जन कल्याणकारी योजनाओं से कोसों दूर हैं रुद्रापुर ग्राम पंचायत के निवासी

जन कल्याणकारी योजनाओं से कोसों दूर हैं रुद्रापुर ग्राम पंचायत के निवासी

संवाददाता -सुशील कुमार द्विवेदी इटियाथोक,गोण्डा –गांवो में सरकार द्वारा चलाई जा रही जन कल्याणकारी योजनाओं की जमीनी हकीकत परखने स्वतंत्रप्रभात संवाददाता की टीम जब विकासखंड इटियाथोक के ग्राम पंचायत रुद्रापुर के मजरे लमुईया पहुंची तो वहां के निवासी दर्जनों लोगों की दयनीय स्थिति देखकर दंग रह गई। आजादी के 73 वर्ष बीत जाने के बावजूद

संवाददाता -सुशील कुमार द्विवेदी

इटियाथोक,गोण्डा –
गांवो में सरकार द्वारा चलाई जा रही जन कल्याणकारी योजनाओं की जमीनी हकीकत परखने स्वतंत्रप्रभात संवाददाता की टीम जब विकासखंड इटियाथोक के ग्राम पंचायत रुद्रापुर के मजरे लमुईया पहुंची तो वहां के निवासी दर्जनों लोगों की दयनीय स्थिति देखकर दंग रह गई।

जन कल्याणकारी योजनाओं से कोसों दूर हैं रुद्रापुर ग्राम पंचायत के निवासी

आजादी के 73 वर्ष बीत जाने के बावजूद आज भी यहां के दर्जनों ग्रामीण मूलभूत सुविधाओं जैसे आवास, नाली, खड़ंजा, खाद्यान्न, रसोई गैस, शुद्ध पेयजल, शौचालय आदि योजनाओं से वंचित है। गांव की निवासिनी मीना पत्नी बिंदेशवरी, नीलम पत्नी काली प्रसाद, मीना देवी पत्नी राम बक्स, प्रमिला और शांति, देवी ने बताया कि हम सभी लोगों के पास रहने के लिए अपना पक्का मकान नहीं है।

हम आज भी मिट्टी के दीवारों के सहारे घास फूस की टूटी फूटी झोपड़ी में पन्नी के त्रिपाल डाल कर अपने परिवार के साथ किसी तरह गुजर बसर कर रहे हैं। मौजूदा ग्राम प्रधान पप्पू से आवास की गुजारिश करने पर कुछ महिलाओं ने डरते हुए बताया कि 25000 रुपए घूस के रूप में एडवांस देने की मांग की जा रही है। और कुछ ने प्रधान के डर से घूस मांगने की बात नहीं बताई।

इन पीड़ित महिलाओं का कहना है कि हम लोगों के घरों तक जाने के लिए कोई रास्ता नहीं है। पहले हम लोग जिस रास्ते से आते जाते थे वो रास्ता भी अब बंद हो गया है। हम सभी अपने परिजनों के साथ खेत में बने मेड़ों के सहारे अपने घरों तक आते जाते हैं खेत में बनी मेड़ भी इतनी पतली है कि साइकिल तो दूर पैदल भी चलना दुश्वारियो भरा है। जब भाजपा की सरकार बनी तो हम सभी लोगों में यह आस जगी थी कि अब हम लोगों की झोपड़ी प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पक्के मकानों में तब्दील हो जाएगी किंतु कई वर्ष बीत जाने के बावजूद प्रधान को घूस देने के पैसे इकट्ठा नहीं हो सके और अब तो आशा निराशा में बदल चुकी है।

अब आशा की कोई किरण हम दुखयारियों को दिखाई नहीं दे रही है।पीड़ित महिलाओं ने स्वतंत्र प्रभात संवाददाता के माध्यम से मौजूदा ग्राम प्रधान के दोयम दर्जे की राजनीति व भ्रष्टाचार के साथ उनकी ग्राम पंचायत स्तर तक दबकर रह गई आवाज को जिले के आलाअधिकारियों तक पहुंचाकर अकंट रूप से भ्रष्टाचार में डूब चुके ग्राम प्रधान से सरकार द्वारा चलाई जा रही जन कल्याणकारी योजनाओं का लाभ दिलाए जाने की गुहार लगाई है।

अब देखना यह है कि जिले के आलाअधिकारी पीड़ित महिलाओं की फरियाद को कितनी गंभीरता से लेते हैं तथा पात्र लोगों को सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं से वंचित रखने वाले मौजूदा ग्राम प्रधान पर क्या दंडात्मक कार्रवाई करते हैं? यह तो आने वाला ही समय बताएगा।

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