सूर्य नारायन विश्वकर्मा क्या हमारा देश आत्मनिर्भरता की ओर-

सूर्य नारायन विश्वकर्मा क्या हमारा देश आत्मनिर्भरता की ओर-

कोविड 19 कोरोनावायरस महामारी के मद्देनजर देश की जनता व देश की हालत बहुत ही ज्यादा बदतर हो गई है यहां तक कि श्रर्मिक मजदूर एवं मध्यम वर्ग के लोगों को तमाम प्रकार के दुश्वारियां झेलनी पड़ रही है लॉकडाउन के चलते कितने श्रमिक मजदूर का घर परिवार भी चलाने में काफी दिक्कत का सामना


कोविड 19 कोरोनावायरस महामारी के मद्देनजर देश की जनता व देश की हालत बहुत ही ज्यादा बदतर हो गई है यहां तक कि श्रर्मिक मजदूर एवं मध्यम वर्ग के लोगों को तमाम प्रकार के दुश्वारियां झेलनी पड़ रही है लॉकडाउन के चलते कितने श्रमिक मजदूर का घर परिवार भी चलाने में काफी दिक्कत का सामना करना पड़ा। कोविड-19 को लेकर देश तो अंधकार की तरफ

चल पड़ा है लेकिन देश को अंधकार की तरफ जाने से कोई महानायक रोकने में आगे नहीं आ रहा है लाक डाउन का घोषणा भी कोई तैयारी द्वारा नहीं किया गया था नहीं तो देश के श्रर्मिक व प्रवासी मजदूरों को नाको चने चबाने ना पड़ते थे। अगर तैयारी द्वारा लॉक डाउन की घोषणा की गई होती तो देश के श्रर्मिक व प्रवासी मजदूरों को सैकड़ों हजारों किलोमीटर दूर पैदल चलकर

अपने घर को ना आना पड़ता श्रमिक वा प्रवासी मजदूरों को अपने घर आने में कितने की जान चली गई देश के महानायको के इस पैकेज से सर में मजदूरों का क्या फायदा होगा फिलहाल यह तो वक्त बताएगा जहां पर एक तरफ देश के महानायक ने आत्मनिर्भर होने की बात कही है आत्मनिर्भर कैसे होगा हिंदुस्तान की सबसे बड़ी माने जाने वाली साइकिल इंडस्ट्रीज एटलस

कंपनी की साइकिल की फैक्ट्री बंद हो गई उस फैक्ट्री को बंद होने शहर से गांव तक लाखों की संख्या में व्यक्ति बेरोजगार हो गया ऐसे तमाम फैक्ट्रियां लॉकडाउन के दौरान बंद हो गए जो कई लाखों की संख्या में श्रर्मिक मजदूर ने नौकरी से हाथ धोना पड़ा क्या देश के महानायक क्या कभी इस पर गौर किए देश के महानायक ने आज निर्भर भारत बनाने के लिए पांच सूत्र बताए

हैं पहला ए इंटेंट दूसरा इन क्लोनल तीसरा इन्वेस्टमेंट चौथा इंफ्रास्ट्रक्चर पांचवा इनोवेशन देश के उद्योगपति बेशक अंग्रेजी समझते हो लेकिन देश के श्रर्मिक गरीब मजदूर तो नहीं समझ पाएंगे महानायक ने जिस भारत को आत्मनिर्भर बनाने की बात कर रहे हैं उसकी बहुसंख्यक जनता शायद इन शब्दों का अभिप्राय समझे इन्फ्राट्रक्चर का मतलब बड़े सपना दिखाना 2014 में

बुलेट ट्रेन चलाने जैसा और इस सवाल का जवाब बिल्कुल ही नदारद है इंफ्रास्ट्रक्चर पर निजी क्षेत्र का कब्जा रहेगा तो देश कैसे आत्मनिर्भर होगा। उनके विशेषज्ञ कोविड-19 कोरोना वायरस महामारी को जैब विविधता के साथ गलत व्यवहार के कारण उत्पन्न वैश्विक महामारी मान रहे हैं मनुष्य प्राकृतिक पर्यावरण को तेजी से नष्ट कर रहे हैं फिलहाल यह बातें छोड़कर

भारत आदमी भर तक की ओर बात किया जाए तो भारत आत्मनिर्भर बनाने के लिए अर्श से फर्श तक उतरना पड़ेगा इस लॉक डाउन के चलते कितनों की नौकरी से हाथ धोना पड़ा आत्मनिर्भरता में तो कहीं गरीब मजदूर की बात नहीं की गई लेकिन नोटबंदी हर जनमानस के खाते में 15 लाख रुपए का सपना आखिर देशवासियों को दिन में क्यों ख्वाब दिखाकर लोगों को

प्रयोग किया गया। जिस हिसाब से लाक डाउन कोरोना महामारी के मद्देनजर गरीब मजदूर श्रमिक के साथ जो हुआ शायद वह कभी भूल नहीं सकता भारत आत्मनिर्भरता की बात यह भी है कि लाक डाउन का दंश झेल रहे आम जनमानस को महंगाई का

भी सामना करना पड़ रहा है सोमवार को विश्व बैंक ने कहा इकानामी में 5.2 प्रतिशत गिरावट आएगी वैश्विक संगठन के अनुमान के अनुसार भारत में 2020-21 में 3.2 प्रतिशत सिमट जाएगा वैश्विक संगठन के अनुसार कोविड-19 महामारी और लाक डाउन के कारण विकसित देशों में मंदी दूसरे विश्व युद्ध के बाद सबसे बड़ी मंदी होगी वही उभरते और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में उत्पादन के कम से कम छ: दशक में पहली बार ऐसी गिरावट आएगी विश्व बैंक के अध्यक्ष डेविड माल पास

