कृषि विज्ञान केन्द्र पर किया गया बकरी पालन पर प्रशिक्षण का आयोजन

कृषि विज्ञान केन्द्र पर किया गया बकरी पालन पर प्रशिक्षण का आयोजन

बस्ती जिले के कृषि विज्ञान केन्द्र बस्ती द्वारा क्षमता योजनान्तर्गत ‘‘बकरी पालन’’ विषय पर प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। केंन्द्राध्यक्ष प्रो0 एस0एन0 सिंह ने प्रशिक्षणार्थियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि बकरी पालन एक ऐसा व्यवसाय है, जिसे कम लागत व कम स्थान में छोटा, बडा व भूमिहीन किसान आसानी से कर सकता है।


बस्ती । बस्ती जिले के कृषि विज्ञान केन्द्र बस्ती द्वारा क्षमता योजनान्तर्गत ‘‘बकरी पालन’’ विषय पर प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। केंन्द्राध्यक्ष प्रो0 एस0एन0 सिंह ने प्रशिक्षणार्थियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि बकरी पालन एक ऐसा व्यवसाय है, जिसे कम लागत व कम स्थान में छोटा, बडा व भूमिहीन किसान आसानी से कर सकता है। इसीलिए इसे गरीबों की गाय एवं ए.टी.एम. भी कहा जाता है। बकरी के दूध की माॅग दिन प्रतिदिन बढ रही है क्योंकि इसमें डेंगू रोग की प्रतिरोधक क्षमता है। बेरोजगार नवयुवक-नवयुवतियाॅ, मजदूर, कृषक व कृषक महिलायें बकरी पालन व्यवसाय को अपनाकर अपनी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ कर सकते है।

पशुपालन विशेषज्ञ डा0 डी0के0 श्रीवास्तव ने अवगत कराया कि बकरी पालन को मुख्यतः माॅस, दूध, बाल, खाल एवं खाद के लिए किया जाता है। जनपद की जलवायु के अनुरूप बकरी की बरबरी, जमुनापारी, सिरोही एवं ब्लैक बंगाल उपयुक्त नस्लें है, जो दूध के साथ ही साथ उच्च गुणवत्ता का माॅस उपलब्ध कराती है तथा प्रत्येक ब्यात में दो बच्चे देती है।

पौध रोग विशेषज्ञ, डा0 प्रेम शंकर ने अवगत कराया कि बकरियों की सबसे घातक बीमारी पी.पी.आर. है, जो बकरियों में बहुत तेजी से फैलता है, जिसके कारण बकरियों की मृत्यु सबसे ज्यादा हो जाती है। इसके बचाव हेतु प्रत्येक बकरी को पी.पी.आर. का टीकाकरण समय से अवश्य करा देना चाहिए।

सश्य वैज्ञानिक डा0 आर0वी0 सिंह ने अवगत कराया कि बकरियों को हरा चारा ज्यादा पसन्द है, इसलिए मौसम के अनुसार बरसीम, जई, लोविया, मक्का व चरी की बुवाई करें तथा बहुवर्षीय हरा चारा जैसे हाईब्रिड नैपियर घास के साथ ही साथ पीपल, पाकड, गूलर, शूबबूल, बरगद व सहजन आदि के पौधों का रोपड़ करें जिससे बकरियों को वर्ष भर पर्याप्त हरा चारा मिलता रहे। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में बकरी पालक, बेरोजगार नवयुवक, कृषक व कृषक महिलायें सम्मिलित हुयी। इस अवसर पर केन्द्र के वैज्ञानिकों के साथ-साथ जे0पी0 शुक्ला, निखिल सिंह, प्रहलाद सिंह, बनारसी व सीताराम आदि कार्मिक भी उपस्थित रहे।

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