ज्ञानपुर अस्पताल में ‘परदेशियों’ के बीच हुई मारपीट, पुलिस नदारद।

ज्ञानपुर अस्पताल में ‘परदेशियों’ के बीच हुई मारपीट, पुलिस नदारद।

ज्ञानपुर अस्पताल में ‘परदेशियों’ के बीच हुई मारपीट, पुलिस नदारद। संतोष तिवारी( रिपोर्टर ) भदोही। कोरोना महामारी के संक्रमण से बचने के लिए सरकार ने लाॅकडाऊन और सोशल डिस्टेंसिंग को आधार बनाया है और लोगो को इस दिशा निर्देश को पालन करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। लेकिन इसके बावजूद भी लोग है

ज्ञानपुर अस्पताल में ‘परदेशियों’ के बीच हुई मारपीट, पुलिस नदारद।


संतोष तिवारी( रिपोर्टर )

भदोही।
कोरोना महामारी के संक्रमण से बचने के लिए सरकार ने लाॅकडाऊन और सोशल डिस्टेंसिंग को आधार बनाया है और लोगो को इस दिशा निर्देश को पालन करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। लेकिन इसके बावजूद भी लोग है कि सोशल डिस्टेंसिंग की खुलेआम धज्जियां उडा रहे है और प्रशासन के जिम्मेदार लोग भी किसी विवशता वश कुछ नही कर पा रहे है। और यह लापरवाही लोगों के लिए एक बडी संकट के रूप में सामने आ सकता है। कि लोगो को किसी नियम कानून का डर ही नही है।

ज्ञानपुर अस्पताल में ‘परदेशियों’ के बीच हुई मारपीट, पुलिस नदारद।

भदोही जिले के ज्ञानपुर जिला अस्पताल में गुरूवार की सुबह एक ऐसा नजारा दिखा जो जिला प्रशासन के व्यवस्था और लोगों के व्यवहार पर प्रश्न चिह्न लगाता है। जब प्रशासन को यह मालूम है कि अन्य राज्यों से आने वाले लोगो की संख्या में भारी वृद्धि हो रही है फिर भी प्रशासन इसको लेकर कोई ठोस व्यवस्था नही किया। और लोग पुलिस के सामने ही एक दुसरे के नजदीक खडे होकर अपने टेस्ट कराने के बारी का इंतजार कर रहे है। और पुलिस के जवान भी अपनी ड्यूटी करते हुए मूकदर्शक बने है। आखिर प्रशासन की मौजूदगी में यह कैसा सोशल डिस्टेंसिंग का उदाहरण पेश किया जा रहा है। यदि पुलिस को ऐसे ही भीड लगवाकर टेस्ट कराना है तो सोशल डिस्टेंसिंग की दुहाई क्यों देना? ज्ञानपुर जिला चिकित्सालय में सुबह तो हद हो गई जब मुम्बई से आये युवा अपने टेस्ट कराने के इंतजार में लाइन में लगे थे तभी आपसी कहासुनी ने मारपीट का विकराल रूप धारण कर लिया। और एक भी पुलिस का जवान लड रहे लोगों के बचाव में नही आया। हो सकता है कि जब परदेशी आपस में भिडे तो पुलिस के जवान अस्पताल परिसर में न हो। लेकिन यही प्रश्न और बनता है कि जब परदेश से आये सैकडों की संख्या में लोग पहुंच रहे है तो पुलिस का न रहना जायज नही है। परदेशियों के इस भिड़ंत को लेकर पुलिस और प्रशासन की लापरवाही की असलियत तो सामने आ गई कि किस तरह भदोही में प्रशासन के लोग सक्रिय है। परदेशी आपस में भिड़ने में लगे है लेकिन सुरक्षा के जिम्मेदार लोगो का पता ही नही है। जब इसी तरह की लापरवाही का आलम रहेगा कि जनता आपस में भिड़ंत करे और पुलिस का पता न चले तो क्या मतलब जिले की सुरक्षा व्यवस्था की? कोरोना को लेकर सरकार के कान खडे है और भदोही जिले में सब अपने हिसाब से कार्य करने में जुटे है। यदि प्रशासन के पास सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराते हुए चेकअप की व्यवस्था नही बन पा रही है तो सभी गांवों में ही चेकअप कराने की व्यवस्था बनाकर इस समस्या से छूटकारा पा लिया जाये। गुरूवार को परदेशियों के बीच हुई मारपीट की चर्चा तो जिले में है ही साथ में लोग पुलिस प्रशासन पर भी सवाल उठा रहे है कि इस तरह की घटना को पुलिस प्रशासन रोकने में विफल क्यों हुआ? यदि यह घटना और विकराल रूप ले लेती या कोई बडी घटना हो जाती तो कौन होता जिम्मेदार।

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