दहशतगर्दी को समर्थन देने में लगे हुए हैं विदेशी आका
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देश की सरकार और सुरक्षा एजेंसियों ने पिछले दस बारह साल में जिस तरह देश में संचालित आतंकवाद की साजिशों और गतिविधियों को नियंत्रित किया है उससे भारत के भीतर छिपे गद्दारों और रेडिकलाइज चरम पंथी तत्वों के कंधे का इस्तेमाल करने वाले बाहरी विदेशी ताकतों को गहरा धक्का लगा है अब उनकी बेचैनी जगजाहिर हो रही है। हाल की घटनाएं चिंता जनक है ।सुरक्षा की दृष्टि से चाकचौबंद मानी जाने वाली देश की राजधानी में लाल किले के पास हुए हुए भीषण धमाके ने कई ज्वलंत सवालों को जन्म दिया है। सुरक्षा व्यवस्था के छिद्रों को पाटने की जरूरत के साथ चेताया है कि हमारी जरा सो चूक से आतंकवादियों को फिर से पांव जमाने का मौका मिल सकता है।
अब जब मामले की जांच देश की शीर्ष खुफिया एजेंसियां कर रही हैं तो जांच के निष्कर्ष ही हकीकत बताएंगे। लेकिन धमाके का स्तर और उससे हुई जनधन की हानि चिंता बढ़ाने वाली है। निश्चित ही यह घटना एक बड़ी साजिश की ओर इशारा करती है। सवाल यह भी उठता है कि चाक-चौबंद सुरक्षा व्यवस्था के बीच अपराधी कैसे इतनी बड़ी मात्रा में ज्वलनशील पदार्थ संवेदनशील इलाके में ले जाने में सफल हुए। प्रारंभिक सूचनाओं के अनुसार जम्मू-कश्मीर के रास्ते उत्तर प्रदेश व हरियाणा तक फैले कश्मीरी डॉक्टरों के एक समूह ने घटना को अंजाम दिया। इस घटनाक्रम ने पूरे देश को चौंकाया कि समाज में दूसरे भगवान का दर्जा पाने वाले डॉक्टर कैसे लोगों के चिथड़े उड़ाने वाले कुकृत्य को अंजाम दे सकते हैं?
उनकी उस शपथ का क्या हुआ जो डॉक्टर पढ़ाई पूरी करने के बाद लोगों की जीवन रक्षा के लिए लेते हैं? अब तक यह मान्यता रही है कि आतंकवादी संगठनों से ये लोग ही जुड़ते हैं, जो कम पड़े-लिखे होते हैं और विध्वंसकारी ताकतों के बहकावे में आकर आतंकवाद की राह में उतर जाते हैं। लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण ढंग से इस आतंक के स्लीपर सैल में डॉक्टरों के समूह का शामिल होना बेहद चिंता का विषय है। जो समाज के उस विश्वास को तोड़ता है कि डॉक्टर हमेशा जीवन देने वाला ही होता है। भविष्य में यह खतरनाक याद रहे कि चीन में भी की करने प्रवृत्ति अन्य व्हाइट कॉलर जाँब करने वाले समूह को भी घातक रास्ते पर ले जा सकती है। जा सकती हैं।
ऐसे में हमें लाल किले के निकट घटी जांच का दायरा बढ़ाया गया है। लेकिन इस घटनाक्रम के बाद सुरक्षा एजेंसियों की सतर्कता के प्रश्न भी हमारे सामने हैं कि कैसे अपराधी इतनी भारी मात्रा में विस्फोटक पदार्थ राजधानी में ले जाने में सफल हुए। जिसके चलते भविष्य में ऐसे हादसों की पुनरावृत्ति रोकने के लिये सभी जरूरी कदम उठाए जाने चाहिए। याद रहे कि अतीत में भी कई बार दिल्ली को आतंक से दहलाने की कोशिशें हुई हैं। हमें उन घटनाओं से भी सबक लेने की जरूरत है। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि आतंकवाद के मामले में जरा सी चूक भी व्यापक क्षति का सबब बन सकती है।
