सोनभद्र: मध्य प्रदेश जाने वाली अंतरराज्यीय सड़क 15 दिन में ही उखड़ी, पीडब्ल्यूडी की खुली पोल
पीडब्ल्यूडी की 'जीरो टॉलरेंस' नीति पर उठे सवाल, ग्रामीणों ने की जिम्मेदारों पर कार्रवाई की मांग
चोपन क्षेत्र अन्तर्गत भ्रष्टाचार का मामला, पीडब्ल्यूडी की खुली पोल
अजीत सिंह ( ब्यूरो रिपोर्ट)
सोनभद्र/ उत्तर प्रदेश-
लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के प्रांतीय खंड में व्याप्त भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप एक बार फिर सामने आए हैं, जिसने विभाग की कार्यप्रणाली पर गहरा प्रश्नचिह्न लगा दिया है। ताजा मामला चोपन से भरहरी होते हुए मध्य प्रदेश की ओर जाने वाले महत्वपूर्ण मार्ग का है, जिसका निर्माण कार्य हाल ही में संपन्न हुआ था।
चौंकाने वाली बात यह है कि निर्माण के महज 15 दिनों के भीतर ही यह अंतरराज्यीय सड़क कई स्थानों से बुरी तरह उखड़ने लगी है, जिससे सड़क निर्माण की गुणवत्ता और पीडब्ल्यूडी की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। स्थानीय निवासियों ने सड़क निर्माण की गुणवत्ता पर कड़ी आपत्ति जताई है और स्पष्ट रूप से आरोप लगाया है कि निर्माण कार्य निर्धारित मानकों के अनुरूप नहीं किया गया है। उनका कहना है कि घटिया और निम्न स्तर की सामग्री का इस्तेमाल किया गया है, जिसके चलते नई सड़क इतनी जल्दी अपनी गुणवत्ता खो बैठी है।
मरम्मत के बावजूद बदहाल सड़कें स्थानीय लोगों का कहना है कि सड़क के कई हिस्सों की मरम्मत भी की गई, लेकिन इसके बावजूद वे जगह-जगह से उखड़ गए हैं। उनकी बार-बार की शिकायतों के बावजूद, सुधार का काम महज एक दिखावा बनकर रह गया है। ग्रामीणों का आरोप है कि सड़क की मरम्मत में भी घटिया गिट्टी और मोबिल के खराब मिश्रण का उपयोग किया जा रहा है, जिसके कारण सड़क कुछ ही समय बाद फिर से अपनी पुरानी खस्ताहालत में लौट आती है। अधिकारियों की अनुपस्थिति और अनियमितताएं
ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया है कि सड़क निर्माण के दौरान संबंधित जूनियर इंजीनियर (जेई) और अन्य जिम्मेदार अधिकारियों की लगातार गैरमौजूदगी रही। इसी वजह से कार्यदायी संस्थाओं को घटिया सामग्री का खुलकर उपयोग करने का अवसर मिला। जनता का कहना है कि अधिकारी निर्माण स्थल पर नियमित रूप से निरीक्षण के लिए नहीं आते हैं, जिसके परिणामस्वरूप निर्माण कार्य में भारी अनियमितताएं व्याप्त हैं।
योगी सरकार की 'जीरो टॉलरेंस' नीति पर सवालिया निशान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भ्रष्टाचार के खिलाफ घोषित 'जीरो टॉलरेंस' की नीति के बावजूद पीडब्ल्यूडी विभाग में इस तरह का गंभीर भ्रष्टाचार सामने आना सरकार की भ्रष्टाचार मुक्त शासन की मंशा पर सवाल खड़े करता है।
स्थानीय लोगों में इस घटना को लेकर गहरा आक्रोश है और वे पुरजोर मांग कर रहे हैं कि इस पूरे निर्माण कार्य की तत्काल उच्च स्तरीय जांच कराई जाए और जो भी अधिकारी और ठेकेदार इस घोर लापरवाही के लिए जिम्मेदार पाए जाएं, उनके खिलाफ कठोर और अनुकरणीय कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में इस प्रकार की आपराधिक लापरवाही और भ्रष्टाचार पर प्रभावी अंकुश लगाया जा सके। इस घटना ने पीडब्ल्यूडी विभाग की कार्यशैली की पोल खोलकर रख दी है और यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि जमीनी स्तर पर भ्रष्टाचार किस कदर हावी है।
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