मर्यादित जीवन जीने हेतु प्रभु राम ने किया लीला : राघव ऋषिजी
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गोलाबाज़ार गोरखपुर । परमपिता परमात्मा अखिल ब्रह्मांड नियंता मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीरामजी की अपार कृपा से श्रीरामचरित मानस की शोभायात्रा व मंगलकलश यात्रा क्षेत्र के गायत्री मंदिर से प्रारंभ होकर विविध स्थानों से होते हुए बड़े धूमधाम से बैंड बाजों में मधुर भक्ति धुन से अपार जन समूह में सम्मिलित माताएं, बहनें, गणमान्य भक्तजन उत्साह के साथ चले तो वहीं दूसरी ओर पूज्य गुरुदेव श्री राघव ऋषि जी सुंदर सुशोभित बग्घी में शोभायमान हो रहे थे। विविध स्थानों पर भक्तों द्वारा पूज्य गुरुदेव का पुष्पवर्षा कर माल्यार्पण श्रीफल भेंट कर स्वागत एवं आशीर्वाद प्राप्त किया।
शोभायात्रा चलते हुए कथास्थल गोला तहसील के ब्लॉक उरुवा अंतर्गत ग्राम कुशलदेईया में स्थित पी. एच. इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल में पहुंची। कथा के मुख्य यजमान मनोज कुमार उमर वैश्य सपत्नीक पोथी जी का पूजन कर आरती सम्पन्न किये। श्रीराम कथा का रसपान कराने काशी से पधारे अंतर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त वक्ता श्रीविद्या सिद्ध संत ज्योतिष सम्राट पूज्य राघव ऋषिजी व्यासपीठ पर विराजमान हुए शब्दों के द्वारा स्वागत सम्मान के पश्चात मुख्य यजमान सपत्नीक श्री रामदरबार प्रतिमा का गन्ध, अक्षत पुष्प माला से पूजन कर पूज्यश्री का माल्यार्पण कर आशीर्वाद लिया।
अवधपुरी यह चरित प्रकाशा। कथा का शुभारंभ करते हुए पूज्यश्री ने गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा विरचित रामकथा का दिव्य रहस्य उद्घाटित करते हुए कहा कि प्रभु श्री राम के सम्पूर्ण चरित्र का वर्णन उनकी ही प्रेरणा से कहने और सुनने का अवसर मिल पाता है । रामकथा का पुण्य लाभ मिला। रामकथा चंद्रमा के किरणों के समान है जिसका चकोर रूपी पक्षी पान करते हैं। जिस प्रकार से चातक पक्षी स्वाती नक्षत्र की वर्षा के जल से अपनी प्यास बुझाता है उसी तरह संत जन इसका श्रवण पान करा मन के महामोह को नष्ट करते हैं। संपूर्ण शास्त्रों, ग्रंथों का सार यह रामकथा है। इसी क्रम में ऋषिजी के एकमात्र सुपुत्र सौरभ ऋषि ने महाराज गजानन का भावपूर्ण सुमिरन "गौरी के नंदन की" हम पूजा करते हैं मोहक भजन सुना भक्तों को भाव विभोर किया भक्त श्रद्धालु झूमने के लिए विवश हुए।
जीव जब तक परमात्मा पर आश्रित है तभी तक उसे सुख सम्भव हो पाता है किन्तु स्वयं पर भरोसा रख वह अपना ही विनाश कर बैठता है ऐसी स्थिति जीवन में न हो इसीलिए राम नाम का आश्रय लेकर संसार में रहे। जीव की जब दिशा बदलती है तभी दशा बिगड़ती है जिस प्रकार से सती जी की हुई। जीवन को सफल बनाने का साधन भगवान के नाम का आश्रय ही है जो भवसागर से पार उतरने का आधार है। कथा आरती में अपार जनसमूह व मुख्य यजमान मनोज कुमार उमर वैश्य सपत्नीक व भक्त श्रद्धालुओं ने भव्य आरती कर पुण्यलाभ प्राप्त किया।
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