ब्लुई और सेक्टम से अच्छा गांव का कुत्ता

ब्लुई और सेक्टम से अच्छा गांव का कुत्ता

उसने एक पल में घरवालों व ग्रामीणों को दोनों के कंकाल के पास पहुंचा दिया।


स्वतंत्र प्रभात 


उन्नाव। प्रेमी युगल के शव मिलने के बाद भिखरिया पुरवा गांव में ग्रामीणों में गुस्सा, तनाव और न जानें किस-किस तरह की चर्चाएं थीं। सबसे ज्यादा अगर बात हो रही थी तो गांव के एक कुत्ते की। भैया बड़ा वफादार निकला। बाल किशन कभी इसे रोटी का एक कौरा डाल देता था तो कभी एक-दो बिस्कुट। इसने तो वफादारी निभा दी। पुलिस जिनका पता नहीं लगा सकी, उसने एक पल में घरवालों व ग्रामीणों को दोनों के कंकाल के पास पहुंचा दिया।

 ग्रामीणों की ये बात चौकाने वाली लगी। जेहन में पुलिस के दो खोजी कुत्ते याद आने लगे। बढ़िया खुराक, प्रशिक्षण व अन्य तरह की सुविधाएं। आपराधिक घटनाओं में खुलासा, बहुत याद और पता करने पर भी अंगुलियों पर गिनने वाला है। सोचा क्यों न इस गांव के वफादार कुत्ते से आपको रूबरू कराएं। हमारे फोटोग्राफर साथी गांव में कभी इस गली तो कभी उस गली घूमे। 


गांव का कुत्ता कहीं बैठे दिखा तो कही लेटे हुए फोटो के लिए जैसे ही पहुंचते वह भाग जाता। विश्वास करिए उसकी फोटो लेने के लिए हम काफी परेशान रहे, आखिर में गांव का यह ‘हीरो’ मृतक के दरवाजे पहुंचा जहां हमारे कैमरे में कैद हो सका।


 अब हम पुलिस विभाग के उन दो खोजी कुत्तों के बारे में बताते हैं जो महीने में हजारों रुपये की खुराक खाते हैं। वहीं प्रशिक्षण प्राप्त पुलिस विभाग के खोजी कुत्तों पर सवाल भी उठ रहे हैं। दो साल में दो खोजी कुत्ते महज 6 घटनाओं में ही पुलिस को ठोस सुराग दे सके। गंभीर घटनाओं में सुराग तलाशने के लिए पुलिस विभाग के पास मौजूदा समय में प्रशिक्षित दो खोजी कुत्ते हैं। जिसमें एक लेब्राडोर (मादा) व डाबरमैन है। 

लेब्राडोर का नाम ब्लुई व डाबरमैन कुत्ते का नाम सेक्टम है। इन खोजी कुत्तों की खुराक व दवा में हर माह लगभग 30 हजार रुपये खर्च किया जाता है। देखभाल व ट्रेनिंग के तौर पर दो प्रशिक्षक सिपाही भी तैनात हैं। जो सुबह टहलाने से लेकर ऊंची कूद कराने का अभ्यास कराते हैं। घटनास्थल पर लाने और ले जाने के लिए एक वाहन भी इन्हें मिला है। इसके अलावा गर्मी से बचाने के लिए कूलर व पंखे की व्यवस्था है। 

अधिक बीमार पड़ने पर पशु चिकित्सालय से 24 घंटे चिकित्सा सुविधा भी इन्हें मिलती है। इसके बाद भी गंभीर घटनाओं में यह खोजी कुत्ते दिखावा मात्र साबित हो रहे हैं। पिछले दो साल में हत्या, दुष्कर्म जैसी 6 घटनाओं में ही यह कुत्ते पुलिस को सुराग दे सके। दो घटनाओं में ही इनके द्वारा दिए गए सुराग से पुलिस खुलासा कर पाई।

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