भारतीय हॉकी खिलाडी अमित रोहिदास पेनल्टी कार्नर स्पेशलिस्ट और दुनिया के सर्वश्रेष्ठ फर्स्ट रशर कैसे बने 

भारतीय हॉकी खिलाडी अमित रोहिदास पेनल्टी कार्नर स्पेशलिस्ट और दुनिया के सर्वश्रेष्ठ फर्स्ट रशर कैसे बने 

भारतीय हॉकी स्टार अमित रोहिदास का जन्म एक ऐसे परिवार में हुआ था जहां सीमित साधन ही उपलब्ध थे। उनके पास सिर्फ एक ही विकल्प था, वो ये कि परिवार की किस्मत को बदलने के लिए जोखिम जरुर उठाए। उन्होंने हॉकी इंडिया के अध्यक्ष और पूर्व ओलंपियन, दिलीप टिर्की, जो कि ओडिशा के सुंदरगढ़, रोहिदास के ही गांव हैं, से प्रेरित होकर हॉकी को आगे बढ़ाने का फैसला किया था।

हॉकी में उन्होंने सबसे मुश्किल काम को चुना था, जो कि पहला धावक बनने के साथ एक पेनल्टी कॉर्नर विशेषज्ञ बनना था। एक ऐसा खेल जिसमें पेनल्टी कॉर्नर सबसे लोकप्रिय स्टेल में शामिल है, यहां पहले दौड़ने वाले का काम सीधे ड्रैग-फ्लिकर पर दौड़ना और शॉट मारना होता है। खासतौर से जब गेंद 100 किमी प्रति घंटे की भी अधिक गति से आती है तो डर की आंखों में देखना उसका काम है, न कि घबराना और स्ट्रोक को रोकना, भले ही इसके लिए शरीर पर दर्दनाक प्रहार का सामना करना पड़े।

भारतीय हॉकी स्टार रोहिदास का परिचय 

अमित रोहिदास का जन्म 10 मई 1993 को ओडिशा के सुंदरगढ़ ज़िले के सौनामारा गांव में एक किसान परिवार में हुआ था। हालांकि, सुंदरगढ़ ज़िले को भारत में हॉकी के प्रतिभाशाली खिलाड़ियों का गढ़ माना जाता है। दिलीप तिर्की जैसे कई दिग्गजों ने इसी ज़िले में जन्म लिया और वे आज भारत की अहम सफलताओं में अपने योगदानों के लिए याद किए जाते हैं। 

भारतीय हॉकी टीम में अस्थायी खिलाड़ी से लेकर टीम का उप-कप्तान बनने तक अमित रोहिदास ने एक लंबा सफ़र तय किया है। उन्होंने हाल के वर्षों के अपने शानदार प्रदर्शनों की बदौलत बेहद शांत तरीक़े से अपनी रैंकिंग में भी काफ़ी सुधार किया है। अमित रोहिदास ने साल 2013 में भारत की सीनियर टीम में अपना पदार्पण किया था और बेहद कम समय में ही वे भारतीय डिफ़ेंस के रीढ़ की हड्डी बन गए।


इस भारतीय हॉकी खिलाड़ी ने 160 से अधिक अंतरराष्ट्रीय मुक़ाबलों में देश का प्रतिनिधित्व किया है। टीम में बतौर स्पेशलिस्ट डिफेंडर के तौर पर खेलने के बावजूद उन्होंने अब तक 25 से अधिक गोल दागे हैं। रोहिदास FIH हॉकी विश्व कप 2023 में भारतीय उप-कप्तान थे और उन्होंने उसी वर्ष बाद में हांगझोऊ में एशियन गेम्स में टीम को स्वर्ण पदक जीतने में भी मदद की।

टीम के लिए उनकी सबसे बड़ी उपयोगिता फर्स्ट रशर के रूप में उनका अटूट प्रदर्शन है जिसने उन्हें दुनिया में काम में सर्वश्रेष्ठ बना दिया है। उन्होंने कहा कि अगर मैं पिच से बाहर हूं, तो मनप्रीत (सिंह) को पहला रशर नामित किया गया है, लेकिन अगर मैं पिच पर हूं, तो मैं पहला रशर हूं। यह टीम और कोच द्वारा तय किया गया है। टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक मैच में भारत द्वारा जर्मनी को हराने के पीछे रोहिदास की बहादुरी प्रमुख ताकतों में से एक थी।

