शासनादेश के आदेश के मौखाल उड़ाते हुये उन्नाव जनपद मे बगैर नवीकरण के खुलेआम नर्सिंग होम्स
कार्रवाई के बाद भी संचालित जिले के अवैध नर्सिंग होम्स
On
स्वतंत्र प्रभात
उन्नाव देश के अन्य राज्यों की तरह उत्तर प्रदेश में नर्सिंग होम्स नवीकरण कराना बेहद जरूरी होता है। बिना पंजीकरण के संचालित नर्सिंग होम्स पर कानूनी कार्रवाही का खतरा हमेशा मंडराता रहता है। क्योंकि इस प्रकार के नर्सिंग होम पूरी तरह गैरकानूनी मान जाते हैं।गौरतलब हो कि उत्तर प्रदेश में अभी तक जितने भी नर्सिंग होम्स चल रहे हैं, उनकी वैधता 31 दिसंबर 2022 तक ही सीमित थी। शासन से आदेश था कि 01 जनवरी 2023 से प्रदेश के सभी नर्सिंग होम्स को नये सिरे से पंजीकरण कराना होगा।
जो नर्सिंग होम्स अपना पंजीकरण नहीं करायेंगें, उनके ऊपर छापा मार कानूनी कार्रवाही की जायेगी शासनादेश के आदेश के मौखाल उड़ाते हुये उन्नाव जनपद मे बगैर नवीकरण के खुलेआम नर्सिंग होम्स चलाये जा रहे है !गौरतलब हो कि जिले में सालों से नियमों को ताक पर रखकर नर्सिंग होम खुलेआम संचालित हैं। इन अस्पतालों में आग से बचाव के इंतजाम हैं भी या नहीं, इस बारे में किसी को जानकारी नहीं है।
वजह है, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की लापरवाही। अधिकारियों ने इन अस्पतालों में आग से बचाव के इंतजाम जांच अग्निशमन विभाग से करवाने के बजाय सिर्फ एक शपथ-पत्र के आधार पर अस्पताल चलाने की अनुमति दे डाली। अग्निशमन विभाग ने स्वास्थ्य विभाग की इस कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए जवाब मांगी थी लेकिन स्वास्थ्य विभाग की उदासीनता से अवैध नर्सिंग होम्स के साथ सांठगांठ नज़र आ रहा है।
एक आंकड़े के मुताबिक, जिले में छोटे-बड़े करीब 200 नर्सिंग होम और निजी अस्पताल चल रहे हैं, लेकिन सीएमओ दफ्तर में सिर्फ 125 रजिस्टर्ड हैं। जाहिर है, बाकी अस्पताल अवैध तरीके से चल रहे हैं। ऐसा नहीं है कि इनके बारे में सीएमओ को जानकारी नही है।
इसके बावजूद धड़ल्ले से चल रहे इन अस्पतालों के खिलाफ स्वास्थ्य विभाग कोई कार्रवाई नहीं कर रहा।बताते चले कि बीते सत्र यूपी के उन्नाव जिले में बिना मानक के चल रहे प्राइवेट अस्पताल और नर्सिंग होम का लाइसेंस रद्द कर दिया गया है । जबकि स्वास्थ्य विभाग की तरफ से अस्पतालों को पहले ही मानक पूरा करने की नोटिस जारी की गई थी उसके बाद अस्पताल प्रशासन की तरफ से न ही नोटिस को गंभीरता से लिया गया और न ही मानक को पूरा किया गया। जिसके तहत सीएमओ ने जिले में संचालित 21 अस्पतालों के लाइसेंस रद्द कर दिया गया है।
बिना एनओसी नहीं चल सकता अस्पताल
मुख्य अग्निशमन अधिकारी रमेश तिवारी ने बताया कि निर्माण की खामियां छुपाने और फायर सेफ्टी को दरकिनार करने के लिए हॉस्पिटल और नर्सिंग होम वाले भवनों की एनओसी फायर विभाग से नहीं ली जा रही। शपथ पत्र लेकर निर्माण या हॉस्पिटल के संचालन की अनुमति अगर सीएमओ कार्यालय दे रहा है तो यह गैरकानूनी है।
सीएमओ डॉ. सत्य प्रकाश के मुताबिक, साल 2022 तक पंजीकृत अस्पतालों की फायर एनओसी लेकर ही रजिस्ट्रेशन किया जाता था, लेकिन इसके बाद से सिर्फ शपथ पत्र लेकर ही पंजीकरण किया जा रहा है। जिले में सिर्फ 125 अस्पताल ऐसे हैं, जो साल 2022 तक पंजीकृत थे। सीएमओ का दावा है कि 2022 तक के कई अस्पताल या तो बंद हो चुके हैं या उनके विस्तार के बाद एनओसी नहीं लिया गया।
सीएमओ डा. सत्य प्रकाश ने बताया कि मानक न होने पर नर्सिंग होम्स पर कार्रवाई की गयी है जब तक एनओसी प्राप्त नही होती नर्सिंग होम्स नही खोलने का आदेश दिया!
About The Author
स्वतंत्र प्रभात मीडिया परिवार को आपके सहयोग की आवश्यकता है ।
Related Posts
राष्ट्रीय हिंदी दैनिक स्वतंत्र प्रभात ऑनलाइन अख़बार
13 Dec 2025
12 Dec 2025
12 Dec 2025
Post Comment
आपका शहर
13 Dec 2025 20:13:10
Special Train: सर्दियों के मौसम में फ्लाइट कैंसिल होने और यात्रियों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी को देखते हुए भारतीय...
अंतर्राष्ट्रीय
28 Nov 2025 18:35:50
International Desk तिब्बती बौद्ध समुदाय की स्वतंत्रता और दलाई लामा के उत्तराधिकार पर चीन के कथित हस्तक्षेप के बढ़ते विवाद...

Comment List