रेखा सरकार के 100 दिन: उम्मीदों और चुनौतियों का सम्मिश्रण

रेखा सरकार के 100 दिन: उम्मीदों और चुनौतियों का सम्मिश्रण

हर्षवर्धन पान्डे
 
20 फरवरी 2025 को रेखा गुप्ता ने दिल्ली की चौथी महिला मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की। भारतीय जनता पार्टी की जीत के बाद 27 साल बाद दिल्ली में सत्ता परिवर्तन हुआ और रेखा गुप्ता को इस ऐतिहासिक जिम्मेदारी का नेतृत्व करने का मौका मिला।रेखा गुप्ता शालीमार बाग से पहली बार विधायक चुनी गई। हरियाणा के जींद में जन्मी और दिल्ली में पली-बढ़ीं रेखा गुप्ता का राजनीतिक सफर दिल्लीविश्वविद्यालय के छात्रसंघ की अध्यक्ष से शुरू हुआ।

वह तीन बार दिल्ली नगर निगम की पार्षद और बीजेपी महिला मोर्चा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रह चुकी हैं। उनकी नियुक्ति को भाजपा की महिला सशक्तिकरण की परिकल्पना को साधने की रणनीति के रूप में देखा गया। उन्होनें 100 दिन के कार्यकाल में  अपनी सधी हुई शुरुआत से इसे साबित करके दिखाया है। न केवल दिल्ली की राजनीती में उन्होनें खुद को बेहतर ढंग से स्थापित करने की कोशिश की है बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी अपने कार्यों से  खुद को अग्रिम पंक्ति में खड़ी सीएम  के तौर पर प्रस्तुत  किया है।
 
20 फरवरी 2025 को रेखा गुप्ता ने दिल्ली की मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली जिसके बाद उनकी सरकार ने 30 मई 2025 को अपने 100 दिन पूरे किए। इस अवधि में भाजपा की नेतृत्व वाली सरकार ने दिल्ली को "विकसित, स्वच्छ और सुरक्षित" बनाने के वादे के साथ कई पहल शुरू की। सरकार ने अपनी पहली कैबिनेट बैठक में दिल्ली में आयुष्मान भारत योजना को लागू करने की मंजूरी दी। यह योजना दिल्लीवासियों को मुफ्त इलाज की सुविधा प्रदान करती है जिससे स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच बढ़ी है। रेखा गुप्ता सरकार ने केंद्र की महत्वाकांक्षी आयुष्मान भारत योजना को दिल्ली में लागू किया जिसे पिछली आम आदमी पार्टी सरकार ने रोके रखा था।

इस योजना के तहत 5 लाख रुपये तक का स्वास्थ्य बीमा प्रदान किया जा रहा है, साथ ही राज्य सरकार द्वारा अतिरिक्त 5 लाख रुपये का टॉप-अप दिया जा रहा है। इसी प्रकार 'वयोवंदना योजना' के अंतर्गत 70 वर्ष से अधिक आयु के 6 लाख बुजुर्गों को 10 लाख रुपये तक का स्वास्थ्य बीमा सुनिश्चित किया गया। यह कदम बुजुर्गों के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं को सुलभ बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। 100 दिन में दिल्ली की सेहत सुधारने के लिए 100 दिन की सेवा में 12826 करोड रुपए का बजट दिया गया।

1139 आयुष्मान आरोग्य मंदिरों के निर्माण की योजना शुरू की गई। सभी सरकारी अस्पतालों में जन औषधि केंद्र बनाने का फैसला लिया गया। दिल्ली के सरकारी स्कूलों में बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने, शिक्षकों की प्रशिक्षण प्रणाली को अपडेट करने और विद्यार्थियों के लिए अधिक संसाधन उपलब्ध कराने का वादा किया गया है। इसके साथ ही दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में बुनियादी सुविधाओं का सुधार और दवाइयों की उपलब्धता सुनिश्चित करने पर भी ज़ोर दिया गया है।

रेखा गुप्ता ने सरकार की कमान संभालते  ही यमुना नदी की सफाई को प्राथमिकता दी। रेखा गुप्ता ने भलस्वा लैंडफिल साइट का दौरा कर वहाँ वृक्षारोपण और सफाई की शुरुआत की। यमुना के वसुदेव घाट पर उन्होंने कैबिनेट के साथ आरती की और नदी की सफाई को अपनी सरकार की प्रमुख प्राथमिकता घोषित किया। यह कदम पर्यावरण संरक्षण और सांस्कृतिक महत्व को रेखांकित करता है।सरकार ने यमुना नदी को पुनर्जनन और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार के साथ एक एमओयू भी साइन किया जिसमें  वजीराबाद बैराज से जगतपुर तक फेरी और क्रूज सेवाएं शुरू करने की योजना बनाई गई।

