जिपं: फर्जी तरीके से पदौन्नति प्राप्त कर्मचारी कर रहे कार्य

जिपं: फर्जी तरीके से पदौन्नति प्राप्त कर्मचारी कर रहे कार्य

साक्ष्यों के बाद भी प्रशासन नहीं पहुंचा कोई निर्णय पर शिकायतकर्ता पर शिकायत वापस लेने बनाया रहा दबाब ललितपुर। जिला पंचायत में कुछ भी सम्भव है, यहाँ पर हमेशा से ही नियुक्ति और पदौन्नति में अपने चेहेतों को लाभ दिया गया है। शासन के नियमों को अनदेखा कर स्वयं नियम बनाकर कार्य किया जाता है।

साक्ष्यों के बाद भी प्रशासन नहीं पहुंचा कोई निर्णय पर

शिकायतकर्ता पर शिकायत वापस लेने बनाया रहा दबाब

ललितपुर। जिला पंचायत में कुछ भी सम्भव है, यहाँ पर हमेशा से ही नियुक्ति और पदौन्नति में अपने चेहेतों को लाभ दिया गया है। शासन के नियमों को अनदेखा कर स्वयं नियम बनाकर कार्य किया जाता है। ऐसा ही एक मामला अनुकम्पा नियुक्ति के दौरान चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी है, जिसकी नियुक्ति तो चतुर्थ श्रेणी पर हुई, किन्तु बाद में कूट रचित दस्तावेजों के माध्यम से पदौन्नति हासिल की, जिसकी शिकायत जिलाप्रशासन से की गयी, किन्तु पाँच माह बीत जाने के बाद भी जिला प्रशासन किसी नतीजे पर नहीं पहुँचा है। तो वहीं शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि जाँच अधिकारी शिकायत वापस लेने के लिए दबाब बना रहे हैं। शहर के मोहल्ला निवासी चम्पालाल ने जिलाधिकारी को दिये प्रार्थना पत्र में बताया कि जिला पंचायत में तैनात कर्मचारी इस्माइल खाँ की सेवाकाल में ही मृत्यु हो गयी थी, इसके बाद उनके पुत्र जमील खाँ ने अपर मुख्य अधिकारी जिला पंचायत को पत्र प्रेषित कर कक्षा आठ पास की शैक्षिक योग्यता बताते हुये, चतुर्थ श्रेणी के पद पर नियुक्ति के लिए दिया गया। उस समय कोई शैक्षिक योग्यता का प्रमाणपत्र नहीं दिया गया। इसके बाद ब्लॉक बिरधा अन्तर्गत ग्राम धौर्रा के जूनियर हाईस्कूल की सन 1976 की अंक तालिका की द्वितीय प्रति 25 जनवरी 92 पत्रावली लगायी गयी, इसके पश्चात जमील खाँ द्वारा 22 दिसम्बर 1999 को द्वितीय श्रेणी लिपिक के पर दिये गये प्रार्थना पत्र में लिखा है कि उनकी शैक्षिक योग्यता हिन्दी साहित्य सम्मेलन इलाहाबाद से प्रथमा परीक्षा सम्वत 2040 सन 1983 में उत्तीण  बताया गया। साथ ही इसके बाद दिनाँक रहित प्रार्थनापत्र में हिन्दी साहित्य सम्मेलन इलाहाबाद से वर्ष 1986 में प्रथमा परीक्षा उत्तीर्ण बताया गया था, जो विरोधाभासी थे। इस प्रमाण पत्र को हाईस्कूल के समकक्ष बताया गया था, लेकिन चयन समिति 3 जून 2011 में जमील खाँ को हाईस्कूल उत्तीर्ण बताया गया है, उक्त आदेश में कहीं भी प्रथमा प्रमाणपत्र का उल्लेख नहीं है।  पत्र में यह भी बताया गया कि माध्यमिक शिक्षा परिषद द्वारा हिन्दी साहित्य सम्मेलन की प्रथमा/मध्यमा परिक्षायें परिषद की हाईस्कूल/ इण्टरमीडिएट परीक्षा के समकक्ष मान्य नहीं किया गया है। साथ कार्मिक अनुभाग के शासनादेश में इस प्रथमा के प्रमाण पत्र को मान्यता नहीं दी गयी है। साथ ही सबसे बड़ा बिन्दु तो यही है, कि जब इनकी अनुकम्पा नियुक्ति की गयी, तो उस समय इस प्रमाणपत्र का उल्लेख नहीं किया है। शिकायतकर्ता ने जिला प्रशासन से निष्पक्ष जाँच की माँग की थी, इसके बाद जिला प्रशासन ने जाँच टीम गठित की, लेकिन जांच टीम समस्त साक्ष्यों के उपलब्ध होने के बाद भी किसी निर्णय पर नहीं पहुंची है। पाँच माह से चल रही जांच में निर्णय न निकलने के कारण शासकीय धन की क्षति हो रही है। 

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