भ्रष्टाचार का पर्याय बना सुम्मेरा तालाब

भ्रष्टाचार का पर्याय बना सुम्मेरा तालाब

पालिका प्रशासन ने अनाधिकृत कार्यो के भुगतान के लिये पहल की तेज अपर जिलाधिकारी के यहाँ फाइल रूकने के कारण फिरा मंशुबों पर पानी ललितपुर। सुम्मेरा तालाब नगर पालिका के लिए कमाई का गढ़ बन चुका है, वर्तमान पालिका वोर्ड द्वारा तालाब पर करेाड़ों के कार्य करा दिये गये। जबकि सुम्मेरा तालाब में सौन्यर्दीकरण के


पालिका प्रशासन ने अनाधिकृत कार्यो के भुगतान के लिये पहल की तेज


अपर जिलाधिकारी के यहाँ फाइल रूकने के कारण फिरा मंशुबों पर पानी


ललितपुर।

सुम्मेरा तालाब नगर पालिका के लिए कमाई का गढ़ बन चुका है, वर्तमान पालिका वोर्ड द्वारा तालाब पर करेाड़ों के कार्य करा दिये गये। जबकि सुम्मेरा तालाब में सौन्यर्दीकरण के लिए शासन द्वारा पर्यटन विभाग को सौंपा गया था, जहाँ पर्यटन विभाग ने समाजकल्याण निगम से कार्य कराया था। लेकिन जाँच में कार्य अधूरा होने के कारण कार्यदायी संस्था से वूसली प्रस्तावित की थी, इस बीच में पालिका को सुम्मेरा तालाब हस्तान्तरित ही नहीं किया था,

तो पालिका ने किस अधिकार से वहाँ पर पालिका के धन व्यय किया। इन्हीं सब आरोपों के चलते अधिशाषी अधिकारी के खिलाफ प्रशासन द्वारा कार्यवाही की गयी है। तालाब पर हुये कार्यों के भुगतान के लिए पालिका ने पूरी तैयारी कर ली थी, किन्तु जिला प्रशासन द्वारा अनुमोदन न करने के कारण पालिकाध्यक्ष के मंसुबों पर पानी फिर गया है।


नगर पालिकाध्यक्ष द्वारा अपने अधिकारों का दुरूपयोग करते हुये, पालिका वोर्ड मे प्रत्याशा प्रस्तावों के माध्यम से करोड़ो रुपये की निविदायें जारी की गयी, जबकि शासनादेशानुसार आपदा की स्थिति में एक लाख तक कार्यों की निविदा की स्वीकृति प्रत्याशा वोर्ड के माध्यम से की जाती सकती है। लेकिन इसके विपरीत लाखों रुपये की निविदायें निकाली गयी, जिसमें अधिकाँश सुम्मेरा तालाब की थी, नृसिंह मन्दिर पर घाटों के निर्माण कार्य के लिए 22लाख 16 हजार रुपये, घाट नम्बर एक के लिए 6 लाख 69 हजार 262 रुपये, घाट नम्बर दो के निर्माण के लिए 7 लाख 17 हजार 993 रुपये, घाट नम्बर तीन के निर्माण के लिए 6 लाख 5 हजार 190 रुपये, घाट नम्बर चार के निर्माण के लिए 18 लाख 55 हजार 168 रुपये, घाट नम्बर पाँच के निर्माण के लिए 9 लाख 20 हजार 525 रुपये के निविदायें जारी की गयी। इन 6 निविदाओं के अलावा 71 निविदायें और भी प्रत्याशा प्रस्तावों के द्वारा जारी की गयी।

इसकी शिकायत भी शासनस्तर पर की गयी, जिसके चलते अधिशाषी अधिकारी केा निकाय विभाग से अवमुक्त करते हुये, उनके मूल विभाग में भेज दिया गया। पालिकाध्यक्ष द्वारा लॉक डाउन का फायदा उठाने के लिए इन कार्यों की पत्रावली पूर्ण करा ली है, किन्तु जब यह पत्रावली टीएसी जाँच के लिए जिला प्रशासन के पास पहुंची तो वहाँ पर रोक ली, जिससे फिलहाल में पालिकाध्यक्ष के मंसूबों पर पानी फिर गया है। पाच लाख से अधिक का सिर्फ सुम्मेरा तालाब का भुगतान है, इसके अलावा अन्य कार्य और भी हैं।


अटैच भदौरिया जेई आये चर्चा में
नगर पालिका में फैले भ्रष्टाचार पर कुछ हद तक लगाम वहाँ पर तैनात अवर अभियन्ता लगाये हुये थे। चूँकि प्रत्याशा वोर्ड माध्यम से कराये गये कार्यों की अवर अभियन्ता द्वारा एमबी तैयार नहीं गयी, पालिकाध्यक्ष ने नाराज होकर वोर्ड से अन्य विभाग के अवर अभियन्ता को शासनादेश के विरूद्ध अटैच कराने का प्रस्ताव कराया। जिसके चलते लघु सिंचाई विभाग के अवर अभियन्ता राजकुमार भदौरिया को अटैच किया गया। अटैच होते ही इन्होंने जाँच में चल रहे प्रत्याशा वेार्ड के तहत कार्यों की एमबी तैयार कर दी।

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