नहीं रहे ललितपुर के मधुलिमये

नहीं रहे ललितपुर के मधुलिमये

संदिग्ध परिस्थिति में नारायणी नदी पर स्थित रेलवे पुल के नीचे मिला शव हत्या व हादसे की बीच रही गुत्थी, पुलिस कर रही घटना की जाँच ललितपुर। समाजवादी विचारक व सहरियों को न्याय दिलाने के लिए जीवन भर संघर्ष करने वाले नेता मुरारी लाल जैन की रेल दुघर्टना के दौरान मृत्यु हो गयी, तो वहीं


संदिग्ध परिस्थिति में नारायणी नदी पर स्थित रेलवे पुल के नीचे मिला शव
हत्या व हादसे की बीच रही गुत्थी, पुलिस कर रही घटना की जाँच
ललितपुर। समाजवादी विचारक व सहरियों को न्याय दिलाने के लिए जीवन भर संघर्ष करने वाले नेता मुरारी लाल जैन की रेल दुघर्टना के दौरान मृत्यु हो गयी, तो वहीं उनके शव की हालत को देखते हुये, उनकी मृत्यु का कारण संदिग्ध नजर आ रहा है। हालाँकि मध्य प्रदेश शासन ने पैनल के द्वारा पोस्टमार्टम कराया है। पुलिस पूरे घटना क्रम की जाँच कर रही है। वह लखनऊ से आम आदमी पार्टी के सम्मेलन से वापस लौट रहे थे। उनकी मौत समाचार सुनकर पूरे जनपद में शोक की लहर दौड़ गयी। सहरियों को न्याय दिलाने के लिए उन्होंने शासन व प्रशासन से कई लड़ाईयाँ लड़ी, जिस कारण उन्हें आम जनता के बीच में आज का मधुलिमये कहा जाता था।
जनपद में लम्बे अरसे से गरीबों व मजलूमों के लिए न्याय की लड़ाई लडऩे वाले नेता का सोमवार की सुबह देहान्त हो गया है। वह लखनऊ से रविवार को आम आदमी पार्टी की बैठक से वापस जनपद पुष्पक ट्रेन द्वारा आ रहे थे। उनकी ट्रेन में नींद लग गयी, जब उनकी नींद खुली तो वह ललितपुर स्टेशन से निकल चुकी थी, धौर्रा के पास ट्रेन धीमा होता देख उन्होंन अपने भतीजे विवेक को फोन लगाया,जो कि कस्बा जाखलौन में निवास करता है, उससे कहा कि वह धौर्रा स्टेशन पर उतर रहे हैं, इसके बाद बोले धौर्रा स्टेशन निकल गया है, इस कारण वह अगले किसी स्टेशन पर उतरकर आयेंगे, बाद फोन लगाने की बात कहकर फोन को काट दिया। लेकिन उन्होंने नारायणी नदी के पुल का जिक्र किया, यही उनकी लाश उसी पुल के नीचे पड़ी मिली। डीआरएम झाँसी ने बताया कि नारायणी नदी से ट्रेन 96 किलोमीटर प्रतिघण्टा की रफ्तार से गुजरी है। साथ उसके बाद ट्रेन आगासौद में दो मिनट रूकी, जब वहाँ उत्कल एक्सप्रेस खड़ी थी, लेकिन वहाँ पर माना जा रहा है वह आगासौद पहुँचे ही नहीं, अगर वह आगासौद पहुँच जाते तो वह अपने भतीजे को फोन पर सूचित करते, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसलिए यह माना जा रहा है कि वह आगासौद नहीं पहुंचे, लेकिन पूरे प्रकरण में उनकी मौत का रहस्य नहीं खुल रहा है।
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यह बिन्दु दर्शाते हैं, हत्या की आशंका
चूँकि नारायणी नदी के पुल के नीचे जहाँ इनका शव मिला है, वहाँ पर शव छत विक्षत हो जाता, क्योंकि रेलवे पुल की ऊंचाई 15 मीटर से अधिक है। जिस पत्थर पर उनका शव पड़ा मिला वह नुकिला था, लेकिन इतनी ऊंचाई से गिरने के बाद भी वह आरपार नहीं हुआ है। अगर ट्रेन से वह गिरते तो उनका समान उनके साथ नहीं होता, किन्तु उनका समान उनके पास ही मिला। यह सभी बिन्दु हत्या की आशंका को दर्शाते हैं। चूँकि गरीबों की न्याय दिलाने में कई अमीरों की नजरों में वह खटक रहे थे। इसलिए उनके शत्रुओं की संख्या भी काफी बड़ गयी थी, इस हादसे को लेकर तरह-तरह की प्रतिक्रियायें आ रही हैं।


