
देश में गंदी राजनीति का परिणाम होगा घातक।
देश में गंदी राजनीति का परिणाम होगा घातक। संतोष तिवारी (रिपोर्टर ) भदोही । भारत की राजनीति कभी धर्म से भी बडी मानी जाती थी लेकिन आज के समय भारत की राजनीति का स्तर स्वार्थी नेता इतने हद तक गिरा दिये है कि उसका कोई जबाब नही। देश में ज्यादातर ऐसे नेता है जो अपने
देश में गंदी राजनीति का परिणाम होगा घातक।
संतोष तिवारी (रिपोर्टर )
भदोही ।
भारत की राजनीति कभी धर्म से भी बडी मानी जाती थी लेकिन आज के समय भारत की राजनीति का स्तर स्वार्थी नेता इतने हद तक गिरा दिये है कि उसका कोई जबाब नही। देश में ज्यादातर ऐसे नेता है जो अपने कुर्सी के चक्कर में देश को बेचने और जलाने से बाज नही आते है। लेकिन जनता है कि इन नेताओं के चक्कर में पड़कर अपने धर्म को भूल जाते है। इसी गंदी राजनीति की वजह से ही देश में आये दिन विरोध के नाम पर दंगे व आगजनी होती है।जो भविष्य में और घातक हो सकता है।
जिसके पीछे कही न कही सरकार विरोधी नेताओं या संगठनों का हाथ होता है। इसका ताजा उदाहरण दिल्ली में देखने को मिला जहां दंगाइयों ने दिल्ली को इस कदर हिला दिया कि इसका दर्द दिल्ली बहुत दिनों तक नही भूल पायेगा। दंगाइयों का मूल उद्देश्य था कि भारत की छवि खासकर मोदी की छवि विश्व में बदनाम की जाये और इसी को लेकर दिल्ली में दंगा फैलाया गया। क्योकि दंगा की कूट रचना करने वाले जानते थे कि जब भारत में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प भारत की यात्रा पर रहेंगे तो पुरे विश्व के मीडिया व नेताओं की निगाह भारत पर रहेगी। और इस समय मोदी सरकार को विश्व समुदाय पर बदनाम करने की इससे अच्छा मौका नही मिलेगा। इसी को ध्यान में रखकर मोदी विरोधियों ने इस दंगे को हवा दी।
दिल्ली को एक ऐसा दर्द दिया जो दिल्ली के लोग शायद ही भूल पायेंगे। इस दंगे में जिस तरह आप के नेता का कारनामा जगजाहिर हुआ है। जिससे तो यह पता चलता है कि दंगाइयों के सह देने वालो में किस तरह के लोग शामिल रहे है। लेकिन नेता ऐसे है कि जनता को मुर्ख समझते है। जिस तरह दिल्ली दंगे में ‘आप’ पार्षद के काले कारनामें से लोगों का ध्यान हटाने के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने चार साल बाद देशद्रोही कन्हैया कुमार के खिलाफ राजद्रोह का मुकदमा चलाने की अनुमति दे दी।
पिछले चार वर्षों से केजरीवाल कन्हैया कुमार को निर्दोष बताने की कोशिश कर रहे थे लेकिन दिल्ली दंगे में उनके पार्टी के नेता का संलिप्तता से घबराकर मामले को हल्का करने के लिए कन्हैया कुमार का मामला सुर्खिया में लाकर देश को गुमराह करने की कोशिश कर रहे है। लेकिन देश की जनता ताहिर के कारनामें को लेकर नाराज है और ताहिर के ऊपर कार्यवाही होने पर ही लोगों को सुकून मिलेगा। जिस तरह आम आदमी पार्टी के पार्षद ताहिर का दंगा को फैलाने और उकसाने का वीडियो वायरल हुआ है उससे तो लगता है कि एक सोची समझी चाल है। दंगा की मूल वजह सीएए का विरोध ही तो है। जिसे लेकर पुरे देश में बेवजह लोग विवाद व बवाल कर रहे है।
इस तरह के दंगे कराने, तोडफोड कराने, आगजनी कराने के पीछे केवल और केवल राजनीति है। देखा जा सकता है कि कितने ऐसे नेता है जो केवल देश को जाति और धर्म की के आड में गुमराह करते है। जो देश के माहौल को खराब करने में काफी सहायक होता है। जो मोदी सरकार के खिलाफ में सभी विरोधी मिलकर प्रायोजित कर रहे है। सीएए का विरोध करने वाले भले ही तिरंगा लेकर अपने को देशभक्त दिखाने की कोशिश कर रहे हो लेकिन सच में वे लोग ‘कुर्सी भक्तों’ के इशारे पर ही देश की स्थिति को जान बुझकर खराब करने पर लगे है। केवल भाजपा विरोधी दलों, नेताओं और कट्टरपंथी विचारधारा के नेताओं के बहकावे में आकर देश को जलाने से गुरेज नही करते है।
