Success Story: साधारण किसान परिवार में जन्मी बेटी बनी IPS अफसर, 'ब्यूटी विद ब्रेन' की है बेहतरीन मिसाल
दिल्ली के पीतमपुरा में जन्मी अनु बेनिवाल की शिक्षा बेहद प्रभावशाली रही है। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज से फिजिक्स ऑनर्स में B.Sc. और M.Sc. की डिग्री हासिल की है। इतना ही नहीं, उन्होंने नैनोसाइंस जैसे जटिल विषय पर शोध भी किया है। उनकी वैज्ञानिक पृष्ठभूमि को देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि उन्होंने अपनी पढ़ाई को गंभीरता से लिया और आगे चलकर प्रशासनिक सेवा को चुना।
अनु का परिवार एक साधारण किसान परिवार से आता है। उनके पिता किसान हैं, और इसी साधारण पृष्ठभूमि से निकलकर अनु ने जो मुकाम हासिल किया, वह हर संघर्षरत विद्यार्थी के लिए प्रेरणास्रोत है। उनकी यूपीएससी यात्रा आसान नहीं थी। पहले प्रयास में वे प्रीलिम्स तक नहीं पहुंच पाईं, दूसरे प्रयास में मेंस में असफल रहीं। तीसरे प्रयास में उन्हें AIR 636 प्राप्त हुआ और उन्हें DANIPS कैडर मिला, लेकिन उन्होंने रुकना नहीं चुना। 2022 में अपने चौथे प्रयास में उन्होंने AIR 217 के साथ आईपीएस बनने का सपना साकार किया।
अपनी यूपीएससी यात्रा को लेकर अनु कहती हैं कि किसी भी उम्मीदवार को स्व-अध्ययन पर भरोसा करना चाहिए और अपने नोट्स खुद बनाने चाहिए। वे मानती हैं कि आंसर राइटिंग की प्रैक्टिस और सही स्रोतों से पढ़ाई करने से सफलता की राह आसान हो जाती है। अनु ने इस यात्रा में कई असफलताएं देखीं, लेकिन कभी हार नहीं मानी।
सोशल मीडिया पर भी अनु बेनिवाल खासा लोकप्रिय चेहरा बन चुकी हैं। इंस्टाग्राम पर उनके 1.4 लाख से ज्यादा फॉलोअर्स हैं। वे समय-समय पर अपनी प्रेरणादायक बातें, अनुभव और उपलब्धियां साझा करती हैं, जिससे कई युवा उन्हें मार्गदर्शक के रूप में मानते हैं। वे सोशल मीडिया का इस्तेमाल सकारात्मक ऊर्जा और प्रेरणा फैलाने के लिए करती हैं।
Read More IAS Success Story: हरियाणा के छोटे से गांव की बेटी बनी IAS अफसर, पढ़ें दिव्या तंवर की सक्सेस स्टोरी अनु ने साल 2023 में आईपीएस डॉ. आयुष जाखड़ से विवाह किया, जो खुद 2022 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। आयुष, रिटायर्ड आईपीएस दिलीप जाखड़ के पुत्र हैं और वर्तमान में एमपी के करैरा (शिवपुरी) में एसडीओपी पद पर तैनात हैं। एक ही बैच के दो अधिकारी के रूप में यह जोड़ी सोशल मीडिया और प्रशासनिक हलकों में काफी चर्चित है।
अनु बेनिवाल की कार्यशैली और फैसले भी उतने ही सख्त और प्रभावी रहे हैं। ग्वालियर में बीजौली थाने में एसएचओ के रूप में काम करते हुए उन्होंने रेत माफियाओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की, जिसके लिए उनकी खूब प्रशंसा हुई। आज वे धार जिले के मनावर में एसडीओपी के पद पर कार्यरत हैं। 15 अगस्त 2025 को उन्हें अपराध नियंत्रण और कानून व्यवस्था बनाए रखने में उत्कृष्ट योगदान के लिए सम्मानित भी किया गया।

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