आखिर कब तक खेला जाता रहेगा जांच के नाम पर आंख मिचौली का खेल
हाल ए विद्युत विभाग ईसानगर घटना के समय मीडिया को दिए गए वर्जन में एसडीओ ने क्यों बोला झूठ, एस्टीमेट पास है अहम सवाल
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आखिर किन कारणो से एसडीओ निघासन ने कहा था एस्टीमेट बना है बजट स्वीकृत है वह प्रस्ताव पास है जबकि जमीनी हकीकत के धरातल पर यह कुछ भी नहीं है
लॉग बुक पर लाइनमैन अशोक साहू के हस्ताक्षर होने के बाद इन पर कार्यवाही क्यों नहीं अहम सवाल
शिकायतकर्ता ने एसडीओ व जेई की मिली भगत से 11000 लाइन का स्थान परिवर्तन बगैर किसी विधिक प्रक्रिया अपनाए किए जाने के ग्रामीणों ने लगाए आरोप
लखीमपुर खीरी थाना क्षेत्र ईसानगर के अंतर्गत 11000 विद्युत लाइन का स्थान परिवर्तन कर दिए जाने का मामला शांत होने का नाम ही नहीं ले रहा है। जिम्मेदारों द्वारा झूठ दर झूठ बोला जाता रहा की लाइन हटाने के लिए प्रस्ताव और एस्टीमेट बना है। तथा बजट भी स्वीकृत है। किसी ने सही ही कहा है कि एकझूठ को छिपाने के लिए चाहे हजार झूठ बोले जाए लेकिन वह झूठ ही रहता है। झूठ छिप नहीं सकता ।ऐसा ही कुछ एक मामला यहां देखने को मिला है उक्त प्रकरण की जब धरातलीय हकीकत जानने का प्रयास स्वतंत्र प्रभात समाचार पत्र की टीम द्वारा किया गया तो ऐसा कुछ भी नहीं हुआ जैसा कि सक्षम अधिकारियों द्वारा बताया जा रहा था।
उपरोक्त स्थान परिवर्तित की गई 11000 लाइन में ना तो प्रस्ताव ही हुआ और ना ही स्टीमेट पास कराया गया और जब एस्टीमेट पास नहीं हुआ तो बजट कैसे स्वीकृत होगा? सब गोलमाल ही है उक्त लाइन परिवर्तितकराने वाले व्यापारी से बतौर सुविधा शुल्क₹200000 लेकर बगैर किसी विधिक प्रक्रिया अपनाए आनंन फानन में 11000 लाइन का स्थान परिवर्तन कर दिए जाने का मामला चर्चा का विषय बना है। सूत्र बताते हैं इतनी जल्दबाजी में इस 11000 विद्युत लाइन का स्थान परिवर्तन किया गया और एयरटेल टावर को दी गई प्राइवेट लाइन में इस लाइन को जोड़ दिया गया। जबकि हटाई गई इस लाइन से लगभग 60 से 70 गांव को विद्युत की आपूर्ति की जाती थी।
ऐसा ग्रामीणों का कहना है। 11000 विद्युत लाइन स्थान परिवर्तन के मामले में जब भवन स्वामी मौर्य से जानकारी चाहिए गई तो उसके द्वारा आन कैमरा बताया गया कि इस 11000विद्दुत लाइन के स्थान परिवर्तन कराने के लिए उसने ₹200000 दिए हैं। जिसमें से ₹100000 नगद जेई सुधीर कुमार गुप्ता को दिया है ।यह आरोप मेरा नहीं बल्कि भवन स्वामी मौर्य का है। जिसके भवन के ऊपर से 11000 विद्युत लाइन को हटाने का खेल खेला गया। विद्युत विभाग के उच्च अधिकारियों द्वारा संविदा कर्मी पर लगाए गए आरोप कहां तक सत्य है? यदि हम उक्त मामले पर मंथन करें तो क्या दूसरे फीडर पर कार्यरत लाइनमैन दूसरे लाइनमैन की सहमत के बगैर उसके क्षेत्र की लाइन कैसे बदल देगा।
यदि मान भी ले बदला देगा। तो वहां पर तैनात लाइनमैन को इसका पता तो चलेगा ही यदि पता चला तो रोका क्यों नहीं।और अपने उच्चाधिकारीको इसकी जानकारी क्यों नहीं दी गई इतना ही नहीं क्या एक आदमी 11000 की लाइन बदल सकता है बगैर जिम्मेदार सक्षम अधिकारी के संरक्षण के लाइन बदली नहीं जा सकती। लाग बुक में शटडाउन लेना अशोक साहू के नाम दर्ज कागजात है। तो अशोक साहू को क्लीन चिट क्यों दी गई ?यह भी एक सवाल उठता है मीडिया में मामला जाते देख आनंन फानन में संविदा कर्मी को बलि का बकरा बनाकर अपने चहेते लोगों को बचा लिया गया।
जबकि उक्त मामले में विद्युत जेई, एसडीओ समेत लाइन बदलने में लगे सभी कर्मी दोषी हैं। और सभी के विरुद्ध नियम अनुसार कार्यवाही भी होनी चाहिए थी। लेकिन ऊपर तक पहुंचे चढ़ावे के चलते अपने चाहते लोगों को अभय दान देते हुए एक संविदा कर्मी को बलि का बकरा बनाकर मामले को रफा दफा कर दिया गया ।और मामले की जांच की जा रही है कहकर मामले को लंबा किए जाने का सोचा समझा प्रयास किया जा रहा है। ऐसा शिकायत कर्ता और कई ग्रामीणों का आरोप है।
उपरोक्त प्रकरण पर शिकायतकर्ता समाज सेवी विशाल पांडे द्वारा मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत कर मामले की निष्पक्ष जांच कराए जाने तथा मामले के समस्त दोषियों के विरुद्ध कार्यवाही किए जाने की मांग की गई है ।जिसका आज तक निस्तारण नहीं किया गया है ।जो विद्युत विभाग के जिम्मेदारों की लापरवाही को प्रदर्शित करने को काफी है। इस संबंध पर जब नामित जांच अधिकारी अमित कुमार जी से जानकारी की गई तो उन्होंने बताया शीघ्र ही जांच पूरी हो जाएगी जांच में दोषी लोगों के विरुद्ध कार्यवाही की जाएगी
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