कोरोना क्राइसिस में आर्थिक सुस्ती से उबरने को सीआईएल का निजीकरण 

कोरोना क्राइसिस में आर्थिक सुस्ती से उबरने को सीआईएल का निजीकरण 

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2020 में ही 26 सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण की की थी घोषणा सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (सीआईएल) भी इसी की जद में, कर्मचारियों का निरंतर विरोध-प्रदर्शन स्वदेशी उत्पाद, रक्षा उपकरणों से लेकर विभिन्न क्षेत्रों में कार्य के जरिए 3500 करोड़ के सरकारी आयात से निजात दिला रही कम्पनी स्वतंत्र प्रभात दयाशंकर

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2020 में ही 26 सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण की की थी घोषणा

सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (सीआईएल) भी इसी की जद में, कर्मचारियों का निरंतर विरोध-प्रदर्शन

स्वदेशी उत्पाद, रक्षा उपकरणों से लेकर विभिन्न क्षेत्रों में कार्य के जरिए 3500 करोड़ के सरकारी आयात से निजात दिला रही कम्पनी

स्वतंत्र प्रभात 
दयाशंकर त्रिपाठी। प्रयागराज ब्यूरो 
स्वदेशी उत्पादों के जरिए सीकर मिसाइल राडोम, सोलर फोटोवोल्टिक, एक्सल काउंटर, पीजो सब्सट्रेट, रिमोट वोटिंग मशीन के साथ बुलेट प्रूफ जैकेट से लेकर दिव्य नयन अर्थात दिव्यांगों के लिए उपकरण तक मे अपने प्रोडक्ट के जरिए देश का आयात में हजारों करोड़ रुपए बचाने वाली सार्वजनिक क्षेत्र की कम्पनी सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (सीईएल) के प्राइवेटाइजेशन को सरकार ने हरी झंडी दे दी है। इस फैसले से कार्यरत कर्मी अब विरोध-प्रदर्शन की राह पर हैं। आर्थिक सुस्‍ती (इकोनॉमिक शट डाउन) को लेकर पहले से ही जूझ रही भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था (इंडियन इकोनामी) कोरोना संकट (कोरोनावायरस क्राइसिस) के बीच बुरी तरह हिल गई है।
कोरोना क्राइसिस में आर्थिक सुस्ती से उबरने को सीआईएल का निजीकरण 
हालात ऐसे हैं कि केंद्र सरकार लगातार सरकारी उपक्रमों (पीएसयू ) में अपनी हिस्‍सेदारी बेचने की योजना पर काम कर रही है। इसी क्रम में 27 जुलाई 2020 को वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक अहम घोषणा करते हुए बताया था कि केंद्र सरकार ने 23 सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के निजीकरण (प्राइवेटाइजेशन) का फैसला लिया है। ऐसे में इस फैसले की जद में आई सीआईएल को निजी हांथों में सौंपने से बचाने की कवायद तेज हो गई है। हालांकि  इसके सहित कुल दो दर्जन कम्पनियों के निजीकरण को कैबिनेट से भी हरी झंडी मिल चुकी है।

सेंन्ट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (सीईएल) का इतिहास 

यह सन 1974 में स्थापित एक सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है, जो विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधीन कार्य करता है एवं कई उत्पादों पर सीईएल, डीआरडीओ और सीएसआईआर प्रयोगशालाओं के साथ काम कर रहा है।
कोरोना क्राइसिस में आर्थिक सुस्ती से उबरने को सीआईएल का निजीकरण 

राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए विकसित किए कई रणनीतिक स्वदेशी उत्पाद

फेज कन्ट्रॉल मॉडयूल : स्वाति और राजेन्द्र राडार जैसे विभिन्न राडार के लिए इसके साथ कैडमियम जिंक टेल्यूरियम (एक आयात प्रतिबंधित वस्तु के लिए सब्सट्रेट बनाते हैं), बुलेट प्रूफ जैकेट, सीकर मिसाइल राडोम (एस्ट्रा और आकाश मिसाइल सिस्टम के लिए। यह तकनीक और मशीन इतनी प्रभावशाली है कि ये देश के कई मिसाइल सिस्टम को सपोर्ट कर सकती है), पीजो सब्सट्रेट बन्दूकों और तोपखाने, लेजर फेन्सिंग सिस्टम, एसएसपीए, दिव्य नयन (
दिव्यांगों के लिए उपकरण), टीआर माड़यूल (अगली पीढ़ी के रडार के लिए),  सोलर फोटोवोल्टिक (सन् 1977 में देश में पहला सोलर सैल और सन् 1978 में सोलर पैनल विकसित करके दूर-दराज और पहाड़ी क्षेत्रों में स्थापित किया गया),  एक्सल काउन्टर (सीईएल एक्सल काउन्टरों का उत्पादन करके भारतीय रेलवे में सुरक्षा से सम्बन्धित योगदान दे रहा है), रिमोट वोटिंग मशीन- आरवीएम (सीईएल संस्थान एक अत्याधुनिक तकनीक के साथ ईसीआई और आईआईटी के साथ मिलकर एक पारदर्शी मतदान प्रणाली के लिए, जिसे देश में किसी ने भी विकसित नहीं किया है)।

