परजीवी पर नियंत्रण से बढ़ सकता है दुग्ध उत्पादन -कुलपति
स्वतंत्र प्रभात
कार्यक्रम को बतौर मुख्यअतिथि संबोधित करते हुए कुलपति डा. बिजेंद्र सिंह ने कहा कि परजीवी पर नियंत्रण करके दुग्ध उत्पादन की क्षमता को बढ़ाया जा सकता है और पशुपालक अपनी आय को दोगुनी कर सकते हैं। उन्होंने कहा की पशुओं की रक्त जांच के लिए आधुनिक उपकरण महाविद्यालय के लैब में मौजूद है। सही समय पर जांच करके पशुओं को किसी भी प्रकार की बीमारी या होने वाले खतरे से बचाया जा सकता है। पशुओं को बीमारी से बचाव के लिए सही समय पर उपचार जरूरी है।
प्रमुख वैज्ञानिक डा. रजत गर्ग ने बताया कि यकृत कृमि (लीवर फ्लूक) गाय, भैंस, भेंड़ बकरियों में होता है। इस बीमारी में पशुओं में भूख लगना कम हो जाता है। पशुओं में कब्जियत-दस्त व घेंघा फूलने लगता है। इसके उपचार के लिए ऑक्सीक्लोजाननाइड 10 से 15 मिग्रा, प्रति किग्रा वाले पशुओं को दिया जाता है। इसी प्रकार चेरा रोग, कृमि रोग, हुक कृमि, थेलेरियोसिस, बेबेसियोसिस तथा खाज या स्कैबीज आदि परजीवी रोग होते हैं। इन बीमारियों का उचित समय पर इलाज बहुत जरूरी है। इसी क्रम में प्रमुख वैज्ञानिक डा. हीराराम व डा. राजेंद्र कुमार ने नवीनतम तकनीकियों के विषय में जानकारी दी।
कार्यक्रम के मुख्य आयोजन सचिव डा. अमित कुमार सिंह रहे। कार्यक्रम का संचालन डा. वीके पाल व धन्यवाद ज्ञापन डा. आरपी दिवाकर ने किया। इस मौके पर डा. जसवंत सिंह, डा. पीएस प्रमाणिक, डा. ए.के गंगवार, डा. आरके जोशी, डा. डी.नियोगी सहित अन्य छात्र-छात्राएं मौके पर मौजूद रहे।

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