एक वायरस सब पर भारी जनजीवन अस्तव्यस्त
●एक वायरस से थम गया पूरा जीवन मानव इतिहास में आजतक एक साथ इतना बड़ा संकट उत्पन्न नहीं हुआ था । इतिहास की दृष्टि में एक नज़र डालें तो जब भी इतनी बड़ी महामारी या कोई प्राकृतिक आपदा मानव के सामने आई हो तो उससे कोई एक देश या प्रान्त ही चपेट में आ जाते
●एक वायरस से थम गया पूरा जीवन मानव इतिहास में आजतक एक साथ इतना बड़ा संकट उत्पन्न नहीं हुआ था । इतिहास की दृष्टि में एक नज़र डालें तो जब भी इतनी बड़ी महामारी या कोई प्राकृतिक आपदा मानव के सामने आई हो तो उससे कोई एक देश या प्रान्त ही चपेट में आ जाते थे । परन्तु वर्तमान में जो महामारी का रुप लिए कोरोना वायरस ने जो कोहराम मचाया हुआ है उसने एक प्रान्त को नहीं बल्कि पूरी पृथ्वी अर्थात विश्व को हिलाकर रखा हुआ है ।
● एक वायरस क्या से क्या करवा सकता है कोरोना वायरस के चलते देश ,विदेश के सभी स्थान बन्द हो गए हैं । एक वायरस मनुष्यों से क्या क्या करवा गया । देश लॉकडाउन कर दिया , सड़के सील कर दी है , बड़े बड़े उद्योग कारखाने बन्द पड़े हैं , सहरदें सील कर दी है, शहरों की तमाम गलियां सुनसान हो गयी है । बाजार शहर खाली हो गए हैं ।ऐसा प्रतीत होता है कि प्रकृति के साथ विगत कुछ वर्षों में अंधाधुंध कटाव का नुकसान समस्त मानव जाति भुगत रही है ।
● महामारी का बढ़ता प्रभाव आए दिन मृत्युदर बढ़ती ही जा रही है । विदेशों की खबर देखने को मिलती हैं वहां एक दिन में हज़ारों काल के ग्रास बनते जा रहे हैं वहां परिस्थितियां इतनी बदतर हो चुकी है कि लाशों के ढेर लगे हुए हैं पर उठाने के लिए आदमी नहीं मिल रहे । मानव से अब जानवरों में भी फैल चुका है । अगर यही हाल रहा तो आने वाले कुछ हप्ते बहुत ही संघर्षपूर्ण व भारी संकट लेकर आ सकते हैं ।
● न छिपाए इस भयंकर वायरस को अगर किसी इंसान में इस वायरस के लक्षण के मुताबिक स्थितियां पनप रही है तो छुपाने के बजाय किसी चिकित्सक की सलाह ले और अपना परीक्षण करवाए । अगर यह छुपाया तो हो सकता है आपके सम्पर्क में आने वाले आपके परिवार रिश्तेदार समाज को भी यह फैल सकता है । सावधानियां बरते सुरक्षित रहें एवं औरों को भी सुरक्षित व सर्तक रहने की प्रेरणा दें। जिसने भी इसकी अवज्ञा की उसका नतीजा सबके सामने है । आंकड़ा कहां से कहां पहुंच चुका है ।
● एक नज़र पौराणिक घटना पर द्वापर युग के उत्तरार्द्ध कालीन अवधि में जब महाभयंकर महाभारत का महायुद्ध हो रहा था तो अश्वथामा ने अपने पिता गुरु द्रोणाचार्य की मृत्यु के प्रतिशोध में त्रिलोकी का अंतिम अस्त्र नारायण अस्त्र पांडवों पर चलाया था । जिसका तोड़ समग्र सृष्टि में किसी के पास भी नहीं था । भगवान श्रीकृष्ण के परामर्शानुसार सिर्फ प्रणाम करने से वह शांत हो गया । इससे सिख मिलती है कि जब हर चिकित्सक वैज्ञानिक एवं देश के माननीय प्रधानमंत्री भी काफी दिनों से यह सन्देश देते आ रहे हैं कि आप सब घर पर ही रहे । घर से बाहर न निकले । जिसके फलस्वरूप हम सब इस महामारी ओर विजय हासिल कर सकेंगे। आप सब से भी मेरी यह गिजरीश है कि सुरक्षित रहें घर पर ही रहे । जब तक हालात काबू में न आ जाते ।
राज शर्मा (संस्कृति संरक्षक)
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