फर्स्ट रशर बनने का सिक्रेट
अमित रोहिदास ने अपने करियर की शुरुआत गोलकीपर के रूप में की थी। इसके बाद उन्होंने अपनी क़िस्मत एक पूर्णकालिक फ़ॉरवर्ड के रूप में आज़माई। लेकिन, अंततः अपने कोच बिजय लाकड़ा की सलाह पर उन्होंने डिफ़ेंडर बनने का फ़ैसला किया।

रोहिदास का ये फ़ैसला उनके लिए रंग लाया। मैदान पर उनके निडर रवैये ने उन्हें ओडिशा की राज्य हॉकी टीम में नियमित स्टार्टर बना दिया। ओडिशा के लिए लगातार शानदार प्रदर्शन की बदौलत रोहिदास को साल 2009 में राष्ट्रीय स्तर पर पहली बड़ी सफलता मिली। उन्हें म्यांमार में आयोजित साल 2009 के जूनियर एशिया कप के लिए भारतीय टीम में शामिल किया गया, जहां रोहिदास को उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए प्लेयर ऑफ़ द टूर्नामेंट के ख़िताब से नवाज़ा गया।

चार साल बाद, अमित रोहिदास को भारतीय अंडर -21 टीम का उप-कप्तान बनाया गया और मलेशिया में हुए सुल्तान अज़लान शाह कप के माध्यम से उन्होंने भारत के लिए सीनियर स्तर पर अपने करियर की शुरुआत की।

ओलंपिक में डेब्यू पर हासिल पदक 

रोहिदास ने टोक्यो 2020 ओलंपिक के लिए भारत के क्वालीफ़ाइंग अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। टोक्यो 2020 में भारत के ऐतिहासिक अभियान में कई शानदार खिलाड़ी थे, लेकिन अमित रोहिदास की पेनल्टी-कॉर्नर विशेषज्ञों को नाकाम करने की क्षमता ने उन्हें बाक़ी खिलाड़ियों से अलग किया और उन्होंने ख़ूब सुर्ख़ियां बटोरीं। अमित रोहिदास ने 41 साल बाद भारतीय हॉकी टीम के ओलंपिक पदक (कांस्य पदक) हासिल करने के सफ़र में अहम भूमिका निभाई।

भारत ने टोक्यो 2020 में अपने पांच में से चार ग्रुप मैच जीते और क्वार्टर-फ़ाइनल में ग्रेट ब्रिटेन को 3-1 से हराया। सेमी-फ़ाइनल में भारतीय टीम का सामना प्रतियोगिता की स्वर्ण पदक विजेता बेल्जियम से हुआ। सेमी-फ़ाइनल मुक़ाबले में एक समय भारत 2-1 से आगे था, लेकिन इसके बावजूद उन्हें बेल्जियम के ख़िलाफ़ 5-2 से हार झेलनी पड़ी। हालांकि, भारत ने कांस्य पदक मुक़ाबले में शानदार प्रदर्शन करते हुए चार बार के ओलंपिक चैंपियन जर्मनी को धूल चटाई। इस मैच में अमित रोहिदास ने भी अपना बेहतरीन खेल दिखाया

मैच में 3-1 से पिछड़ने के बाद भारतीय खिलाड़ियों ने शानदार वापसी की और तीसरे क्वार्टर में जर्मनी के ख़िलाफ़ 5-3 की बढ़त हासिल कर ली। भारत की वापसी से परेशान जर्मनी ने इसके बाद पूरी तरह से आक्रामक रवैया अपनाया। जर्मनी को कई पेनल्टी कॉर्नर के मौक़े मिले लेकिन इसके बावजूद, भारतीय बैकलाइन और अमित रोहिदास के शानदार प्रदर्शन की बदौलत जर्मनी को हार का सामना करना पड़ा।

