पशु प्रेमी ने मानवता की पेश की मिसाल

पशु प्रेमी ने मानवता की पेश की मिसाल

घायल कबूतर का इलाज कर जंगल मे छोड़ा समस्त चराचर ब्रह्मांड में रह रहे जीवधारियों में सबसे बुद्धिमान इंसान को बताया गया है. अपनी बुद्धिमत्ता के चलते ही इंसान द्वारा शेष अन्य समस्त जीव धारियों पर अपना आधिपत्य जमाया हुआ है. इंसान की बुद्धिमत्ता एवं कौशल के आगे समस्त जीव-जंतु बेबस एवं असहाय हैं, इंसान

घायल कबूतर का इलाज कर जंगल मे छोड़ा

समस्त चराचर ब्रह्मांड में रह रहे जीवधारियों में सबसे बुद्धिमान इंसान को बताया गया है. अपनी बुद्धिमत्ता के चलते ही इंसान द्वारा शेष अन्य समस्त जीव धारियों पर अपना आधिपत्य जमाया हुआ है. इंसान  की बुद्धिमत्ता एवं कौशल के आगे समस्त जीव-जंतु  बेबस एवं असहाय हैं, इंसान के नियंत्रण में हैं. इसी के चलते अन्य  जीव जंतु  मनुष्यों से  हमेशा  सशंकित  रहते हैं एवं उनमें डर की भावना बनी रहती है. यहां तक की  हाथी  जैसे विशालकाय स्थलीय प्राणी एवं बाघ जैसे सबसे फुर्तीला एवं ताकतवर जानवर भी  इंसान से भय खाते हैं. इसी के चलते जहां तक संभव होता है, स्वेच्छा से जीव जंतु इंसान को अपने पास नहीं फटकने देते या यूं कहें कि इंसान की दखल अंदाजी पसंद नहीं करते. यही कारण है कि जब कोई मनुष्य अन्य जीवो के वास स्थल में प्रवेश करने का प्रयास करता है, तो वह उस पर आक्रामक हो जाते हैं, जिससे मनुष्य उनके क्षेत्र में वास ना कर सके और वह अपने आप को सुरक्षित महसूस कर सकें, परंतु  कुछ प्राणियों कि स्वामी भक्ति एवं उनका प्यार अपने पालकों के प्रति इतना अगाध देखने को मिल जाता है कि उन्हें देखकर लगता ही नहीं कि वह किसी दूसरी प्रजाति के जीव है जो इंसानों के साथ रह रहे हैं.

कभी-कभी तो इंसान और जीवो को एक साथ रहते एवं उनके साथ अठखेलियां करते हुए देख कर ऐसा लगता है कि यह वास्तव में एक दूसरे से किसी गहरे रिश्ते से जुड़े हुए हैं. शायद इसी के चलते हम कई बार बाघ एवं हाथी जैसे विशालकाय जानवरों को भी मनुष्यों के साथ मस्ती करते हुए देख पाते हैं. कभी-कभी यह जीव जंतु स्वामी भक्ति में इतना परिपूर्ण हो जाते हैं कि वह अपने स्वामी को असुरक्षित होने की स्थिति का अनुमान होते ही सामने वाले पर आकृमित हो जाते हैं. पशु पक्षियों के बीच किंचित मात्र ही सही, परंतु इस अगाध प्यार की पहचान वन्य जीवों को भी हो ही जाती है कि कौन इंसान हमारा दुश्मन है और कौन हमारा हितैषी है.

आज एक ऐसा ही वाकया उस समय घटित हुआ जब रमेश कुमार, शिविर प्रभारी, लेखक, जनपद मंत्री वन विभाग दुधवा टाइगर रिजर्व पलिया खीरी स्थित अपने कार्यालय में बैठे कार्य कर रहे थे. तभी एक फड़फड़ाता हुआ कबूतर दरवाजे से होता हुआ सीधा अंदर कार्यालय में आ गया. कार्यालय में आते ही वह अत्यंत शांतचित्त होकर छिपकर बैठने का प्रयत्न करने लगा. जैसे ही रमेश की नजर कबूतर पर पड़ी तो अहसास हुआ कि पक्षी कुछ घायल सा है. शायद किसी अन्य पक्षी द्वारा उसे चोट पहुंचाई गई है अथवा घायल करने का प्रयास किया गया है. रमेश द्वारा उसी समय पशु चिकित्सक दुधवा के सहायक को बुलाकर पशुचिकित्सकों की सलाह के अनुसार अपूर्व बायोलॉजिस्ट के साथ मिलकर चिकित्सा कराई गई. जब वह पक्षी आश्वस्त सा लगने लगा तब उसे घने पेड़ों के बीच छुड़वा दिया गया.

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