अधिकारियों के उदासीनता के कारण पाँच माह बीतने जाने के बाद रानी लक्ष्मीबाई आत्मरक्षा प्रशिक्षकों को नहीं मिला मानदेय

स्कूलों के आवंटन में भी बी०एस०ए० कार्यालय ने शासनादेश का नहीं किया अनुपालन और खूब की हेराफेरी

अधिकारियों के उदासीनता के कारण पाँच माह बीतने जाने के बाद रानी लक्ष्मीबाई आत्मरक्षा प्रशिक्षकों को नहीं मिला मानदेय

जनपद में स्थित सभी पूर्व माध्यमिक विद्यालयों में होना था आत्मरक्षा का प्रशिक्षण परन्तु बी0एस0ए0 ने छोड़ दिया कुछ विद्यालयों का नामकार्यालयी हेराफेरी में कुछ विद्यालयों की बालिकाएं आत्मरक्षा प्रशिक्षण से रह सकती हैं वंचित

 बस्ती। बस्ती जिले में  सरकार की प्राथमिकता वाली योजनाओं  को जनपद में तैनात अधिकारी कैसे चपत लगाते हुए सरकारी मंशा पर पानी फेरने पर तुले हैं इसे जनपद के बी0एस0ए० कार्यालय में घटित ताजे उदाहरण से बाखूबी समझा जा सकता है। शासन द्वारा प्राप्त निर्देश के क्रम में जनपद में स्थित समस्त परिषदीय उच्च प्राथमिक विद्यालयों में अध्ययनरत बालिकाओं को जुलाई से दिसम्बर 2025 तक आत्मरक्षा का प्रशिक्षण दिया जाना था परन्तु सरकार की मंशा पर बेसिक शिक्षा अधिकारी व उनके अधीनस्थों की मनमानी भारी पड़ी और प्रशिक्षण हेतु विद्यालय आवंटन के समय कुछ विद्यालयों का नाम ही छोड़ दिया गया। 
 
जिससे वहाँ पर अध्ययनरत बालिकाओं के प्रशिक्षण छूटने की स्थिति उत्पन्न हो गयी है और जहाँ प्रशिक्षण पूर्ण हो चुका है वहाँ के प्रशिक्षकों के मानदेय का भुगतान भी नहीं किया जा रहा है ।प्राप्त समाचार के अनुसार  शासन द्वारा जारी शासनादेश  पत्रांक -GE-31(A )आत्मरक्षा / 2374 दिनांक 07 जुलाई 2025 के अनुक्रम में जनपद में स्थित समस्त परिषदीय उच्च प्राथमिक विद्यालयों व कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों में अध्ययनरत बालिकाओं को आत्मरक्षा का प्रशिक्षण जुलाई से दिसम्बर 2O25 तक उपलब्ध कराया जाना था । बेसिक शिक्षा अधिकारी व उनके अधीनस्थों ने मनमानी करते हुए  विद्यालय आवंटन में कुछ विद्यालयों का नाम छोड़ दिया जिससे उन छूटे हुए विद्यालयों में आत्मरक्षा प्रशिक्षण नहीं शुरू हो पाया और उनके प्रशिक्षण से वंचित रहने की स्थिति उत्पन्न हो गयी है जबकि शासनादेश के बिन्दु संख्या O2 में स्पष्ट निर्देश है कि कोई भी परिषदीय उच्च प्राथमिक विद्यालय व कस्तूरबा विद्यालय प्रशिक्षण से छूटने न पाए ।
 
बालिकाओं को आत्मरक्षा प्रशिक्षण दिलाए जाने की महत्ता वर्तमान दौर में इसलिए और अधिक बढ़ गयी है क्योंकि समाज में बालिकाओं के प्रति बढ़ते अपराधों से निपटने का हुनर बालिकाओं को आत्मरक्षा प्रशिक्षण से ही मिल सकता है ।  शासनादेश  के विपरीत जाकर बेसिक शिक्षा अधिकारी व उनके मातहतों द्वारा जनपद के बालिकाओं को प्रशिक्षण से दूर रखने के पीछे उनकी क्या मंशा है निश्चित रूप से जाँच का विषय बना हुआ है । बेसिक शिक्षा अधिकारी व उनके मातहतों का खेला यही नहीं खतम हुआ जो प्रशिक्षक रानीलक्ष्मी बाई आत्मरक्षा का प्रशिक्षण जनपद में प्रदान कर रहे हैं उन्हें शासन द्वारा प्रशिक्षण का बजट आवंटित होने के बाद भी  मानदेय का भुगतान नहीं प्राप्त हो पाया । प्रश्नगत प्रकरण में प्रदेश के  मुख्यमंत्री की अति महत्वाकांक्षी योजनाओं  में शामिल रानीलक्ष्मी बाई आत्मरक्षा प्रशिक्षण योजना में बेसिक शिक्षा अधिकारी व उनके मातहतों की मनमानी के कारण जनपद की कुछ बालिकाओं का आत्मरक्षा प्रशिक्षण से वंचित रहना और बजट आवंटन के बावजूद प्रशिक्षकों को मानदेय न देना निश्चित रूप से जाँच व कार्यवाही का विषय बना हुआ है ।

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