‌कृषि वैज्ञानिकों की सलाह पर ही खेती करने से किसानों की गरीबी दूर हो सकती है। शीशपाल सिंह

‌कृषि वैज्ञानिकों की सलाह पर ही खेती करने से किसानों की गरीबी दूर हो सकती है। शीशपाल सिंह

‌कारडेट की स्थापना दिवस पर हुई किसान गोष्ठी।



‌कारडेट की स्थापना दिवस पर हुई किसान गोष्ठी।‌स्वतंत्र प्रभात 

 दया शंकर त्रिपाठी-

‌‌प्रयागराज मोतीलाल नेहरू फार्मर ट्रेंनिंग इंस्टीट्यूट में कार डेट के४४ वे स्थापना दिवस पर आयोजित रवि फसल विचारगोष्ठी में कोर डेट प्रबंध समिति के अध्यक्ष चौधरी शीशपाल सिंह ने कहा वैज्ञानिकों के बताए हुए सलाह के अनुसार खेती करने से ही किसानों का दुख दरिद्र दूर हो सकता है। उन्होंने याद दिलाया कि आज से ६० साल पूर्व याद करिए खाने के लिए गेहूं सरकार को विदेशों से मंगाना पड़ता था।

लेकिन हरित क्रांति के बाद वैज्ञानिकों की सलाह पर यहां के किसानों की बदौलत यह देश आज यह  अन्न के मामले में आत्मनिर्भर हो चुका है । उन्होंने सवाल किया कि यदि इस देश का किसान हरित क्रांति के बाद अपनी मेहनत के बल पर वैज्ञानिक खेती करके देश को आत्मनिर्भर बना सकता है तो अपनी निजी गरीबी और दुख दरिद्र क्यों नहीं दूर कर सकते।

‌चौधरी शीशपाल फसल विचार गोष्ठी में किसानों को संबोधित कर रहे थे उन्होंने आगे कहा की इफको या का रडेट का संचालक मंडल में आप ही के द्वारा चुने हुए लोग हैं ।आपकी समस्या और दुख दर्द को वह भली भांति जानते हैं ।उसी के अनुसार ही वह गोष्ठी और किसानों को प्रशिक्षण देने की योजना बनाते हैं ।और बड़े-बड़े वैज्ञानिकों को बुलाकर वैज्ञानिक खेती की सलाह देते हैं।


लेकिन यहां का किसान उनकी सलाह को मानता नहीं है जिससे वह हमेशा खेती के कार्यों में नुकसान उठाता है। उन्होंने कहा कि इसका कारण अशिक्षा भी है हमारी प्राथमिक शिक्षा आज भी बहुत कमजोर है कि किताबी शिक्षा तो हो चुकी है लेकिन नैतिक शिक्षा ना होने के कारण परिवार और समाज में अनुशासन नहीं रह गया है। इसलिए अच्छी सलाह को भी आजकल के नौजवान अपनाते नहीं हैं और यही किसानों की दुख और दरिद्र का मुख्य कारण बन गया है।

‌ उन्होंने किसानों से अपील की कि यह मोतीलाल नेहरू ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट केवल किसानों के उन्नत के लिए ही स्थापित किया गया था यहां पर जो भी सलाह दी जाती है  उसका पालन करते हुए लाभ उठाएं।

‌इस अवसर पर कृषि निदेशक विवेक सिंह ने कहा कि हम भी इसी क्षेत्र के रहने वाले हैं और किसान के बेटे हैं हम किसानों की पीड़ा समझते हैं जो भी समस्याएं कृषि से संबंधित हो उनके संज्ञान में लाया जाए उसका  समाधान करेंगे। उन्होंने भी वैज्ञानिक खेती करने की सलाह देते हुए कहा कि युग बदल गया है अब किसानों को चाहिए कि वह सरकार के अनुदान पर निर्भर न रहें बल्कि आत्मनिर्भर बन जाए उन्होंने जैविक खेती करने की सलाह देते हुए रासायनिक खेती बंद करने की अपील की।

