जयप्रभा सेतू की हालत जर्जर अपने बड़े हादसे का कर रही है इंतजार

बलिया से छपरा को जोड़ने वाली माझीपुल की जर्जर स्थिति पर नहीं है दोनों राज्य सरकारों का ध्यान (बलिया) :उत्तर प्रदेश से लेकर बिहार तक हर तरफ सड़कों और उस पर बने सेतु का बुरा हाल एक तरफ सुशासन बाबू की सरकार तो दूसरी तरफ मोदी के चहेते योगी की सरकार. जनता 5 साल के

 बलिया से छपरा को जोड़ने वाली माझीपुल की जर्जर स्थिति पर नहीं है दोनों राज्य सरकारों का ध्यान

(बलिया) :उत्तर प्रदेश से लेकर बिहार तक हर तरफ सड़कों और उस पर बने  सेतु का बुरा हाल एक तरफ सुशासन बाबू की सरकार तो दूसरी तरफ मोदी के चहेते योगी की सरकार. जनता 5 साल के लिए अपना सब कुछ दाव पर लगाकर अपने चहेतों को बैठाती है शासन और सत्ता पर ताकि समस्याओं और जरूरतों पर सरकार का ध्यान जाएगा ताकि जनता चैन की नींद सो सकेगी लेकिन ये क्या ? सत्ता चाहे जिसके हाथ में हो समस्याएं जस की तस बनी रहती है और परेशानियां जनता को उठानी पड़ती है. 

अब आप देख लीजिए जयप्रकाश नारायण की धरती अपने  उत्तर प्रदेश और बिहार के जनता की समस्या को हल नहीं कर पा रही है  तो दूसरी जगहों की बात क्या करें. राष्ट्रीय राजमार्ग 31 पर यूपी-बिहार को जोड़ने वाले घाघरा पर बने जयप्रभा सेतु के बने हुए और उद्घाटन को ज्यादा समय नहीं बिता हुआ होगा और उसकी वर्तमान हालत पिछले 2 वर्षों से देखकर यह कहा जा सकता है कि स्थानीय जनता सर पर कफन बांध कर इस सेतु से गुजरती होगी. 

बलिया से छपरा को जोड़ने का एकमात्र  रास्ता जयप्रभा सेतु है जहां सुबह से लेकर रात तक बिहार से यूपी में ओवरलोड गाड़ियों का आना जाना लगातार बना रहता है. कुछ समय पहले तक तो अस्थाई तौर पर सेतु के देखरेख वास्ते टैक्स वसूले जा रहे थे वह भी अब वहां से नदारद ही दिख रहे हैं सेतु के हर पाया की स्थिति बहुत ही दयनीय या यूं कहें कि कुछ भी और कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है सेतु का आधा हिस्सा यूपी और आधा हिस्सा बिहार में पड़ता है जिसकी वजह से भी इस सेतु का रखरखाव देखरेख को नजरअंदाज किया जा रहा है लेकिन इससे तो स्थानीय लोगों की समस्या हल होने की बजाए बिल्कुल उलझ चुकी है. 

जयप्रकाश नारायण व उनकी पत्नी प्रभावती देवी के नाम पर बने इस जयप्रभा सेतु की मरम्मत की मांग को लेकर विगत दो वर्षों से चल रहे आंदोलन का कोई असर जनप्रतिनिधियों व विभागीय अधिकारियों पर नहीं है यानि किसी बड़े हादसे का इन जिम्मेदारों को बेसब्री से है इन्तजार।पाया नंबर छह के ऊपर दो गार्डर टूट कर करीब एक-एक फुट की दरार के साथ अलग हो गया है। दोनों गार्डर का लगभग एक-एक फुट का सिरा ही सेतु के पाया पर टिका है। साथ ही यूपी के हिस्से में पड़ने वाले पाया नंबर एक व दो के बीच के गार्डर में दो स्थानों पर दरार स्पष्ट दिखाई दे रही है। अगर गार्डर टूट कर गिरा तो भयंकर हादसा तो होगा ही, यूपी व बिहार से सीधा संपर्क भी टूट जाएगा।
सेतु का गार्डर टूटने की खबर के बावजूद उसके ऊपर ओवरलोडेड भारी वाहनों का बेरोक-टोक परिचालन बदस्तूर जारी है।लोगों का कहना है कि यदि तत्काल भारी वाहनों के परिचालन पर प्रशासन ने रोक नहीं लगाई तो भयंकर हादसे से इंकार नहीं किया जा सकता। लगभग दो वर्ष से सेतु के दोनों तरफ के ग्रामीण सेतु की जर्जर स्थिति तथा सड़क में बने भयंकर गड्ढों की मरम्मत के लिए अपने-अपने जिला प्रशासन को सड़क जाम कर ध्यान दिलाने की कोशिश की इसके बाद भी संबंधित विभाग निष्क्रिय बना हुआ है।
इससे स्थानीय लोगों व इस सेतु से होकर गुजरने वाले यात्रियों में जबर्दस्त आक्रोश देखने को मिल रहा है।लोगों का कहना है कि सरकार शायद बड़े हादसे का इंतजार कर रही है।

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