संजीव-नी। 

कविता

संजीव-नी। 

मुझे कोई गम नहीं रहा संजीव। 
 
आरजू आखरी सांस तलक नेकी की शर्त ही थी हर लम्हा पूरा जीने की। 
 
आबरू खुद बचा ली इस तूफ़ां ने 
मेरी जिंदगी के टूटे हुए सकिने की। 
 
दिल को तस्कीन सी मिली है जाना
बात जब-जब भी तेरी किसी ने की। 
 
होश बन जाए ना आजाब कहीं
आरजू मेरी मय में गुम होने की। 
 
सुना है फ़ाका मस्ती में इश्क बेमानी है
दिल की बेबसी है तन्हाइ में जीने की। 
 
मुझे कभी कोई गम नही रहा संजीव कीमत कम यूं मिली मेरे पसीने की। 
 
सकीना-चैन,सुकून। तस्किन-हौसला,
आजाब- पीड़ा,दु:ख . 
 
संजीव ठाकुर

About The Author

Post Comment

Comment List

आपका शहर

उद्योग के  क्षेत्र में,, इफ़को की उपस्थित ने किसानो की आशातीत मदद की। जीएसटी आयुक्त विजय कुमार। उद्योग के  क्षेत्र में,, इफ़को की उपस्थित ने किसानो की आशातीत मदद की। जीएसटी आयुक्त विजय कुमार।
स्वतंत्र प्रभात। ब्यूरो प्रयागराज।दया शंकर त्रिपाठी        आयुक्त (केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर), प्रयागराज कमिश्नरेट,  विजय कुमार सिंह,ने किसानो के प्रति...

Online Channel

साहित्य ज्योतिष

संजीव -नी।
संजीव-नी।
संजीव-नी|
संजीव-नी|
संजीव-नी।