्बर 2018 में राज्य के चुनावों में कांग्रेस ने 114 सीटों में जीत हासिल कर अन्य पार्टीयो की सहायता से 121 सीटों का पूर्ण बहुमत साबित किया, बीजेपी 109 सीटों पर जीत हासिल कर विपक्ष पर जा बैठी। 2 सीटों के साथ बहुजन समाज पार्टी, राज्य में तीसरे स्थान पर थी,समाजवादी पार्टी ने 1 सीट पर जीत हासिल की वही 4 सीटें निर्दलीय प्रत्याशियों ने जीतीं थीं कंतु दल बदल ने इस गणित को छिनभिन्न कर दिया. अब बसपाई और समाजवादी सब भाजपा के साथ खड़े हुए हैं .

इस बार विधानसभा चुनाव में ' आम आदमी पार्टी भी अपनी किस्मत आजमाने के लिए उतरने को आतुर है. ' आप' के सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल प्रदेश में सक्रिय हो चुके हैं.उन्होंने सभी 230  सीटों पर विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान किया है .हालांकि मध्यप्रदेश में भाजपा और कांग्रेस के अलावा कभी किसी तीसरे राजनीतिक दल को सत्ता के लायक माना और समझा नहीं है ,फिर भी आप के हौसले देखते ही बनते हैं. आम धारणा है कि सत्ताच्युत होने से घबड़ाई भाजपा ही आप को विधानसभा चुनाव में भाग लेने के लिए आमंत्रित कर रही है ताकि कांग्रेस की स्थिति कमजोर हो सके .

बहरहाल विधानसभा चुनाव में छह-सात महीने बचे हैं. तब तक देखना होगा कि मतदाता रूपी चिड़ियों कहें या कुड़ियां कहें को कौन दल,कितना दाना डालकर अपनी स्थिति मजबूत बना सकता है. लोकतंत्र की सबसे बड़ी कमजोरी यही है कि चुनाव मतदाओं को प्रलोभन देकर लड़े और जीते जाते हैं .इन प्रलोभनों में ' मुफ्त का माल ' सबसे बड़ा दाना माना जाता है .दाना चिड़ियों को ही नहीं मछलियों को फंसाने के लिए भी डाला जाता है .सवाल ये है कि क्या मतदाता ,खासकर महिला मतदाता राजनीतिक शिकारियों के इस दांव को समझ पाएंगी या उसमें फणस जाएंगी ?

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