सांसारिक सुख की अपेक्षा आत्मिक सुख बेहतर- स्वामी आत्मानंद

सांसारिक सुख की अपेक्षा आत्मिक सुख बेहतर- स्वामी आत्मानंद

सांसारिक सुख की अपेक्षा आत्मिक सुख बेहतर- स्वामी आत्मानंद संतोष तिवारी (रिपोर्टर ) भदोही। उत्तर प्रदेश के भदोही जनपद मे सुरियावां क्षेत्र के अर्जुनपुर गांव में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा ज्ञानयज्ञ के संगीतमय प्रवचन में कथावाचक स्वामी आत्मानंद जी महाराज ने प्रवचन में भक्ति और ज्ञान के बारे में विस्तृत चर्चा की। महाराज ने बताया कि

सांसारिक सुख की अपेक्षा आत्मिक सुख बेहतर- स्वामी आत्मानंद

संतोष तिवारी (रिपोर्टर )

भदोही। उत्तर प्रदेश के भदोही जनपद मे सुरियावां क्षेत्र के अर्जुनपुर गांव में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा ज्ञानयज्ञ के संगीतमय प्रवचन में कथावाचक स्वामी आत्मानंद जी महाराज ने प्रवचन में भक्ति और ज्ञान के बारे में विस्तृत चर्चा की। महाराज ने बताया कि संसार में लोग भले कहे कि आज सद्गुरु नहीं मिलते हैं लेकिन इसकी वजह लोगों की दृष्टि है क्योंकि आज भी संसार में सदगुरू है लेकिन लोगों की दृष्टि अलग-अलग होने से पहचान न करने से लोग सदगुरू की कमी महसूस करते है। जबकि ऐसा नहीं है आज भी अच्छे लोग हैं। कहा कि जीवात्मा का परमात्मा से मिलन ही जीवन का परम लक्ष्य है। लेकिन लोग आज भौतिक व सांसारिक सुख के आकर्षण में सच्चा सुख खोजते है जो असंभव है। क्योकि लोग माया के वसीभूत होकर असत को ही सत्य मानते है। जो उनके जीवन में दुख का कारण बनता है। संसार में नही बल्कि आत्मा में ही सच्चा सुख है। संसार मे सतगुरु की शरण मे जाने सतगुरु की कमी नही स्वामी जी ने कहा कि संसार में लोग सुख की खोज के लिए तरह-तरह के जतन करते हैं और सांसारिक सुखों के पीछे दौड़ते रहते हैं। जबकि मानव जीवन का सच्चा सुख भौतिक सुख सुविधाएं नहीं हैं बल्कि भगवत प्राप्ति है। कहा कि मानव जीवन का परम लक्ष्य भगवत प्राप्ति है ना कि सांसारिक सुख सुविधाओं को भोगना है। जीवन में बड़े ही सौभाग्य के वजह से सत्संग और सतगुरु का प्राप्ति होती है कहा कि संसार में माया के चक्कर में पड़कर लोग तरह-तरह के जतन करते हैं जो उनके दुख का कारण बनता है। कहा कि परमात्मा अन्तःकरण में है लेकिन विभिन्न बुरे प्रभाव से वह मनुष्य को स्वयं में नही दिखता है। और मनुष्य को सांसारिक चीजों में ही आसक्ति बनी रहती है। इस आसक्ति का मानव जीवन से तब ही हटता है जब किसी संत या सद्गुरू की कृपा होती है। ब्राह्मणों के बारे में स्वामी जी ने कहा कि ब्राह्मण सत्य व मधुरता का प्रतीक है। जो ब्राह्मण सत्य को छोडकर असत्य, क्रोध समेत अन्य बुरे कार्य को करता है वह ब्राह्मण नही है। कहा कि संसार की चीजे अपने अपने स्थान पर सही है बस हमारी दृष्टि कैसी है यह बात निर्भर करता है। कहा कि हमारी दृष्टि सकारात्मक हो। और जीवन में भगवतप्राप्ति ही परम लक्ष्य है। इस मौके पर गुलाब दुबे, नागेंद्र दुबे, अमित दुबे, विकास दुबे, डीएम दुबे, सुशील दुबे, जटाशंकर, साहब यादव, फूल चंद दुबे समेत काफी संख्या में लोग मौजूद रहे।

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