3500 करोड़ के आयात शुल्क बचाता है सीईएल 

सीईएल के निजीकरण का निर्णय सन 2014 तक के अपने प्रदर्शन पर लिया गया था। परन्तु आज 7 वर्ष बाद सीईएल राष्ट्रीय सुरक्षा के उत्पाद तैयार करने में आगे निकल चुका है। इतना ही नहीं सरकार को सहयोग देकर भारी कर का भुगतान करते हुए लगातार लाभ अर्जित करते हुए अब तक देश के 3300 करोड़ रुपए की भारी आयात लागत को बचाने का कार्य भी सीईएल की ही देन है।

नीति आयोग ने जताई चिंता, सीईएल  निजीकरण पर पुनिर्विचार का सुझाव 

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नीति आयोग ने सीईएल संस्थान के निजीकरण पर चिन्ता व्यक्त कर पुनर्विचार करने के लिए दीपम और अन्य मंत्रालयों को जागरूक होने के लिए सचेष्ट किया। जिसमें नीति आयोग ने दो बार सरकार को पत्र लिखकर सुझाव दिया है कि सीईएल  संस्थान को किसी ऐसे संस्थान में ही विलय किया जाए जो राष्ट्र सुरक्षा के हिसाब से रणनीतिक उत्पादों का निर्माण कर रहा हो एवं संस्थान का निजीकरण करके देश की सुरक्षा को निजी हाथों में सौंप कर खतरा पैदा हो सकता है तथा संस्थान की महत्ता को बताते हुए न्याय संगत दायरे में रखकर फैसला लेने के लिए कहा।

निजीकरण के फैसले से लेकर अभी तक निरंतर विरोध, हो रही अनदेखी 

सरकार द्वारा जब से निजीकरण का फैसला लिया गया है तब से ही  सीईएल के कर्मचारियों का संगठन उस समय से विभिन्न रूपों में अपना विरोध प्रदर्शन कर रहा है परन्तु दीपम और मंत्रालय निजीकरण के खिलाफ उनके विरोध प्रदर्शन की अनदेखी  करते हुए मूकदर्शक बना है।

स्थानीय विधायकों का समर्थन, सीएम की इस निर्णय पर चुप्पी 

संस्थान के कर्मचारियों ने स्थानीय विधायक जनरल वी.के. सिंह एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से सम्पर्क किया था परन्तु उक्त संदर्भ में हुए केंद्र के फैसले पर वह चुप्पी ही साधे हुए हैं। सूत्रों का कहना है कि कुछ राज्यों के सीएम एवं स्थानीय विधायकों ने निजीकरण को रोकने के लिए सार्वजनिक उपक्रम का समर्थन किया है।

वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जुलाई, 2020 को ही की है घोषणा 

भारत सरकार की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने निजीकरण के दायरे में आने वाली सार्वजनिक क्षेत्र की  कंपनियों में सरकार की हिस्‍सेदारी बेचने की घोषणा पहले ही कर चुकी  हैं। 26 कंपनियों के नाम के साथ ये भी बताया गया है कि बेची जाने वाली हिस्‍सेदारी का प्रतिशत बाजार के मुताबिक तय किया जाएगा। दरअसल आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत केंद्र सरकार ने सभी सेक्टर्स को निजी क्षेत्र के लिए खोलने का फैसला किया है। अलग-अलग सेक्‍टर्स के लिए निजीकरण की नीति पर अंतिम फैसले की ओर उत्सुक निगाहें लगी हैं।

सीईएल के साथ इन 26 कंपनियों के निजीकरण की कवायद 

प्रोजेक्ट डेवलपमेंट इंडिया लिमिटेड  (पीडीआईएल), इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट्स इंडिया लिमिटेड (ईपीआईएल), पीएचएल, बी एंड आर कम्पनी लिमिटेड, एयर इंडिया, सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (सीईएल), सीमेंट कार्पोरेशन इंडिया लिमिटेड, (नयागांव यूनिट), इंडियन मेडिसिन एंड फार्मास्यूटिकल्स कारपोरेशन लिमिटेड, सालेम स्टील प्लांट, भद्रावती स्टील प्लांट evn दुर्गापुर स्टील प्लांट, फेरो स्क्रैप निगम लिमिटेड (एफएसएनएल), नागर्नर स्टील प्लांट ऑफ एनडीएमसी, भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड, (बीईएमएल), एचएलएल लाइफ केयर,
भारत पेट्रोलियम कारपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल), शिपिंग कॉरपोरशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एससीआई), कंटेनर कारपोरेशन आफ इंडिया लिमिटेड, नीलांचल इस्पात निगम लिमिटेड (एनआईएनएल),  एचपीएल, भारत पम्प्स एंड कम्प्रेशर्स लिमिटेड (बीपीसीएल), स्कूटर्स इंडिया लिमिटेड (एसआईएल), हिन्दुस्तान न्यूजप्रिंट लिमिटेड (एचएलएल), कर्नाटका एंटीबायोटिक्स एंड फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड  (केएपीएल), बंगाल केमिकिल्स एंड फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड (बीसीपीएल),
हिन्दुस्तान एंटीबायोटिक्स लिमिटेड (एचएएल), इंडियन टूरिज्म डेवलपमेंट कारपोरेशन (आईटीडीसी) तथा  एचएफएल शामिल हैं।
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