‌ सरकार के बार-बार गलत आदेश का दर्द भोग रहा है इ एस आई उपभोक्ता।

‌ सरकार के बार-बार गलत आदेश का दर्द भोग रहा है इ एस आई उपभोक्ता।

‌ अधिकारियों पर भ्रष्टाचार का लगाया आरोप मुख्यमंत्री से जांच की मांग ।  




‌ स्वतंत्र प्रभात



‌ प्रयागराज


‌उत्तर प्रदेश के श्रम विभाग के तहत आने वाला कर्मचारी राज्य बीमा योजना श्रम चिकित्सा सेवाएं पिछले लगभग दो साल से अनियमित आदेशों का केंद्र बनी हुयी हैं और इसका पुरसाहाल नहीं है। अब इसे क्या कहेंगे कि विभाग एक और सेवारत व सेवानिवृत्त चिकित्सकों को दो पृथक तिथियों से प्रैक्टिस बंदी भत्ता के पुनरीक्षण का लाभ देने का आदेश जारी किया गया है।

‌यूपी ईएसआई मेडिकल सर्विसेस एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉ एम बी सिंह ने मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ को भेजे गए शिकायती पत्र में कहा है कि ऐसा संगठित भ्रष्टाचार द्वारा धनउगाही के प्रयास में असंभव को संभव बनाते हुए किया गया है।


 पत्र में कहा गया है कि अपर मुख्य सचिव, श्रम, उ.प्र.शासन, लखनऊ ने क.रा.बी.योजना के सेवारत चिकित्सकों के प्रैक्टिस बंदी भत्ता का पुनरीक्षण अपने आदेश दि. 09 जनवरी 2020 द्वारा तात्कालिक प्रभाव से अर्थात दि. 9 जनवरी 2020 से करने का आदेश दिया और वहीं उसी विभाग में उसी पद से सेवानिवृत्त चिकित्सकों के प्रैक्टिस बंदी भत्ता का पुनरीक्षण उक्त के लगभग 10 माह पूर्व कि तिथि 9 मार्च 2019 से देने का आदेश दि.13 अगस्त 2020 पारित किया है ।

‌पत्र में कहा गया कि शासनादेश दि.10जून .85 द्वारा प्रांतीय चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवा,उ.प्र. से पृथक कर श्रम विभाग के अधीन कर्मचारी राज्य बीमा योजना श्रम चिकित्सा सेवाएं, उ.प्र.के गठन के बाद भी उपरोक्त शासनादेश में निहित व्यवस्था के तहत इस विभाग के चिकित्सकों को भी प्रांतीय चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवा के चिकित्सकों के समान ही प्रैक्टिस बंदी भत्ता एवं अन्य भत्ता उसी तिथि और उसी दर से निरंतर प्राप्त होता रहा है। 


पुष्टि हेतु शासनादेश दि. 01 जुलाई 2011 को जारी क.रा.बी. योजना के चिकित्सकों के प्रैक्टिस बंदी भत्ता के पुनरीक्षण का आदेश का अवलोकन किया जा सकता है। उक्त शासनादेश प्रस्तर के -2 (3) में स्पष्ट रूप से उल्लिखित है कि पुनरीक्षित व्यवस्था/ दरें दि. 24 अगस्त 2009 (प्रादेशिक चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा के एलोपैथिक चिकित्सा पद्धति के चिकित्सकों के अनुमन्य तिथि) से प्रभावी/लागू होगी।

‌पत्र में आरोप लगाया गया है कि क.रा.बी.योजना के चिकित्सकों एवं उनके संघ के द्वारा समुचित प्रलोभन युक्त पैरवी न करने के कारण उनके उपरोक्त प्रैक्टिस बंदी भत्ता का पुनरीक्षण पूर्व के भांति प्रांतीय चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवा के चिकित्सकों को अनुमन्य तिथि 9 मार्च, 2019 से करने के बजाय शासनादेश जारी करने की तिथि 9 जनवरी, 2020 से कर दिया गया।


 चूँकि सीमित आय का सेवानिवृत कर्मी ज्यादा मुखर और निर्भीक होता है तथा सरकार, न्यायालय और समाज की भी उन पर विशेष कृपा दृष्टि होती है, इस कारण उपरोक्त अधिकारी उन पर उपरोक्त प्रकार का अन्याय नहीं कर पाये और क.रा.बी.योजना के सेवानिवृत चिकित्सकों के प्रैक्टिस बंदी भत्ता के पुनरीक्षण हेतु प्रांतीय चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवा का शासनादेश यथावत लागू कर दिया।

‌पत्र में मुख्यमंत्री से अनुरोध किया गया है कि उपरोक्त अपर मुख्य सचिव, श्रम के नेतृत्व में संगठित रूप से कृत उक्त गंभीर भ्रष्टाचार युक्त उत्पीड़न के आरोप की श्रम विभाग के अतिरिक्त किसी अन्य विभाग के शीर्ष अधिकारी से उच्च-स्तरीय जाँच कराने का आदेश पारित करें।

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