सोनभद्र ओबरा में बिजली कटौती से हाहाकार जनता बेहाल, जन-प्रतिनिधि नदारद
अंधाधुंध बिजली कटौती से जनता त्रस्त, लोगों का किया जीना मुहाल
सोनभद्र जिले में बिजली विभाग की मनमानी
अजित सिंह ( ब्यूरो रिपोर्ट)
सोनभद्र(ओबरा) /उत्तर प्रदेश-
भीषण गर्मी के इस मौसम में बिजली कटौती ने आम जनता का जीना मुहाल कर दिया है। जब मन में आता है बिजली काट दी जाती है, जिससे लोग त्राहिमाम कर रहे हैं। हैरत की बात यह है कि इस गंभीर समस्या पर न तो कोई जन-प्रतिनिधि आवाज उठा रहा है न ही कोई सामाजिक कार्यकर्ता सक्रिय दिख रहा है और न ही किसी नेता को जनता की पीड़ा दिखाई दे रही है।
नगर के विभिन्न मोहल्लों और ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली कटौती का आलम यह है कि दिन में कई-कई घंटों तक बिजली गुल रहती है। रात में भी यही सिलसिला जारी रहता है, जिससे लोगों की नींद हराम हो गई है। बच्चे, बुजुर्ग और बीमार लोग इस अघोषित कटौती से सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। अस्पतालों में भी बिजली की अनियमित आपूर्ति मरीजों के लिए गंभीर समस्या बन रही है। पंखे और कूलर बंद होने से घरों में उमस और गर्मी से लोगों का हाल बेहाल हो जा रहा है, जिससे डिहाइड्रेशन, हीटस्ट्रोक और अन्य बीमारियां बढ़ रही हैं।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि बिजली विभाग के अधिकारियों के घरों में आधुनिक जनरेटर और इन्वर्टर की व्यवस्था है, जिससे उन्हें बिजली कटौती का कोई एहसास नहीं होता। वहीं आम जनता जो रोजमर्रा की जरूरतों के लिए बिजली पर निर्भर है, उसे इस भीषण गर्मी में बिना बिजली के गुजारा करना पड़ रहा है। यह दोहरा मापदंड लोगों के गुस्से को और भड़का रहा है। जनता में यह सवाल उठ रहा है कि चुनाव के समय बड़े-बड़े वादे करने वाले जन-प्रतिनिधि, स्थानीय नेता और समाज सेवा का दावा करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता इस विकट स्थिति में कहां हैं?
किसी भी स्तर से इस समस्या पर आवाज नहीं उठाई जा रही है। जनता का मानना है कि नेता सिर्फ हवा में बातें करते हैं और जमीनी हकीकत से उनका कोई लेना-देना नहीं है। उनकी निष्क्रियता से जनता में भारी निराशा और आक्रोश है। जनता पूछ रही है आखिर कहां गए हमारे नेता और जन-प्रतिनिधि। बिजली कटौती से त्रस्त जनता अब सड़कों पर उतरने का मन बना रही है। विभिन्न मोहल्लों और संगठनों द्वारा विरोध-प्रदर्शन और घेराव की योजना बनाई जा रही है।
लोगों का कहना है कि अगर जल्द ही बिजली आपूर्ति में सुधार नहीं हुआ तो वे बड़ा आंदोलन करने को मजबूर होंगे।यह एक गंभीर स्थिति है जिसमें सरकार और बिजली विभाग को तुरंत हस्तक्षेप करने की आवश्यकता है।जनता की समस्या को समझना और उसका समाधान करना उनकी प्राथमिक जिम्मेदारी होनी चाहिए। जनप्रतिनिधियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं को भी इस मुद्दे पर सक्रिय होकर जनता के साथ खड़ा होना चाहिए।
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