भदोही -ब्रेकिंग न्यूज़

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किसानों की मुसीबत है कडुआ धान में करें दवाओं का छिड़काव ।


210 बकायेदारो के विरुद्ध आरसी की तैयारी ।


उमेश दुबे (रिपोर्टर)

भदोही। विद्युत विभाग सप्ताह में दो दिन कटियामारी के विरुद्ध अभियान चलाएंगा। साथ ही बड़े बकायेदारो के विरुद्ध इस माह 210 आरसी तैयार किया गया है। एसडीओ धीरज मिश्र ने सोमवार को बताया कि एक सप्ताह में बकायेदारो को भुगतान करने को कहा गया है। अन्यथा की दशा में आरसी जारी हो जायेगी। एसडीओ ने कार्यालय में उपस्थित उपभोक्ताओं से विद्युत चोरी करने वालो के विरुद्ध सूचना देने की अपील भी किया। एसडीओ ने कहा कि वैसे विभग अपने स्तर से जांच करा रही है। अभियान के दौरान जो भी बिजली चोरी करते पकड़ा जायेगा।दो वर्ष का बिजली बिल व जुर्माना के साथ मुकदमा भी होगा। विभाग काफी सख्त है। कटियामार अभियान से पूर्व ही विद्युत कनेक्शन ले ले और सम्मान जनक विद्युत उपयोग करे। एसडीओ ने आरसी जारी करने के मामले में बताया कि एक लाख से ऊपर के बकायेदार जिन लोगो ने कनेक्शन के बाद कभी भी बिल जमा नही किया ऐसे लोगो के विरुद्ध आरसी जारी करने की तैयारी कर लिया गया है। एक सप्ताह का समय दिया गया है। दस अक्टूबर के बाद 210 चिंहित बकायेदारो के विरुद्ध आरसी जारी हो जायेगी।


किसानों की मुसीबत है कडुआ धान में करें दवाओं का छिड़काव ।

पूर्वान्चल एवं तराई इलाके में धान की फसलों में तेजी से लगता है कण्डुआ ।


वी. पी. सिंह (रिपोर्टर)

भदोही। धान की फसल में मिथ्या यानी कण्डुआ रोग किसानों की मेहनत पर पानी फेर सकता है। फसल में अब बालियां आगई हैं और निकल भी रहीं हैं। इसी दौरान इस रोग का प्रकोप होता है लेकिन किसान फफूद नाशक दवाओं का प्रयोग कर कण्डुआ रोग से फसल का बचाव कर सकते हैं। जिला कृषि अधिकारी ने बताया कि धान की फसलों में मिथ्या कण्डुआ का प्रकोप बेहद प्रचलित है यह फफूद जनित रोग है। पूर्वांचल में इसे किसान गंडो रोग के नाम से भी जानते हैं। इस फफूद जनित वायरस को यूकटीलेजिनो आडिया वायरस कहते हैं। इस रोग का प्राथमिक स्रोत प्राइमरी सोर्स आफ इनोक्यलूम्स मृदा है। जबकि वैकल्पित स्रोत अल्टरनेटिव सोर्स प्रकोपित बीज है। कण्डुआ रोग की पहचान धान में जब बालियां निकलती हैं तभी इस रोग का प्रकोप  परिलक्षित होता है। यह रोग फसलों में हवा द्वारा फैलता है। मुख्यत: इस रोग का फैलाव पुष्पावस्था में होता है। प्रकोप के पश्चात धान की बाली के दाने पीले और काले रंग के आवरण से ढक जाते है जिनको हाथ से छूने पर हाथ में पीले काले अथवा हरे रंग जैसे होते हैं।

 कभी.कभी इस रोग के लक्षण वाले बाली के कुछ की दानों पर दिखाई पड़ते है। उन्होंने भी बताया कि उच्च सापेक्षित अद्र्रता 9० प्रतिशत से अधिक के साथ 25.35 सेन्टीग्रेट तापमान तथा पुष्पावस्था के दौरान छिटपुट वर्षा इस रोग के प्रकोप की अनुकूल दशायें है। इसके साथ ही अत्यधिक नाइट्रोजन युक्त उर्वरको का प्रयोग इस रोग के फैलाव में सहायक है। पुष्पावस्था के दौरान हवाओ के चलने से इस रोग के स्पोर का फैलाव तेजी से होता है। उन्होने यह भी बताया कि प्रदेश का तराई एवं पूर्वान्चल क्षेत्र इस रोग से ज्यादा प्रभावित होता है। इसके तेजी से फैलाव के दृष्टिगत प्रदेश के समस्त धान उत्पादित क्षेत्रों में इस रोग के प्रकोप की सम्भावना है। कण्डुआ रोग से बचाव के उपाय पर जिलाक़ृषि ने बताया कि खेत की मेड़ो और सिंचाई की नालियों को खरपतवारों से मुक्त रखें ताकि रोग के कारक को आश्रय न मिल सके। धान की अगैती एवं पछैती प्रजातियां इस रोग से कम प्रभावित रहती है। मध्यम अवधि की प्रजातियॉ इस रोग के प्रति अधिक संवेदनशील है। यूरिया का संतुलित एवं खण्डों में प्रयोग करें। फसल की नियमित निगरानी करनी चाहिए। प्रकोप की सम्भावना के दृष्टिगत स्यूडोमोनास फ्लोरिसेंस 5 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से 15-2० दिन के अन्तराल पर सुरक्षात्मक छिड़काव करना चाहिए। रोग के लक्षण दिखाई देने पर संस्तुत फॅफूदनाशकों का प्रयोग अच्छा रहेगा।
 

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