सरकार जब तक देश में कानून के न मानने वालों के खिलाफ सख्त नही होगी तब तक देश को बांटने वाली मानसिकता वाले टुकडे टुकडे गैंग के लोग यूं ही देश को बरगलाकर अपना उल्लू सीधा करते रहेंगे। देश के कुछ मीडिया घराने भी टुकडे टुकडे गैंग का पूरजोर समर्थन करके उनकी विचारधारा को और मजबूत बनाते है। दिल्ली दंगे में जिस ताहिर को लेकर देश में लोग नाराज है उसी ताहिर की बयान कुछ तथाकथित टीवी चैनल वाले दिखाकर देश को ताहिर के निर्दोष होने का प्रमाण दे रहे है।
देश में यह बडे ही चिंता का विषय है कि जहां लोग अपने स्वार्थ व विचारधारा के चक्कर में देश को बांटने व जलाने से बाज नही आते है। जबकि विरोधी यह नही समझते कि दंगा आगजनी या नुकसान से देश का नाम खराब होता है जिसमें वह खुद रहता है। इसके पीछे केवल भारत की गंदी राजनीति है। वर्ष 2010 में कांग्रेस ने एनआरसी की जरूरत समझ रही थी जब केन्द्र में कांग्रेस की सरकार थी लेकिन 2020 में कांग्रेस विरोध में दिख रही है। आखिर यह किस राजनीति का उदाहरण है? इस तरह का दोहरा चरित्र क्यों? क्या इसके पीछे देश की जनता को गुमराह करना ही परम लक्ष्य है? राजनीति में तुष्टिकरण करने के पीछे क्या मकसद है? आखिर क्या वजह है कि मोदी विरोधी लोग देश के आतंकवादियों, दंगाइयों, देशद्रोहियों से प्रेम करते हुए देखे जाते है? इन देशद्रोहियों के समर्थन में धरना देने वाले आईबी में कार्य करने वाले अंकित शर्मा के हत्यारों के लिए धरना क्यों नही कर रहे है?
यह गंदी राजनीति कैसे देश का भला करेगी? जो देश में आतंकवादियों, देशद्रोहियों का समर्थन करे और आम नागरिक का नुकसान करें। सीएए के बारे में सरकार साफ साफ बता रही है कि इस कानून के माध्यम से भारत के किसी भी नागरिक की नागरिकता से लेना देना नही है। तो फिर इसका विरोध करने का औचित्य क्या है? इससे तो यह साफ है कि जब सीएए से भारत के नागरिक को कोई दिक्कत नही तो विरोध करने वाले या तो भारत के नागरिक नही है या वे लोग उनका समर्थन कर रहे है जो भारत के नागरिक नही है। यह बात तो स्पष्ट है कि भारत में यदि आतंकवादियों, गद्दारों के रूप में कोई अवैध रूप से नागरिकता लेकर रह रहा है तो उसे तो भारत छोडकर जाना ही पडेगा। इसकी शुरूआत महाराष्ट्र से हो गई है।
जहां पर राजठाकरे ने बाकायदे घोषणा कर दी है कि जो भी भारत में अवैध तरीके से रह रहे रोहिंग्याओं या आतंकवादियों के बारे में सही सही जानकारी देगा उसे ईनाम दिया जायेगा। सरकार को चाहिए कि पुरे देश में यह घोषणा करा दी जाये जिससे देश में अवैध रूप से रह रहे रोहिंग्या और गद्दारों को चिन्हित करके उन्हे देश से भगाया जाये या जेल में डाला जाये। लेकिन कुछ कुर्सी भक्त है जो इन रोहिंगाओं के बचाव व समर्थन में हमेशा खडे है। क्योकि देश में अवैध तरीके से रहने वाले गद्दार ही देश में गलत कार्य को बढावा देते है। और इन्ही गद्दारों की वजह से देश का आम नागरिक भी शक के दायरे में आ जाता है। देश के नेताओं को चाहिए कि देशहित को पहले रखकर ही राजनीति करे न कि कुर्सी आगे रखकर। वैसे कुछ भी हो जनता खुद जानती है कि कौन देश के लिए काम करता है और कौन कुर्सी के लिए? देश की एकता अखंडता बनाये रखने में सभी का सहयोग जरूरी है। सभी हितों बढकर होना चाहिए देशहित।
About The Author
Related Posts
Post Comment
आपका शहर

अंतर्राष्ट्रीय

Online Channel
भारत
खबरें
शिक्षा

Comment List