कोरोनाः अब सैनेटाइज फूलों से ही होगी भगवान की पूजा

कोरोनाः अब सैनेटाइज फूलों से ही होगी भगवान की पूजा

-इस्काल में प्रतिदिन दिन 50 किलो फूलों को सैनिटाइजेशन कर लिया जाएगा अंदर मथुरा। ठाकुर जी को भी अब सैनेटाइज फूल ही चढाये जा सकेंगे। इस्कान मंदिर में ठाकुर जी की सेवा में हर दिन लगभग 50 किलो फूलों का शृंगार होता है। इस श्रृंगार के लिए हर दिन बाहर से फूल आते हैं। मंदिर

-इस्काल में प्रतिदिन दिन 50 किलो फूलों को सैनिटाइजेशन कर लिया जाएगा अंदर

मथुरा। ठाकुर जी को भी अब सैनेटाइज फूल ही चढाये जा सकेंगे। इस्कान मंदिर में ठाकुर जी की सेवा में हर दिन लगभग 50 किलो फूलों का शृंगार होता है। इस श्रृंगार के लिए हर दिन बाहर से फूल आते हैं। मंदिर के अधिकारियों द्वारा इन फूलों को मंदिर के बाहर ही रोक दिया जाएगा। फूलों का सैनिटाइजेशन करने के बाद ही उन्हें अंदर लिया जाएगा।
केवल फूल ही नहीं मंदिर में आने वाले प्रत्येक खाद्य सामग्री को जैसे कि सब्जी आदि को भी सैनिटाइजेशन के बाद ही अंदर लिया जाएगा। पीआरओ के अनुसार तीन-तीन दिन तक का सामान खरीद लिया गया है। उन्होंने बताया कि प्रतिदिन दूध भी इसी तरह से मंदिर के अंदर लिया जाएगा। मंदिर के अंदर जो भी लोग मौजूद हैं उनको कोरोना के खतरे से बचाने के लिए मंदिर में ही कोरोटाइन जोन विकसित किया है। अंदर मौजूद चिकित्सक द्वारा हर दिन सभी की जांच की जाएगी। संदिग्ध पाए जाने पर इसे कोरोटाइन जोन में रखा जाएगा। इसमें रहने वाले व्यक्ति के लिए सभी सुविधा अंदर हीं होंगी।

कोरोना वायरस के चलते इस्कॉन मंदिर बुधवार से 31 मार्च तक के लिए बंद कर दिया गया है। मंदिर के पांचों द्वारों पर ताले लटका दिए गए हैं। मंदिर में रह रहे करीब 60 ब्रह्मचारी मंदिर के अंदर ही रहेंगे। मंदिर में न तो कोई बाहर से प्रवेश कर सकेगा और न ही अंदर का कोई भी व्यक्ति बाहर आ पाएगा। इस्कॉन के अध्यक्ष पंचगौड़ा दास ने मंदिर को बंद कराया तथा अन्य पदाधिकारियों को निर्देश दिए।इस्कॉन मंदिर जब से वृंदावन में बना है तब से यह पहला मौका है कि मंदिर पर बाहर के श्रद्धालुओं के लिए ताले लटकाए गए हैं। कोरोना वायरस के चलते यह निर्णय मंगलवार को एचएच गोपाल कृष्ण गोस्वामी महाराज द्वारा बैठक करने के बाद लिया गया।

मंदिरों में घटाया दर्शनों का समय
कोरोना वायरस का बढ़ता दायरा भक्त और उनके आराध्य के बीच का रोड़ा बन रहा है। मथुरा के द्वारिकाधीश मंदिर में दर्शनों के समय को कम कर दिया गया है। इससे कई भक्त नित नियम सेवा के अनुसार आराध्य के दर्शन नहीं कर पाए। मंदिर प्रबंधन ने यह फैसला भक्तों के स्वास्थ्य को देखते हुए लिया है।

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