मुख्य खाद्य सुरक्षाधिकारी पर अवैध धन उगाही का आरोप, डीएम से हुई शिकायत

मुख्य खाद्य सुरक्षाधिकारी पर अवैध धन उगाही का आरोप, डीएम से हुई शिकायत

रिश्वतखोरी में अव्वल है जिले का ये विभाग, व्यापारियों के शोषण पर ख़ामोश हैं जिम्मेदार हरदोई। भ्रष्टाचार एक ऐसी बीमारी है जो सभी विभागों में व्याप्त है, जिस कारण आये दिन कोई न कोई विभाग सुर्खियां में रहता है। आज जो विभाग भ्रष्टाचार के कारण सुर्खिया बटोरने जा रहा है वह हरदोई का खाद्य सुरक्षा

रिश्वतखोरी में अव्वल है जिले का ये विभाग, व्यापारियों के शोषण पर ख़ामोश हैं जिम्मेदार

हरदोई। भ्रष्टाचार एक ऐसी बीमारी है जो सभी विभागों में व्याप्त है, जिस कारण आये दिन कोई न कोई विभाग सुर्खियां में रहता है। आज जो विभाग भ्रष्टाचार के कारण सुर्खिया बटोरने जा रहा है वह हरदोई का खाद्य सुरक्षा विभाग व वर्तमान में तैनात मुख्य खाद्य सुरक्षाधिकारी सतीस कुमार है। यह वह विभाग है, जहाँ से खाद्य सामग्री बेचने वालों के लिए लाइसेंस जारी किए जाते है। आरोप है कि विभाग उन्ही के लाइसेंस जारी करता है जिनकी साठ गांठ हो जाती है, किंतु साठगांठ नही है तो लाइसेंस का आवेदन पत्र निरस्त कर दिया जाएगा।

इतना ही नही उक्त अधिकारी ने एक दलाल कुलदीप सिंह को कंप्यूटर ऑपरेटर के रूप में अनाधिकृत तरीके से कार्यालय में तैनात कर रखा है। शिकायतकर्ता का कहना है कि कुलदीप को रिश्वत के पैसे की वसूली के लिए रखा गया है, जिससे सरकारी अधिकारी या कर्मचारी न फंसें। आरोप पत्र के अनुसार एप्लिकेशन रिफरेंस नम्बर 20200101134358323, 20191220133958180, 20200118142039040 में नियमानुसार किराये का 4% स्टाम्प ड्यूटी आवेदनकर्ता को विभाग को अदा करनी होती है।

विभाग यह स्टाम्प डियूटी की धनराशि को सरकार के कोष में जमा करता है, लेकिन डीओ सतीश कुमार ने अपने निजी फायदे की पूर्ति के लिए सभी नियम को ताक पर रख कर राजस्व को चूना लगाते हुए मात्र 10 रुपये के स्टाम्प पर सहमति पत्र लगवा कर लाइसेंस जारी कर दिए। इतना ही नही उक्त आवेदन पत्रों में किसी पर हस्ताक्षर नही है, तो किसी मे पार्टर वाले ऑप्शन में रेंट अग्रीमेंट को ही अपलोड कर दिया। ऐसा संबंधित अधिकारी ने इसलिए किया है, क्योंकि यह संबंधित आवेदन पत्र रसूखदार व्यपारियों के है,

जिस कारण निजी स्वार्थ को पूरा करने के लिए सभी नियमो को ताक पर रख कर भ्रष्टाचार को अंजाम दिया गया।शिकायत में वही दूसरी ओर उन आवेदन पत्रों का भी उल्लेख किया गया है जो साठ गांठ कर लाइसेंस जारी किए गए है उसमें प्रमुख रूप से एप्लिकेंट रिफरेन्स नम्बर 20191220133958180 कैफ एन्ड रेस्टोरेंट हुक्काबार जिसका 20 दिसंबर 2019 को आवेदन किया गया, जिसका दिनांक 13 जनवरी 2020 को ही लाइसेंस जारी कर दिया गया। इसी तरह से रेफरेंस नम्बर 20200117132641683 द के0एम0ट्रेडर्स, लक्ष्मी किराना स्टोर, होटल गंगा जमुना, सिंह डेयरी, दिवाकर मिनी राइस मिल आदि के आवेदन पत्र विभाग को प्राप्त हुए और कई प्रकार की कमी होने के बाबजूद मात्र 15 दिन के अंदर ही संबंधित अधिकारी ने लाइसेंस जारी कर दिए।

वही दूसरी ओर शिकायती पत्र में उन आवेदन पत्रों का भी उल्लेख किया गया जो महीनों से लंबित पड़े है। इन आवेदन पत्र में प्रमुख रूप से आवेदन पत्र संख्या 20191225093200670, 20200124173812820, 20191108164539810, 20200116220608900 है, जो महीनों से लंबित पड़े है। जबकि इन आवेदन पत्रों के बाद जो लाइसेंस के लिए आवेदन किये गए वह आवेदन पत्र स्वीकार करते हुए लाइसेंस जारी कर दिए गए।शिकायतकर्ता अपने एक परिचित की लाइसेंस जिसे विभाग ने लंबित कर रखा था

उसकी जानकारी करने कार्यालय जाता है तो मुख्य खाद्य सुरक्षाधिकारी मारने तक की धमकी दे डालते है, और शिकायतकर्ता को वहाँ से भगा देते है। हालांकि शिकायत पत्र को संज्ञान में लेते हुए जाच के आदेश दे दिए गए है अब देखना यह है कि तथ्यों के साथ की गईं शिकायत पर क्या कार्यवाही होती या फिर प्रकरण को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा और व्यापारियों का शोषण संबंधित अधिकारी दलालो के माध्यम से इसी प्रकार करता रहेगा।

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