देश को अस्थिर करने की किसी भी साजिश को विफल बनाने और आम लोगों का जीवन सुरक्षित बनाने के लिये सख्त कदम उठाने की जरूरत है। इस नए टेरर मॉड्यूल के मद्देनजर भी निगरानी का दायरा बढ़ाने की जरूरत है। पता लगाने की जरूरत है कि कैसे अपराधी इतनी बड़ी मात्रा में विस्फोटक पदार्थ वाया फरीदाबाद दिल्ली पहुंचाने में सक्षम बने। वैसे हाल के वर्षों में देश के भीतर आतंकी घटनाओं पर लगभग विराम लगा हुआ था, लेकिन हालिया घटना ने हमारी चिंताओं को बढ़ाया ही है। हमें आतंकवाद को बढ़ावा देने के हर प्रयास को सख्ती से कुचलने की जरूरत है। सजग और सतर्क खुफिया तंत्र इसमें निर्णायक भूमिका निभा सकता है।
सरकार की कोशिश होनी चाहिए कि जांच के बाद दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो। साथ ही इस बात पर विचार करने की जरूरत है कि इस कांड में सीमा पार सक्रिय आतंकी संगठनों की भूमिका तो नहीं है। बिना बाहरी मदद के इतनी बड़ी साजिश को अंजाम देना सहज नहीं हो सकता। व्हाइट कॉलर आतंकी मॉड्यूल का पनपना हमारी गहरी चिंता का विषय भी होना चाहिए। इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने हाल ही में चेतावनी दी है कि हामास कथित तौर पर यूरोप में अपने सीक्रेट ऑपरेशनल नेटवर्क स्थापित करने की कोशिश कर रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक, छोटे-छोटे सेल बनाकर हथियार तैयार करने और गतिविधियों का समन्वय करने का काम किया जा रहा है। मोसाद ने बताया कि इस काम में कई यूरोपीय देशों की सुरक्षा एजेंसियों के साथ करीबी सहयोग से कई हथियारों की तस्करी और हमलों की योजना को पकड़ा गया। टाइम्स ऑफ इजरायल ने भी इस बारे में विस्तार से रिपोर्ट किया है।
मोसाद के अनुसार यूरोपीय सुरक्षा एजेंसियों ने कई योजनाओं को नाकाम किया। जर्मनी और ऑस्ट्रिया में सुरक्षा एजेंसियों ने संदिग्धों को गिरफ्तार किया और बड़ी मात्रा में हथियार जब्त किए। ये हथियार कथित तौर पर 'आदेश मिलने पर नागरिकों पर हमले के लिए तैयार किए जा रहे थे। पिछले सितंबर में वियना में ऑस्ट्रिया की ष्ठरद्ध सुरक्षा सेवा ने पिस्टल और विस्फोटक सामग्री का स्टैश पाया। जांच में यह पाया गया कि यह मोहम्मद नाइम से जुड़ा था, जो हामास के वरिष्ठ राजनीतिक ब्यूरो सदस्य बासेम नाइम के बेटे हैं और गाजा के नेता खलील अल हया के साथ गठबंधन में हैं। मोसाद ने आरोप लगाया कि हामास का विदेशी नेतृत्व इन गतिविधियों का गुप्त समर्थन कर रहा है।
कतर में हामास के नेताओं की संलिप्तता नई नहीं है। सार्वजनिक इनकार केवल अंतरराष्ट्रीय स्थिति बनाए रखने के लिए है। सितंबर में कतर में मोहम्मद नाइम और उनके पिता की बैठक की मोसाद ने यूरोप में गतिविधियों के लिए औपचारिक समर्थन का संकेत माना। हामास के कई सदस्य तुर्की से सक्रिय रहे और फिर यूरोप के अन्य हिस्सों में चले गए। जर्मनी के अधिकारियों ने नवंबर में बुरहान अल खतीब को गिरफ्तार किया, जिनके बारे में कहा गया कि वे पहले तुकों में सक्रिय थे और फिर मुख्य भूमि यूरोप में चले आए। जर्मनी की खुफिया एजेंसियां केवल व्यक्तियों तक ही नहीं, बल्कि उन धर्मार्थ संस्थाओं और धार्मिक संगठनों पर भी नजर रख रही हैं, जो कथित तौर पर हमास को वित्तीय या वैचारिक समर्थन दे रहे हैं।देश की सुरक्षा एजेंसियों को जमीनी स्तर पर ऐसे तत्वों के क्रियाकलापों पर कड़ी निगरानी रखनी होगी तथा हर नागरिक को भी देश की सुरक्षा के लिए अपना दायित्व निर्वहन करना चाहिए।
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