गोठानी के बाबा सोमनाथ मंदिर की जमीन पर अतिक्रमण, पुजारी उदय राजगिरी का अनशन जारी, ग्रामीणों में आक्रोश
कतिपय भू माफियाओं द्वारा मंदिर की भूमि जबरन कब्जा को लेकर अनिश्चित कालीन अनशन पर बैठे पुजारी उदय राज गिरी
ओबरा तहसील के गोठानी का मामला, स्थानीय लोगों में आक्रोश
अजित सिंह ( ब्यूरो रिपोर्ट)
सोनभद्र/ उत्तर प्रदेश-
जनपद के गोठानी में स्थित प्राचीन और ऐतिहासिक बाबा सोमनाथ मंदिर की बेशकीमती जमीनों पर कथित अवैध कब्जे का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। मंदिर के वर्तमान पुजारी, उदय राजगिरी, अतिक्रमण के विरोध में पिछले दो दिनों से अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठे हैं, जिससे स्थानीय ग्रामीणों में गहरा आक्रोश व्याप्त है।
पुजारी उदय राजगिरी ने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए बताया कि गांव के ही कुछ गिरी समुदाय के व्यक्तियों द्वारा मंदिर की बहुमूल्य भूमि पर अवैध रूप से कब्जा किया जा रहा है। उन्होंने चिंता जताई कि यदि यह अतिक्रमण इसी प्रकार जारी रहा तो भविष्य में मंदिर के पास अपनी कोई भूमि शेष नहीं बचेगी, जिससे मंदिर के दैनिक कार्यों और व्यवस्थाओं का सुचारू संचालन बुरी तरह प्रभावित होगा।
पुजारी ने इस ऐतिहासिक मंदिर का उल्लेख करते हुए बताया कि यह मुगल शासन काल से स्थापित है और इसका एक गौरवशाली इतिहास है, जिसकी रक्षा करना सभी का कर्तव्य है। अपनी मांगों को लेकर अडिग पुजारी उदय राजगिरी ने बताया कि उन्होंने इस गंभीर मसले पर जिलाधिकारी और ओबरा के उप जिलाधिकारी को लिखित शिकायत भी दी है। हालांकि, शिकायत दर्ज कराने के बावजूद प्रशासन की ओर से अभी तक कोई ठोस कार्रवाई या सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली है।
प्रशासन की इस उदासीनता के कारण ही उन्हें मंदिर परिसर में अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठने के लिए मजबूर होना पड़ा है। अनशन पर बैठे पुजारी उदय राजगिरी को 48 घंटे से अधिक का समय बीत चुका है, लेकिन स्थानीय निवासियों के अनुसार, अभी तक शासन-प्रशासन का कोई भी जिम्मेदार अधिकारी उनकी सुध लेने या उनकी शिकायतों का निवारण करने के लिए घटनास्थल पर नहीं पहुंचा है।
पुजारी का स्पष्ट कहना है कि जब तक कोई सक्षम प्रशासनिक अधिकारी स्वयं मौके पर आकर मंदिर की जमीनों का गहन निरीक्षण नहीं करता और अतिक्रमण करने वाले व्यक्तियों के विरुद्ध कठोर कानूनी कार्रवाई का ठोस और स्पष्ट आश्वासन नहीं देता, तब तक वह अपना अनशन किसी भी कीमत पर समाप्त नहीं करेंगे।
उदय राजगिरी ने उन चार व्यक्तियों के नाम भी सार्वजनिक किए हैं, जिन पर उन्होंने सीधे तौर पर मंदिर की भूमि पर अतिक्रमण करने का आरोप लगाया है।ये नाम हैं। देवीदयाल गिरी, राम वचन गिरी, राधेश्याम गिरी और त्रिशूल गिरी। पुजारी ने इन व्यक्तियों पर मंदिर की पवित्र भूमि पर जबरन कब्जा करने और जब उन्होंने इसका विरोध किया तो उन्हें धमकाने का भी गंभीर आरोप लगाया है।
इस घटना ने स्थानीय श्रद्धालुओं और संत समाज में गहरा रोष उत्पन्न कर दिया है। लोगों का मानना है कि सदियों पुराने मंदिर की भूमि पर अतिक्रमण करना न केवल धार्मिक भावनाओं का घोर अनादर है, बल्कि यह कानून का भी सरासर उल्लंघन है।
उन्होंने प्रशासन से इस मामले में तत्काल और प्रभावी हस्तक्षेप करने की पुरजोर मांग की है, ताकि मंदिर की अमूल्य भूमि को अतिक्रमणकारियों के चंगुल से मुक्त कराया जा सके और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोका जा सके।
पुजारी उदय राजगिरी का शांतिपूर्ण अनशन पूरे क्षेत्र में चर्चा का केंद्र बना हुआ है, और अब सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि प्रशासन इस संवेदनशील और महत्वपूर्ण मामले पर कब संज्ञान लेता है और मंदिर की अमूल्य भूमि को अतिक्रमणकारियों के चंगुल से मुक्त कराने के लिए क्या ठोस और निर्णायक कदम उठाता है।
यह देखना अत्यंत महत्वपूर्ण होगा कि क्या प्रशासन पुजारी की जायज मांगों को स्वीकार करते हुए मंदिर की भूमि को सुरक्षित कर पाता है या पुजारी का अनशन आगे भी जारी रहता है, जिससे स्थिति और भी गंभीर हो सकती है।
इस बीच, क्षेत्रीय पत्रकार द्वारा ओबरा के उप जिलाधिकारी विवेक कुमार सिंह से फोन पर बातचीत की गई। उन्होंने बताया कि मामले की जांच के लिए एक टीम गठित कर दी गई है और वह मंगलवार को मौके पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लेंगे।
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