इसी के साथ 27 नए विकेंद्रीकृत सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स को मंजूरी दी गई और एक समग्र 'अर्बन रिवर मैनेजमेंट प्लान' तैयार किया गया। यह दीर्घकालिक परियोजना है जिसके ठोस परिणाम अभी सामने नहीं आ पाए हैं। यमुना नदी की सफाई और सिंगल-यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध जैसे कदम भी उनकी प्राथमिकताओं में हैं। हालांकि इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए दीर्घकालिक योजना और संसाधनों की आवश्यकता होगी। 

रेखा गुप्ता ने मॉनसून से पहले दिल्ली के प्रमुख नालों का निरीक्षण किया और अधिकारियों को सफाई के स्पष्ट निर्देश दिए। उन्होंने बाहरी रिंग रोड को गड्ढा-मुक्त करने का लक्ष्य भी रखा जो दिल्ली की बुनियादी ढांचे की समस्याओं को हल करने की दिशा में एक प्रयास है। यमुना की सफाई और प्रदूषण नियंत्रण में प्रगति धीमी  है और दिल्ली अभी भी सबसे प्रदूषित राजधानियों में अग्रणी है।  सड़कों की स्थिति सुधारने, ट्रैफिक जाम को कम करने और सार्वजनिक परिवहन की सुविधा बढ़ाने के लिए नए प्रयास किए जा रहे हैं।

दिल्ली में जलभराव की समस्या से निपटने के लिए सरकार ने मुंबई से अत्याधुनिक मशीनें मंगवाकर सीवर और नालों की सफाई शुरू की जिससे मिंटो ब्रिज जैसे क्षेत्रों में सुधार हुआ और जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की गई। शालीमार बाग में आयुर्वेदिक झुग्गी में सीवेज प्लांट की समस्या हल हुई वहीँ हैदरपुर गांव में नई नाली बनाई गई और मैक्स अस्पताल के पास खुले नाले को 34 लाख रुपये की लागत से ढका गया। ये कदम जल निकासी और स्वच्छता में सुधार ला रहे हैं लेकिन पूरी दिल्ली की तस्वीर बदलने में अभी लम्बा समय लगेगा।

मई 2025 में दिल्ली में  एयर क्वालिटी इंडेक्स 500 तक पहुंच गया, जो मई के महीने में अभूतपूर्व था। प्रदूषण  के निवारण के लिए अभी दिल्ली को किसी दीर्घकालिक योजना की दरकार है। 100 दिवस के कार्यकाल में 16 लाख मीट्रिक टन गाद यमुना से हटाई गई और 804 करोड़ की लागत से आठ अमृत परियोजनाओं को मंजूरी सरकार के द्वारा दी गई। यमुना की सफाई के लिए 40 एसटीपी मंजूर किये गए। 1167 जीपीएस टैंकर चलकर दिल्ली के टैंकर माफिया के खिलाफ बड़ा प्रहार किया गया। दिल्ली में आम जान से सुझाव मांगे  और 1 लाख  करोड़ का ऐतिहासिक बजट सरकार द्वारा पेश किया गया।
 
मुफ्त बिजली योजना के तहत सरकार ने 30  हजार तक अतिरिक्त सब्सिडी देने का फैसला किया है। आगामी तीन वर्षों में 2. 3 लाख घरों को  सोलर ऊर्जा से रोशन करने  का संकल्प लिया है। शिक्षा के क्षेत्र में सुधार की दिशा में सरकार ने 75 सीएम श्री स्कूल शुरू करने का फैसला लिया है। इसके साथ ही 1 लाख 63 हजार बच्चों को फ्री नीट और जेईई की कोचिंग की सुविधा सरकार  द्वार दी गई। सरकार का वर्तमान में फोकस स्कूलों और नगर निगम के पुस्तकालयों को डिजिटल करने का है।

सार्वजनिक परिवहन को दुरुस्त करने के लिए सरकार ने 460 इलेक्ट्रानिक बसें चलाई। इस साल के अंत तक शहर में 4,000 से अधिक इलेक्ट्रिक बसें चलाई जाएंगी। मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि झुग्गियों को तोड़ा नहीं जाएगा, बल्कि वहां पेयजल, सीवर पाइपलाइन और शौचालय जैसी सुविधाएं दी जाएंगी।यह नीति झुग्गीवासियों के लिए राहत लेकर आई जो पहले वोट बैंक के रूप में देखे जाते थे और तोड़े जाने के डर से जूझते थे।  एक समावेशी कदम है, जो गरीबों के जीवन स्तर को बेहतर कर सकता है लेकिन संसाधन आवंटन और कार्यान्वयन की चुनौती बनी हुई है। अभी भी दिल्ली गैस चैंबर बानी हुई है और जाम की समस्या से हर घंटे  जूझ रही है।
  