ने ग्लोबल इकोनॉमिक प्रोस्पेक्ट (वैश्विक आर्थिक संभावना) रिपोर्ट की प्रस्तावना में लिखा है कि केवल महामारी के कारण कोविड-19 मंदी जिस गति और गहराई से इसने असर डाला है उससे लगता है कि पुनरुद्धार में समय लगेगा इसके लिए नीति

निर्माताओं को अतिरिक्त हस्तक्षेप करने की जरूरत होगी रिपोर्ट के अनुसार विकसित अर्थव्यवस्था में आर्थिक वृद्धि 2020 में 7 प्रतिशत की गिरावट आएगी क्योंकि घरेलू मांग और आपूर्ति व्यवहार व्यापार तथा वित्त बुरी तरीके से प्रभावित हो चुका है।

गरीबों के स्वास्थ्य की चिंता है ही नहीं नहीं तो गरीबों के हक में स्वास्थ्य को लेकर मूलभूत अधिकार का कानून क्यों नहीं बनाया जा रहा है देश के महानायक ने 2019 में आयुष्मान योजना के अंतर्गत 10 करोड़ परिवार को यानी लगभग 50 करोड़ गरीब लोगों को इलाज कराने की बात जोर शोर से उठाए थे देश के महानायक के करीबियों को ऐसे लगा कि हनुमान जी की

तरह सुमेरू गिरी पहाड़ से संजीवनी बूटी देश के गरीबों के लिए लाए हैं मई माह में वित्त मंत्री हैं प्रेस कॉन्फ्रेंस में 20 लाख करोड़ पैकेज के विश्लेषण के दौरान यह घोषणा किया कि यह साल में आयुष्मान योजना के लक्ष्य मे 13425 रुपए खर्च किए गए। आयुष्मान योजना के लिए पहले मरीजों को बीमा कंपनियों से बीमा करवाना पड़ता है तब उसके लिए आयुष्मान बीमा कार्ड

बनता है फिर उसी से उस मरीज का इलाज होता है इलाज के खर्च का बिल बनेगा उतना रकम वह अस्पताल के मालिक अपने खाते में आहरित करवा लेता है कोरोनावायरस महामारी के संकट में प्रदेश की राजधानी दिल्ली के मुख्यमंत्री ने घोषणा कर दिया दिल्ली से बाहर वालों का इलाज दिल्ली सरकार के अस्पतालों में नहीं होगा। यही नहीं गंगाराम अस्पताल के प्रबंधक पर

इलाज ना करने के खिलाफ एफ आई आर दर्ज हो गया जबकि केजरीवाल को ऐसा नहीं करना चाहिए था क्योंकि रामायण काल में लंका युद्ध के दौरान जब लक्ष्मण जी मूर्छित हो गए थे और उनके बचने की संभावना बहुत कम थी तब भी रावण का वैद्य ने लक्ष्मण का इलाज किए देश के महानायक की आयुष्मान योजना इतनी कारगर है तो ऐसे हालात क्यो पैदा हो गया इस योजना का भी हवा हवाई बनकर रह गया देश आत्मनिर्भरता की तरफ कैसे जा रहा है देश के महा नायकों ने जब इसकी व्यवस्था

धरातल पर लाये ही नहीं हैं तो देश आज निर्भरता की तरफ कैसे जा सकता है लेकिन अगर यह व्यवस्था धरातल पर आकर काम करें तो शायद इसका कुछ परिणाम देखने को मिल सकता है लेकिन 5+1 साल की सरकार बहुत सी ऐसी योजनाएं की घोषणा की गई लेकिन सब हवा-हवाई बन कर रह जाती है जबकि देश के वित्त मंत्री ने 20 लाख रुपए की योजना का घोषणा

किया है। देश के आम जनमानस वा प्रबुद्ध जन का यह मानना है कि आत्मनिर्भर भारत बनने के लिए सरकार को आम जनमानस का व्यापार देखकर लाक डाउन पे चलते जो उसका नुकसान हुआ है उसका भरपाई करने के लिए जिस हिसाब से उसका व्यापार रहा हो उस हिसाब से योजना का नगदी के रूप में  धनराशि सौंप देना कारगर साबित हो सकता है लेकिन वहीं पर सरकार द्वारा गरीब श्रमिक ठेला, रेहडी, पटरी दुकानदारों को के लिए जो बैंकों से धनराशि मुहैया करवाया जा रहा है उस

धनराशि को ब्याज मुक्त होना चाहिए। देश महामारी संकट से गुजर रहा है बिहार में जनता को अपने द्वारा किए गए कार्यों से शायद यकीन नहीं है इसलिए सरकार ने 150 करोड़ रुपए खर्च करके वर्चुअल रैली कर रही है एक एलइडी स्क्रीन पर औसतन खर्चा 20 हजार रुपे आया है और 72 हजार एलईडी लगाया गया था लाक डॉउन के दौरान परेशान श्रमिक व प्रवासी मजदूर

श्रमिक एक्सप्रेस में मजदूरों से किराया लिया गया लेकिन मजबूर श्रमिक मजदूर को किराया देने के लिए कोई महानायक आगे नहीं आया क्या यही मेरा देश आत्मनिर्भरता की तरफ जा रहा है।

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