तहसीलदार “देवेन्द्र” कुमार गरीबों व असहायों के लिए बने “देवदूत”।

तहसीलदार “देवेन्द्र” कुमार गरीबों व असहायों के लिए बने “देवदूत”।

तहसीलदार “देवेन्द्र” कुमार गरीबों व असहायों के लिए बने “देवदूत”। संतोष तिवारी (रिपोर्टर ) भदोही। जिले में इस समय तो काफी संख्या में समाजसेवी,नेता और अधिकारी जिले के विभिन्न जगहों पर जाकर गरीब और असहायों के लिए मददगार साबित हो रहे है। पिछले 15 दिनों से सरकार ने लाॅकडाऊन घोषित किया है जिससे दिहाड़ी मजदूरी

तहसीलदार “देवेन्द्र” कुमार गरीबों व असहायों के लिए बने “देवदूत”।

संतोष तिवारी (रिपोर्टर )

भदोही। जिले में इस समय तो काफी संख्या में समाजसेवी,नेता और अधिकारी जिले के विभिन्न जगहों पर जाकर गरीब और असहायों के लिए मददगार साबित हो रहे है। पिछले 15 दिनों से सरकार ने लाॅकडाऊन घोषित किया है जिससे दिहाड़ी मजदूरी करने वाले गरीबों और वनवासियों के लिए काफी समस्या हो रही है लेकिन जिले के नेता, समाजसेवियों और अधिकारियों की पहल से जिले में गरीबों को भोजन और राशन की व्यवस्था की जा रही है। वृहस्पतिवार को एक ऐसा नजारा दिखा कि आंखें नम हो गई। मालूम हो कि ज्ञानपुर तहसील के तहसीलदार देवेन्द्र कुमार क्षेत्र के विभिन्न गांवों में वृहस्पतिवार को भोजन सामग्री बांटने गये थे। इस समय काफी संख्या में महिलाएं, पुरूष और बच्चे व वृद्ध भोजन का पैकेट लेने आये लेकिन कुछ दूर पर खटिया पर बैठा एक छोटा सा बच्चा दूर से देख रहा था कि अचानक तहसीलदार की नजर उस बच्चे पर गई। और तहसीलदार ने खुद खटिया के पास जाकर बच्चे को बिस्किट दिया। हालांकि बस्ती में घर घर जाकर तहसीलदार ने बाकी बचे लोगों को भोजन का पैकेट दिया। लेकिन बच्चे के पास जाकर बिस्किट देना काफी कारुणिक नजारा था।

तहसीलदार “देवेन्द्र” कुमार गरीबों व असहायों के लिए बने “देवदूत”।

लोग तहसीलदार के इस कार्य की काफी चर्चा कर रहे है। देवेन्द्र कुमार की मानवता देखकर कुछ लोगों की आंखों में आंसू भी भर आये क्योकि यदि यही पीडा सभी लोग समझते तो शायद आज गरीब और असहाय अपने को कमजोर न समझते। हालांकि देवेन्द्र कुमार जब से लाॅक डाऊन घोषित हुआ है तब से प्रतिदिन कुछ गांवों में जाकर गरीबों को राहत सामग्री बांटते है। गरीब तो तहसीलदार देवेन्द्र कुमार को किसी देवदूत से कम नही समझ रहे है। मालूम हो कि जब से देवेन्द्र कुमार ज्ञानपुर में तैनात है तबसे अपने कार्यों से लेकर काफी चर्चा में है। चाहे वह समाजसेवा हो, वृक्षारोपण हो, मामलों का निस्तारण हो या जनता से मिलने का तरीका हो। यह सभी चीजे तहसीलदार देवेन्द्र कुमार को एक अलग बनाने में सहायक होती है। एक सामान्य आदमी भी तहसीलदार से बात करते समय यह अहसास नही करता कि एक अधिकारी से बात कर रहा है बल्कि ऐसा लगता है कि वह आदमी अपने किसी खास आदमी से बात कर रहा है। हालांकि तहसीलदार देवेन्द्र कुमार द्वारा गरीब और असहायों का सहयोग करना कही न कही मानवता की एक अलग छाप छोडने में काफी है।

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