रडार पर हैं आदतन आरटीआई डालने वाले एक्टिविस्ट: राज्य सूचना आयुक्त
अगले वर्ष से अब जिले में एकमुश्त होगी आरटीआई मामलों की सुनवाई
भ्रष्टाचार पर अंकुश व इसका खात्मा करना सूचना अधिकार का मकसद
पडरौना से राघवेंद्र मल्ल की खास रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयुक्त सुभाष चंद्र सिंह ने कहा नाहक में दूसरों को परेशान करने की नियत से बार-बार आरटीआई दाखिल करने वाले एक्टिविस्ट अब रडार पर होंगे। ऐसे लोग अब बख्शे नहीं जायेंगे। सूचना आयुक्त ने ऐसी गतिविधियों का संज्ञान लेकर अलर्ट जारी किया है।
श्री सिंह शनिवार को कलेक्टेट सभागार में कुशीनगर व देवरिया के राजस्व विभाग, स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा विभाग के जन सूचना अधिकारियों, सहायक जन सूचना अधिकारियों व संबंधित पटल सहायगों के साथ समीक्षा बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। राज्य सूचना आयुक्त ने कहा कि थोक में आरटीआई की सुनवाई अगले वर्ष से अब जिले में हुआ करेगी। कहा कि आरटीआई का उद्देश्य पारदर्शिता लाकर भ्रष्टाचार को समाप्त करना है। उन्होंने आदतन आरटीआई एक्टिविस्ट की सूची भी बनाने के लिए निर्देशित किया। इस बात पर जोर देते हुए कहा कि आरटीआई एक्ट के अधिनियम के उद्देश्य का पालन होना चाहिए। समाज, समूह संगठन और प्रशासन के स्तर पर पारदर्शिता हो। उचित आरटीआई की उपेक्षा ना की जाए। उचित आरटीआई का गुणवत्तापूर्ण निस्तारण हो। उन्होंने बताया कि थोक के भाव में लगाए गए आरटीआई का एकमुश्त निस्तारण होगा। सूचना आयुक्त ने अधिकारियों को आरटीआई के संदर्भ में समय से जानकारी देने को कहा तथा आपत्तियों का निस्तारण भी समय से करने के लिए निर्देशित किया।
उन्होंने अधिकारियों को यह भी बताया कि आरटीआई को कैसे अच्छे एवं सरल तरीके से निपटाया जाए। श्री सिंह ने आरटीआई को एक सतत और निरंतर चलने वाली प्रक्रिया बताई तथा अधिकारियों को अपने अधिकारों के प्रति संवेदनशील होने को कहा। अधिकारियों को बताया कि आरटीआई कोई बोझ नहीं है, बल्कि यह एक दायित्व है। आरटीआई संबंधी सवालों का जवाब देना आपका कर्तव्य बनता है यह आपके नौकरी का हिस्सा है। उन्होनें कहा कि भाव और भावना से सद्भावनापूर्ण तरीके से कार्य करें। उपस्थित अधिकारियों को संबोधित करते हुए बताया कि कानून का पारदर्शिता से शत-प्रतिशत पालन करना हमारी जिम्मेदारी और दायित्व बनता है। प्रथम अपीलीय अधिकारी को भी उन्होनें मामलों के समयबद्ध निपटारा करने को निर्देशित किया। बताया कि आरटीआई का जवाब देना भी एक कर्तव्य है, इस बात को मान लेंगे तो गुणवत्तापूर्ण निस्तारण होगा। पुरानी व अनुपलब्ध सूचना के जवाब में क्या किया जाए, व्यक्तिगत सूचनाएं को जनहित का संदर्भ बताते हुए मांगी गई सूचनाओं पर क्या किया जाये। बताया कि सरकार से वित्त पोषित और मान्यता प्राप्त संस्थाओं से मांगी गई सूचनाओं के संदर्भ में जितनी सूचनाओं का संबंध सरकार से है उतनी ही सूचना प्रदान की जाएगी। व्यक्तिगत मांगी गई सूचनाओं के बारे में भी कई शंकाओं का सूचना आयुक्त ने समाधान किया। उन्होनें कहा कि आदतन आरटीआई एक्टिविस्ट को चिन्हित करें।
अंत में अपर जिलाधिकारी देवी दयाल वर्मा ने राज्य सूचना आयुक्त का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए भरोसा दिलाया कि आने वाले दिनों में सभी लंबित मामलों का गुणवत्तापूर्ण व ससमय नस्तारण किया जाएगा। इस अवसर पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी सुरेश पटारिया, जिला सैनिक कल्याण पुनर्वास अधिकारी आलोक सक्सेना, उप जिलाधिकारी सीएल सोनकर, बेसिक शिक्षा अधिकारी कमलेन्द्र कुशवाहा, जिला विद्यालय निरीक्षक रविंद्र सिंह, देवरिया के अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व नागेंद्र सिंह, उपजिलाधिकारी (न्यायिक) राजपति वर्मा, एओ सुशील कुमार श्रीवास्तव, सुमंत यादव व सभी संबंधित अधिकारीगण मौजूद रहे।
1038 मामलों की हुई समीक्षा
कुशीनगर से शिक्षा संबंधी 95 मामले, राजस्व संबंधी 116 व चिकित्सा संबंधी 22 मामले तथा जनपद देवरिया से शिक्षा संबंधी 302, चिकित्सा संबंधी 88 तथा राजस्व के 415 मामलों की समीक्षा की गयी।
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