लॉक डाउन-4 में भी बैंक मित्र निभा रहे हैं अपना फर्ज

लॉक डाउन-4 में भी बैंक मित्र  निभा रहे हैं अपना फर्ज

●गरीबों के मददगार साबित व योजनाओं का सही लाभ देने में सहायक सिद्ध होते बैंक मित्र। तिंदवारी(बाँदा) संवाददाता-कौशल किशोर विश्वकर्मा कोविड-19 महामारी के चलते पूरे देश में लॉक डॉउन चल रहा है, जिसकी वजह से प्रत्येक कार्य बाधित है, सरकारी व गैर सरकारी कार्यालयों के कार्य भी प्रभावित हैं, क़स्बे से लेकर शहर तक सन्नाटा

गरीबों के मददगार साबित व योजनाओं का सही लाभ देने में सहायक सिद्ध होते बैंक मित्र।

तिंदवारी(बाँदा) संवाददाता-कौशल किशोर विश्वकर्मा

कोविड-19 महामारी के चलते पूरे देश में लॉक डॉउन चल रहा है, जिसकी वजह से प्रत्येक कार्य बाधित है, सरकारी व गैर सरकारी कार्यालयों के कार्य भी प्रभावित हैं, क़स्बे से लेकर शहर तक सन्नाटा पसरा हुआ है, यहां तक की सड़कों में चलने में पर भी प्रतिबंध लगा है। ऐसे में सरकार द्वारा महिलाओं के जनधन खातों में भेजी गई पांच सौ रुपये की क़िस्त हो या उज्ज्वला योजना के तहत सहायता राशि या फिर मनरेगा के मजदूरों के खातों में भेजी गई धनराशि, कोरोना के संक्रमण के खतरे के बीच बैंकों में खाते से निकाल कर उसे खर्च करना लोहे के चने चबाने से कम नही है। लेकिन इस मुश्किल काम को आसान बनाया बैंक मित्रों ने, इन्होंने अपनी जान जोखिम में डाल कर वह काम जो बैंक कर्मचारी महीनों में पूरा नही कर सकते, उसे पूरा करने के लिए सरकार व जनमानस की मदद के लिए आगे आये और सप्ताह के सातों दिन काम करके यहां तक की रविवार को भी सुबह से देर शाम तक लगातार काम कर सरकार द्वारा विभिन्न योजनाओं का भेजा गया पैसा निकाल ग्रामीणों, गरीबों व मजदूरों को योजनाओं का वास्तविक लाभ पहुँचा रहे हैं।


हर व्यक्ति से बैंक खातों से पैसा निकालने की होड़ में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करवा पाना बहुत बड़ी चुनौती है, लेकिन भीड़-भाड़ वाली जगहों से इतर व ग्रामीण इलाकों में स्थित ये बैंक मित्रों के सेंटरों में बैंक मित्रों ने टेंट लगवाकर 6-6 फीट की दूरी में खड़े कर हाँथ को सेनेटाइज्ड करवा कर एक-एक को पैसा देकर मददगार साबित हो रहे हैं। इतना ही नहीं ये वृद्धों, बुजुर्गों व बीमार व्यक्तियों के घर जाकर भी पैसा निकाल रहे हैं। ऐसे में खाता धारकों को बैंक नही आना पड़ता है।
कोरोना वायरस के फैलाव को रोकने के लिए देश को संपूर्ण लाख डाउन किया गया है इससे तमाम लोगों के सामने भरण-पोषण की समस्या खड़ी हो गई है, इसे ध्यान में रखकर शासन ने विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत लाभ का भुगतान लाभार्थियों के खाते में भुगतान कर दिया है, श्रमिकों ने बैंक खाते में धनराशि पहुंचते ही इसकी निकासी के लिए बैंक पहुंचना आरंभ कर दिया था कमोवेश यही स्थिति जनधन खाता धारकों की है बड़ी संख्या में महिलाएं भी बैंक पहुंच रही थी, उधर कोरोना वायरस के संक्रमण की रोकथाम के लिए सोशल डिस्टेंस पर जोर दिया जा रहा है लेकिन बैंकों में भीड़ लगने से इसका पालन नहीं हो पा रहा है, जिससे बैंक मित्र ने काफी जिम्मेदारी निभा कर इस संकट की घड़ी में बखूबी निभा रहे हैं, खाताधारकों के घर पहुंचकर उनके धन निकासी करने में सहयोग कर रहे हैं, इस तरह से बैंकों में लगने वाली भीड़ खुद-ब-खुद छट जा रही है।


सोनरही-तेरहीमाफ़ी (तिंदवारी) के इंडियन बैंक (पूर्व इलाहबाद बैंक) से सम्बद्ध बैंक मित्र अभिलाष कुमार गुप्त के मुताबिक सामान्य दिनों की अपेक्षा लॉक डॉउन में तीन से चार गुना ज्यादा काम करना पड़ रहा है। ग्राहकों (मजदूरों, महिलाओं आदि) टेंट लगवाकर उन्हें 6-6 फीट की दूरी पर बने गोले में खड़े करना व हांथों को सेनेटाइज्ड करवाना उनको पानी पिलवाना आदि स्वयं कर रहे हैं। इस कार्य के लिए खुद के खर्च से तीन से चार लोग लगाए हैं। बीच-बीच लन्च पैकेट व मास्क वितरण भी किया जाता है, अब तक करीब एक हजार लंच पैकेट व 1800 मास्कों का वितरण किया गया है।

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