ओखला लैंडफिल साइट पर 60 मीटर ऊंचे कचरे के पहाड़ को बायो-माइनिंग तकनीक से 20 मीटर तक कम किया गया। 62 एकड़ में फैले इस लैंडफिल के 30 एकड़ को उपयोगी बनाया गया और 56 लाख मीट्रिक टन कचरे का निस्तारण हुआ। दिसंबर 2025 तक 30 लाख मीट्रिक टन अतिरिक्त कचरे को हटाने का लक्ष्य है, जिसे अक्टूबर तक पूरा करने की कोशिश है। पर्यावरण संरक्षण की दिशा में यह एक ठोस कदम है लेकिन तय समय सीमा में लक्ष्यों को पूरा करना सरकार की दक्षता पर निर्भर करेगा। रेखा गुप्ता ने निजी स्कूलों की फीस को नियंत्रित करने के लिए अध्यादेश लाने की योजना का खुलासा किया ताकि माता-पिता पर अनुचित बोझ न पड़े। यह शिक्षा को सुलभ बनाने की दिशा में सकारात्मक कदम है लेकिन निजी संस्थानों के साथ समन्वय और कानूनी प्रक्रिया इसे जटिल बना सकती है।
 
रेखा गुप्ता ने विश्वास, विकास और व्यवस्था पर शुरूआती 100 दिनों में सधी हुई शुरुआत की है। जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में '100 दिन सेवा के' कार्यक्रम में अभिनेता अनुपम खेर के साथ संवाद ने जनता को उत्साहित किया। रेखा गुप्ता की सक्रियता और जमीनी स्तर पर काम करने की शैली को जनता ने भी सराहा है। उनके द्वारा सड़कों पर उतरकर नालों का निरीक्षण और यमुना आरती जैसे कदमों को जनता से जोड़ने की कोशिश के रूप में देखा गया।डबल और ट्रिपल इंजन सरकार के नारे के साथ भाजपा पर दिल्ली को विश्वस्तरीय बनाने की जिम्मेदारी है जो आसान नहीं है। शुरूआती 100 दिनों में रेखा गुप्ता ने  प्रशासनिक ढांचे को सुधारने, सरकारी कर्मचारियों की कार्यप्रणाली को पारदर्शी बनाने और भ्रष्टाचार पर कड़ी नज़र रखने का वादा किया है।

उनकी सरकार ने कई कदम उठाए हैं, जिनमें सरकारी दफ्तरों में डिजिटलाइजेशन को बढ़ावा देना और नागरिकों की शिकायतों का त्वरित समाधान सुनिश्चित करना शामिल है। इन कदमों से उम्मीद की जा रही है कि प्रशासन में पारदर्शिता और दक्षता में सुधार होगा। दिल्ली के सरकारी स्कूलों में बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने, शिक्षकों की प्रशिक्षण प्रणाली को अपडेट करने और विद्यार्थियों के लिए अधिक संसाधन उपलब्ध कराने का वादा किया गया है। इसके साथ ही, दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में बुनियादी सुविधाओं का सुधार और दवाइयों की उपलब्धता सुनिश्चित करने पर भी ज़ोर दिया गया है।
 
रेखा गुप्ता के 100 दिनों में आयुष्मान भारत, यमुना सफाई, जलभराव समाधान, झुग्गी सुधार और कचरा प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में उल्लेखनीय कदम उठाए गए हैं। हालांकि, 100 दिन किसी सरकार के प्रदर्शन का पूर्ण मूल्यांकन करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं। प्रदूषण, स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी और बुनियादी ढांचे की पुरानी समस्याएं अभी भी चुनौती बनी हुई हैं।

दिल्ली चुनावों के दौरान भाजपा ने बड़े जोर शोर से महिलाओं के लिए महिला समृद्धि योजना लागू करने के वादे बड़े जोर शोर से किये थे जिसमें  2500 रु देने की बात कही थी लेकिन भाजपा सरकार के 100 दिन पूरे होने के बाद भी यह योजना अभी तक अधर में लटकी है और विपक्ष के निशाने पर भाजपा है। प्रधानमंत्री मोदी के 'विकसित भारत' के साथ 'विकसित दिल्ली'  अभी दूर की गोटी है। आने वाला समय इस दिशा में उनकी काबिलियत को परखेगा।
 
रेखा गुप्ता के पहले 100 दिन दिल्ली में बीजेपी की नई सरकार के लिए एक मजबूत शुरुआत का प्रतीक रहे। महिला सशक्तिकरण, स्वास्थ्य, पर्यावरण और बुनियादी ढांचे पर उनके कदम जनता के बीच विश्वास जगाने की कोशिश करते हैं। हालांकि प्रदूषण, जाम ,जलभराव और चुनावी वादों को समयबद्ध तरीके से लागू करने की पहाड़ सरीखी चुनौतियां अभी भी बनी हुई हैं। दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के शुरूआती 100 दिनों में कई महत्वपूर्ण बदलाव और फैसले हुए हैं। कहा जा सकता है कि उनके पहले 100 दिन आम नागरिकों के लिए काफी महत्वपूर्ण रहे हैं।
 
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक हैं)

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