छात्रों के हक की लड़ाई से रखा था राजनीति में कदम
जनपद में मुरारी लाल जैन का लम्बा राजनैतिक इतिहास रहा है। यह नेहरू महाविद्यालय में छात्र संघ के उपाध्यक्ष रहे। इसके बाद इन्होंन 80 के दशक में नेमी चन्द्र जैन व राजेन्द्र रजक के साथ जनपद में महाविद्यालय की मांग को लेकर बड़ा छात्र आन्दोलन किया, जिसके चलते इन्हें एक पखवाड़े से अधिक समय जेल में काटना पड़ा, लेकिन आन्दोलन के कारण जनपद को रघुवीर सिंह महाविद्यालय मिला, जो आज भी जनपद में संचालित हो रहा है। यही इन्होंने सन 1984 में जनता दल से सदर विधानसभा का चुनाव लड़ा, जिसमें कांग्रेस उम्मीदवार राजेश खैरा की कढ़ी टक्कर दी थी, हालाँकि यह चुनाव नहीं जीत पाये थे। इनकी राजनैतिक शुरूआत लोकदल से हुई, इसके बाद वह जनता दल व उसके बाद समाजवादी पार्टी में यह राष्ट्रीय कार्यकारणी के सदस्य भी रह चुके थे। वर्तमान यह आम आदमी पार्टी के सह प्रदेश प्रभारी थे। इन्होंने अपने राजनैतिक कैरियर में अपने सिद्धान्तों कभी समझौता नहीं किया, हमेशा ही गरीबों व मजलूमों की लड़ाई यह लड़ते रहे, यही कारण है कि यह कभी भी किसी संवैधानिक पद पर नहीं रहे, किन्तु लोगों के दिलों में इनका कद किसी संवैधानिक पद से कम भी नहीं रहा है।


मधुलिमये से प्रभावित होकर सहरिया जाति के उत्थान में जुड़े
वैसे तो मुरारी लाल जैन हमेशा से ही गरीबों के लड़ते रहे हैं, किन्तु समाजवादी विचारोंं के निबन्धकार मधुलिमये से प्रभावित होकर वह सहरिया जन जाति के उत्थान के लिए उनके बीच में गये। यही नहीं उन्होंने जंगलों पर इस जनजाति के भूमि अधिकार की लड़ाई लड़ी, उन्होंने सहरिया आन्दोलनों में बढ़चढ़ हिस्सा लिया, यही कारण था कि उनके नेतृत्व के बिना जनपद में आजतक कोई सहरिया आन्दोलन सफल नहीं हो पाया है। इसीलिए उन्हें जनपद का मधुलिमये कहा जाता था।


रेलवे प्रशासन की रही गलती
चूँकि मुरारी लाल जैन पुष्पक एक्सप्रेस के सेकण्ड एसी कोच में सफर कर रहे थे, चूंकि एसी में किसी यात्री को उसके गन्तव्य स्थान पर पहुंचने पर कोच में तैनात यात्री अटैण्डर की जिम्मेदारी होती है, कि वह यात्री को सूचित करे। साथ अगर नींद में है, उसे जगाये। लेकिन उक्त घटना में ऐसा नहीं हुआ है। जिससे सीधे तौर रेलवे प्रशासन की लापरवाही भी सामने आ रही है।

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