कुम्भ में डुबकी लगाती सरकार और जनता के मुद्दे

कुम्भ में डुबकी लगाती सरकार और जनता के मुद्दे

शायद मै ही पापी हूँ जो 144  साल बाद आये महत्वपूर्ण नक्षत्रों और तिथियों वाले महाकुम्भ में डुबकी लगाने नहीं जा रहा,अन्यथा उत्तर प्रदेश की सरकार और देश के तमाम ज्वलंत मुद्दे महाकुम्भ में डुबकी लगाकर तरते दिखाई दे रहे हैं,और तो और अमेरिका में रिश्वत देने के आरोपी भी इस महाकुम्भ में डुबकी के लिए पहुँच चुके हैं। लेकिन मुझे महाकुम्भ में डुबकी  न लगाने का कोई अफ़सोस नहीं है ,क्योंकि मैंने अभी तक जान-बूझकर कोई पाप नहीं किया और अनजाने पापों के लिए मुझे कोई आत्मग्लानि नहीं है।

आपको हैरानी  होगी कि इस महाकुम्भ की वजह से दिल्ली का विधानसभा चुनाव नीरस हो गया,और तो और अमेरिका के महाबली राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के शपथ ग्रहण समारोह के सीधे प्रसारण को उतनी टीआरपी नहीं मिली जितनी महाकुम्भ में मालाएं बेचने वाली कथित मोनालिसा के विवाह को मिल चुकी है।  ये महाकुम्भ का ही प्रभाव है शायद कि  जीतनराम माझी के एनडीए छोड़ने की खबरों को कोई तवज्जो नहीं दे रहा। किसी को इस बात में कोई दिलचस्पी नहीं है कि  दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का रामचरित को लेकर ज्ञान कितना सतही है ? केजरीवाल कहते हैं कि  सीताहरण के लिए रावण ने स्वर्णमृग का रूप धरा था।

महाकुम्भ में पुण्य लाभ की लालसा गरीब से गरीब और अमीर से अमीर आदमी में ही नहीं बल्कि सरकारों में भी है ।  खबर है कि  उत्तर प्रदेश सरकार की कैबिनेट बैठक कुम्भ में ही हो रही है ।  बैठक के बाद उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने सभी मंत्रियों के साथ महाकुम्भ में डुबकी लगाकर पाप विमोचित होने की कोशिश करेंगे।  मै इस टोटके को कोशिश इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि  उत्तर प्रदेश सरकार के पापों की संख्या कम नहीं है।  उत्तर प्रदेश की सरकार ने बुलडोजरों  और फर्जी मुठभेड़ों के जरिये कितने पाप किये हैं ,ये गिनाने की जरूरत नहीं है।  हमारे मध्यप्रदेश की सरकार भी उज्जयनी में जब सिंहस्थ   होता है तब ऐसा ही टोटका करती है।  ऐसा करने में  सरकार के बाप का क्या जाता है ? पानी में तो जाती है जनता की गाढ़ी कमाई से मिला पैसा।

महाकुम्भ में पुलिस पिछले दिनों हुए अग्निकांड के पीछे साजिश की तलाश कर रही है तो अमेरिका की पुलिस के लिए वांछित भारत के नंबर दो के धनकुबेर माननीय गौतम अडानी साहब हाथ में कड़छी लिए महाकुम्भ में प्रकट हो चुके हैं। वे महाप्रसाद बनाने में सहयोग कर रहे हैं । महापाप के बाद महाप्रसाद बनाना कितना कौतूहल पैदा करता है ? अडानी साहब सपरिवार महाकुम्भ में गए हैं। उन्हें वहां मीलों पैदल थोड़े ही चलना पड़ा है ।  वे उसी इस्कॉन के शिविर  में हैं जिसके खारघर मुंबई में बने मंदिर का लोकार्पण हाल ही में माननीय प्रधानमंत्री जी ने किया है।अडानी का इस्कॉन से जितना गहरा  रिश्ता है उतना ही उत्तर प्रदेश की सरकार से भी है। अगले महीने उनके बेटे की शादी है इसलिए वे महाकुम्भ में इस्कॉन के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।

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महाकुम्भ में भारत के ए -1  मुकेश अम्बानी भी आते लेकिन उन्हें अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प साहब ने अपने शपथ ग्रहण समारोह में बुला लिया। मुकेश भाई महाकुम्भ  से जायदा महत्वपूर्ण महाशपथ को मानते थे ,इसलिए वे पहले अमेरिका गए ,मुमकिन है कि  बाद में प्रयागराज भी जाएँ,क्योंकि पाप विमोचित होने की इच्छा तो उनकी भी होगी ही। हो सकता है कि  वे मोच्छ की कामना लेकर कुम्भ में जाएँ भी या न भी जाए। क्योंकि यदि वे सगुणोपासक हुए तो मोच्छ लेकर क्या करेंगे,उन्हें तो हरि भक्ति की लालसा होगी। 

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ये तो गनीमत है कि  इस महाकुम्भ में भक्तों को उस तरह मुफ्त में भर-भरकर देश भर से प्रयागराज नहीं ले जाया जा रहा ,,जैसे कि  अयोध्या में रामलला के दर्शन कराने के लिए ले जाया गया था। तब डबल इंजिन की सरकारों ने अपने खजाने खोल दिए थे ।  भाजपा और संघ के कार्यकर्ता इस काम के लिए खासतौर पर तैनात किये गए थे। सरकार को पता है कि  महाकुम्भ में तो जनता अपने -आप पहुँच जाती है। अयोध्या में घेरकर ले जाना पड़ती है। और मुफ्त में दर्शन करने के बाद अयोध्या में जीत मिली थी समाजवादी पार्टी को।

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बहरहाल कुम्भ में अभी केंद्र सरकार का और पापी कांग्रेस के नेताओं का डुबकी लगना बाक़ी है। महाकुम्भ में डुबकी लगाए बिना न भाजपा के पाप धुलने वाले हैं और न कांग्रेस के। बाकी राजनीतिक दलों के बारे में ,मै कुछ कहना नहीं चाहता। अभी महाकुम्भ में तीन सप्ताह और बाकी हैं। जिसके मन में ग्लानि हो,पाप विमोचन का सपना हो ,वो प्रयागराज जा सकता है।  जो नहीं जा पा रहा वो अपने स्नानागार में ही गंगाजल मिले जल से स्नान कर पाप विमोचित हो सकता है ,[ ऐसा जगद्गुरु स्वामी अविमुक्तेश्वरानद ने कहा है ] मैंने तय  किया है कि  मै सपत्नीक प्रयागराज महाकुम्भ के बाद जाऊंगा तब तक गंगा मैया भी साफ़-सुथरी हो चुकी होंगीं।

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