जर्मनी को कई पेनल्टी कॉर्नर के मौक़े मिले लेकिन इसके बावजूद, भारतीय बैकलाइन और अमित रोहिदास के शानदार प्रदर्शन की बदौलत जर्मनी को हार का सामना करना पड़ा।

रियो 2016 के रजत पदक विजेता जर्मनी ने चौथे क्वार्टर में वापसी की और मैच के दौरान 13 पेनल्टी कॉर्नर हासिल किए। हालांकि, भारत की ओर से किए गए कुछ शानदार बचाव के कारण इस रोमांचक मैच में भारतीय टीम को कांस्य पदक अपने नाम करने में क़ामयाबी मिली।

अमित रोहिदास को टोक्यो 2020 ओलंपिक में उनके उत्कृष्ट प्रयासों के लिए साल 2021 में अर्जुन पुरस्कार से नवाज़ा गया। आपको बता दें कि अर्जुन पुरस्कार खिलाड़ियों के लिए भारत का दूसरा सबसे बड़ा सम्मान है।

मार्च 2022 में, अमित रोहिदास ने FIH प्रो लीग में पहली बार भारत की कप्तानी की। कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में मनप्रीत सिंह की कप्तानी में अमित रोहिदास ने बर्मिंघम में भारत को रजत पदक दिलाने में अहम भूमिका निभाई।

रोहिदास एफआईएच हॉकी विश्व कप 2023 में भारतीय टीम के उप-कप्तान थे। उन्होंने स्पेन के खिलाफ शुरुआती मैच में प्रतियोगिता में भारत का पहला गोल किया और मेजबान टीम को 2-0 से जीत दर्ज करने में मदद की। भारतीय हॉकी टीम ग्रुप चरण में अजेय रही लेकिन इंग्लैंड की तुलना में कम गोल अंतर के कारण अंक तालिका में दूसरे स्थान पर रही। पेनल्टी शूट-आउट में न्यूजीलैंड से हारने के बाद भारत अंततः क्रॉस-ओवर में क्वार्टरफाइनल में जगह बनाने से चूक गया।

अमित रोहिदास ने उस वर्ष के अंत में चेन्नई में एशियाई चैंपियंस ट्रॉफी के दौरान भारत के लिए 150 अंतरराष्ट्रीय मैच खेलने की उपलब्धि हासिल की। भारत ने स्वर्ण पदक जीता और ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने के लिए हांगझोऊ में 2023 एशियन गेम्स में अपना स्वर्णिम प्रदर्शन जारी रखा।

अमित रोहिदास ने एशियन गेम्स में भारत के लिए छह गोल किए, जिसमें रिपब्लिक ऑफ कोरिया के खिलाफ सेमीफाइनल में महत्वपूर्ण गोल भी शामिल था, जिससे भारत को 5-3 से जीत मिली। जापान के खिलाफ फाइनल में भारत की 5-1 की जीत में रोहिदास ने एक बार फिर से शानदार प्रदर्शन करते हुए गोल किए।

amit-rohidas

अमित रोहिदास की उपलब्धियां
टोक्यो 2020 ओलंपिक - कांस्य पदक
एशियन गेम्स 2023 - स्वर्ण पदक
एशियन गेम्स 2018 - कांस्य पदक
एशियन चैंपियंस ट्रॉफी 2023 - स्वर्ण पदक
एशियन चैंपियंस ट्रॉफी 2016 - स्वर्ण पदक
एशियन चैंपियंस ट्रॉफी 2018 - स्वर्ण पदक
एशियन चैंपियंस ट्रॉफी 2012 - रजत पदक
एशियन चैंपियंस ट्रॉफी 2021 - कांस्य पदक
कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 - रजत पदक
चैंपियंस ट्रॉफी 2018 - रजत पदक
हॉकी वर्ल्ड लीग 2016-17 - कांस्य पदक
एशिया कप 2017 - स्वर्ण पदक
एशिया कप 2013 - रजत पदक
जूनियर एशिया कप 2012 - कांस्य पदक

 

 

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