‌ उन्होंने कहा की पैदावार तो आप बड़ा सकते हो लेकिन गुणवत्ता पर भी ध्यान देने की जरूरत है। रासायनिक खेती से अनेक रोगों का जन्म हो रहा है इसलिए जैविक देसी खाद का प्रयोग करते हुए ही खेती को अपनाया जाए। उन्होंने अपना गांव मिर्जापुर को  कारडेट द्वारा गोद लेने की अपील की जिससे वहां के किसान लाभान्वित हो सकें।



‌इफको इकाई के प्रमुख संजय कुदेशीया ने कहा कि हमारी संस्था किसानों की है और हम किसानों की उन्नत के लिए ही सारा कार्य करते हैं ।हम यूरिया खाद बनाते हैं लेकिन हम यूरिया खाद को ना डालने की भी सलाह देते हैं उसका कारण है खेती की उर्वरा शक्ति का कमजोर होना। नैनो फर्टिलाइजर की खोज इफको ने किया है ।और उसका कारखाना यहां लग रहा है जिसका उत्पादन अगले वर्ष तक बाजार में आ जाएगा ।उन्होंने नैनो फर्टिलाइजर को सारे रसायनिक खादों का विकल्प बताते हुए कहा कि यह किसानों के लिए वरदान साबित होगी।

‌प्रबंध समिति के सदस्य आर पी सिंह बघेल ने कहा कि बड़ा दुर्भाग्य है कि का डेट और इफको जैसी संस्था इस क्षेत्र में रहते हुए भी यहां के किसान की सोच नहीं बदल पाई वरना यह क्षेत्र पूरे प्रदेश में एक आदर्श क्षेत्र माना जाता।



‌पूर्व जिला परिषद अध्यक्ष और उन्नतशील किसान बीडी सिंह ने कहा कि जिप्सम पर तो सरकार तुरंत छूट दे कर के ही खरीदने के लिए प्रेरित करती है लेकिन किसान के सरकारी गोदामों से बीज और अन्य सामान लेने पर उसका छूट का लाभ सालों लटक जाने के बाद भी नहीं मिलता है ।उन्होंने कृषि निदेशक से इस पर विचार करने तथाइस व्यवस्था को सुधार करने की अपील की।



‌कारडेट के सचिव अभिमन्यु राय ने  की स्थापना और का रडेट के क्रियाकलापों के बारे में विस्तार से चर्चा की प्रधानाचार्य डीवीएस तोमर ने सभी आए हुए आगंतुकों का स्वागत किया और संस्था के बारे में विस्तार से जानकारी दी


‌कार्यक्रम का संचालन कर रहे मुख्य प्रबंधक राजेंद्र यादव ने कहा कि किसान यदि ठान ले तो क्या नहीं कर सकता हरित क्रांति इसका उदाहरण है लेकिन उसे हताश नहीं होना चाहिए । इस महंगाई के युग में खेती बहुत महंगी हो गई है और उसका बिक्री मूल्य काफी नीचे है ।इसको सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं को ध्यान देना चाहिए उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि आज से 70 वर्ष पूर्व प्राइमरी का अध्यापक ₹100 वेतन पाता था  आज  २५ हजार गुना बढ़ चुकी है 

लेकिन किसान का ₹100 कुंतल गेहूं जो 70 वर्ष पहले खरीदा जाता था वह आज अट्ठारह सौ रुपया हो गया मात्र 18 गुना ही  उसका दाम बढ़े हैं। किसान में निराशा है ।लेकिन इसके बावजूद  किसान को हताश नहीं होना चाहिए उन्होंने आए हुए अतिथियों का स्वागत करते हुए धन्यवाद ज्ञापित किया इस अवसर पर 

‌ जैविक विशेषज्ञ हरिमाधव शुक्ल ने विस्तार से खेती करने की विधि को किसानों के बीच में बताया इस अवसर पर अनेक किसान और अधिग्रहीत किए गए गांव के लोगों को सिलाई मशीन तथा मुफ्त में काला गेहूं का वितरण किया गया।
 

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