प्रदूषण विभाग को धता बताते हुए खुले आम बहा देते ज़हरीला पानी किसानों के सामने रोजी संकट पलायन को मजबूर

प्रदूषण विभाग को धता बताते हुए खुले आम बहा देते ज़हरीला पानी किसानों के सामने रोजी संकट पलायन को मजबूर

प्रदूषण विभाग को धता बताते हुए खुले आम बहा देते ज़हरीला पानी किसानों के सामने रोजी संकट पलायन को मजबूर


 उन्नाव की पूरे देश मे अपनी एक अलग औद्योगिक पहचान हैं। लेकिन उन्नाव की यही औद्योगिक पहचान अब उसके लिए काल बनती जा रही है। उन्नाव में दही चौकी क्षेत्र और बंथर में मानकों को ताक पर रख कर चलाये जा रहे यांत्रिक कत्ल खानों और ट्रेंरियों की वजह से आस पास के गाँवो के लोग नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं। यहां मॉडल ट्रेनरी पेस्फिक ट्रेनरी मॉडेल एक्ज़िम से निकलने वाला गन्दा पानी और डीप बोर करके जमीन के अन्दर गंदे पानी को डीप बोर किया जा रहा है। गंदे पानी को जमीन में डालने का खेल भी बिल्कुल अलग है। अवैध तरीके से हो रही जानवरों की स्लॉटरिंग के बाद बचने वाले वेस्ट और गंदे पानी को ये फैक्ट्री संचालक प्रदूषण विभाग को धता बताते हुए खुले आम बहा देते हैं और ज्यादा वेस्ट होने पर उसे डीप बोर कर देते हैं।

जिस कारण आस पास के करीब एक सैकड़ा गाँवो में पीने का पानी जहर बन चुका है। लगातर शिकायतें करने के बाद अब इन गांव के लोगों ने हार मान ली है और इसे अपनी किस्मत मान कर बर्दास्त करने को मजबूर हैं। प्रदूषण विभाग और खुद को जिम्मेदार बताने वाला उन्नाव जिला प्रशासन इन लोगो को जहरीला पानी पीने पर मजबूर कर चुका है। आपको बता दें की पानी में फ्लोराइड सालिनिटी आर्सेनिक रसायन की मात्रा काफी बढ़ गई है। उन्नाव में लगे बूचड़खाना मालिकों और लापरवाह प्रदूषण विभाग की कार गुजारियों की सजा आस पास के करीब एक सैकड़ा गाँवो के कई लाख लोगों को भुगतनी पड़ रही हैं और इस सब की वजह है इन यांत्रिक कत्लखानों में मानकों को ताक पर रख कर होने वाली जानवरों की स्लॉटरिंग है। क्षमता से अधिक स्लॉटरिंग और ट्रेंरियों के कारण स्लॉटरिंग के बाद बचे वेस्ट गंदे पानी और खून को डीप बोर कर भूमिगत जल को बुरी तरह से दूषित किया जा रहा है। जिसकी वजह से पानी में फ्लोराइड,सालिनिटी आर्सेनिक रसायन की मात्रा काफी बढ़ गई है।

जिसकी वजह से आज आस पास के सैकड़ों गाँवो में लगे हैण्डपम्प और कुओं से निकलने वाला पानी पूरी तरह से पीला हो चुका है। पानी की हकीकत आप तस्वीरों में खुद देख सकते हैं। इन गांवों के लोगों के सामने पीने के पानी की कितनी दिक्कतें है तस्वीरें साफ बयान कर रही हैं। तस्वीरों में दिख रहे ग्लास में पीले रंग का पदार्थ कुछ और नही हैंड पम्प से निकलने वाला पानी है। यह पानी इतना ज्यादा दूषित हो चुका है कि बर्तन में भरने के कुछ ही देर बाद पानी के साथ ही बर्तन का रंग भी पीला पड़ जाता है। आपको बता दें की उन्नाव में सात यांत्रिक बूचड़खाने हैं। इन बूचड़खानों की वजह से यहां के आस पास के किसानों के सामने रोजी का संकट खड़ा हो गया है। इन यांत्रिक बूचड़खानों से निकलने वाले गंदे पानी खून और रसायनों की वजह से किसानों की जमीन बंजर हो रही है। जिस कारण मजबूरी में किसान अपनी जमीनें इन फैक्ट्री मालिकों और दलालों को औने पौने दामों पर बेचने को तैयार हैं। इन फैक्ट्री संचालकों की गुंडई बताने के लिए ये तस्वीरों काफी हैं।

आप तस्वीरों में साफ तौर पर देख सकते है कि किसानों के खेत किस तरह से गंदगी के ढेर और दलदल में तब्दील हो चुके हैं। ये स्लॉटर हाउस खुले आम गंदा पानी बहा रहे है और प्रदूषण विभाग मौन साधे है। औद्योगिक क्षेत्र में लगा सीईटीपी सिर्फ खाना पूर्ति कर रहा है। क्योंकि जनपद का कोई भी यांत्रिक बूचड़खाना के सीईटीपी प्लान से अनुबंध नही किये हैं जिसकी वजह से निकलने वाला गंदा पानी और वेस्ट बाहर ही बहा दिया जाता है। इन स्लॉटर हाउस की वजह से औद्योगिक क्षेत्र से गुजरी लोन नदी अब लोन नाले या यूं कह लिया जाए कि गंदे नाले में तब्दील हो चुकी है।

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