उमाशंकर दीक्षित जिला अस्पताल में खुलेआम और बेखौफ होकर गरीबों की काटी जा रही जेब 

लगातार ख़बर प्रकाशित होने के बाद भी आखिर क्यों नहीं होती कार्यवाही 

उमाशंकर दीक्षित जिला अस्पताल में खुलेआम और बेखौफ होकर गरीबों की काटी जा रही जेब 

मामला सी एम एस के संज्ञान में जाने के बाद भी नहीं लगा बाहरी दवाओं पर प्रतिबंध, बताते चलें की ट्रामा में बैठने वाले डॉ विकास सचान और डॉ मनोज ऑर्थो 100 फीसदी दवाएं बाहर से ही लिखते हैं

स्वतंत्र प्रभात
 
उन्नाव गरीब इस आस में सरकारी अस्पताल पहुंचते हैं कि एक रुपये की पर्ची पर उपचार के साथ दवा मुफ्त मिलेगी लेकिन उमाशंकर दीक्षित जिला अस्पताल में खुलेआम और बेखौफ होकर गरीबों की जेब काटी जा रही है। चिकित्सक बाहरी मेडिकल स्टोर्स पर मिलने वाली ब्रांडेड और महंगी दवा का पर्चा मरीजों का थमा रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक ने यूपी के सरकारी अस्पतालों को हिदायत दी है कि बाहरी दवा न लिखी जाए लेकिन किसी पर कोई असर नहीं हुआ है। उमाशंकर दीक्षित जिला अस्पताल में इलाज कराने जा रहे गरीबों को सरकारी पर्चे पर बाहर की दवाएं प्राईवेट अस्पतालों से भी महंगी पड़ रही हैं। इससे सरकार की बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था के दावे हवाहवाई बन गए हैं।
 
जिला अस्पताल में तैनात डॉक्टर तुषार चौरसिया डॉक्टर दिलीप अग्रवाल डॉक्टर रमन डॉक्टर एस के पांडे डॉक्टर कौशलेंद्र कुमार डॉक्टर विकास सचान डॉक्टर मनोज ऑर्थो ने एक पर्चे पर पांच से दस दवाएं बाहर की लिखी हैं। इसे मरीजों को मजबूरी में खरीदना पड़ रहा है। शुक्रवार को एक के बाद एक मरीजों और तीमारदारों को हाथों में पर्चा लटकाए जिला अस्पताल से निकलकर मेडिकल स्टोरों पर जाते देखा गया।
 
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ऐसे मरीजों से जब बात की गई तो उसने बताया कि डॉक्टर कौशलेंद्र ने अस्पताल में दवाएं न होने की बात कहकर बाहर की दवाएं लिखी हैं। इस पर्चे पर कुल 7 दवाएं लिखी हुई थीं और सातों दवाएं बाहर की थीं। इस पर्चे से दो ही बात स्पष्ट होती है कि या तो जिला अस्पताल में कोई दवा है ही नहीं। तभी तो डाक्टर कौशलेंद्र कुमार 100 फीसदी दवाएं बाहर की लिख रहे हैं या फिर अस्पताल में दवाओं के उपलब्ध होने के बावजूद यह सभी डॉक्टर अपने निजी स्वार्थ के लिए बाहर की दवाएं लिख रहे हैं।
 
कैसे निबटेगा बड़ी बिमारियों से स्वास्थ विभाग
 
ऐसे में यदि जिला अस्पताल के डाक्टर साहब बाहर से दवायें लिखेगें तो फिर यूपी सरकार के स्वास्थ्य व्यवस्था के दावे झूठे साबित हो रहे हैं। ऐसे में सवाल यह भी है कि पूरे प्रदेश में रहे डेंगू जैसी बड़ी बिमारियों से जिले का स्वास्थ्य विभाग कैसे निपटेगा?
 
पर्याप्त मात्रा में दवाओं का है स्टाक
 
सीएमएस डाक्टर सुनील कुमार श्रीवास्तव से इस बाबत पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि ऐसा मामला मेरी जानकारी मे नही है अगर कोई डाक्टर बाहर से दवा लिख रहा है तो जांच कराकर कार्रवाई की जायेगी उन्होंने बताया कि हमारे पास दवाओं का पर्याप्त मात्रा मे स्टाक उपलब्ध है!

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