अब तक कांग्रेस का हाथ छोडने वाले 450 के पार

अब तक कांग्रेस का हाथ छोडने वाले 450 के पार

स्वतंत्र प्रभात। एसडी सेठी।

कांग्रेस से हाथ छुडाने वाले छोटे से लेकर बडे नेताओ की संख्या 450 के पार पहुंच चुकी है। इसके बावजूद कांग्रेस के  धीर-धारको का मादा इतना तगडा है कि वह यह कहते नहीं थकते कि जिसको जाना है ,वह जा सकता है। उन्हें कांग्रेस पार्टी में मची भगदड का अब तक इल्म ही नहीं हुआ है, कि आखिर कांग्रेस का हाथ छुडाने वालों को ऐसी नौबत ही क्यों आ रही है।   

 उल्लेखनीय है कि पिछले आठ सालों में 400 से ज्यादा नेताओ ने कांग्रेस का हाथ झटका है। यहां यह भी बता दें कि प्रियांका गांधी वाड्रा की एंट्री से4 साल में सिर्फ 10 बडे नेताओ द्वारा पार्टी को छोडा चुका हैं।जबकि बाद के वर्षो में 23 बडे नेताओं द्वारा कांग्रेस का हाथ झटक चुके हैं। एसोसिएशन फार डेमोक्रेटिक रिफार्म् (एडीआर) ने सितंबर 2021 में नेताओ के दल-बदल पर एक रिपोर्ट जारी की थी।इस रिपोर्ट में बताया गया कि वर्ष 2014 लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस के ही सबसे ज्यादा नेताओ ने पार्टी छोडी है।

साल 2014 से सितंबर 2021 तक कांग्रेस के 222 ऐसे नेताओ ने पार्टी को अलविदा कहा,जो चुनावी उम्मीदवार थे।इस दौरान कांग्रेस पार्टी के तो 177 सांसद  और विधायकों ने भी इस्तीफा दे दिया। एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक इन सात वर्षो में कांग्रेस के 399 नेताओ ने पार्टी छोडी।इस रिपोर्ट के बाद भी 16 बडे नेता अपने समर्थकों संग कांग्रेस का हाथ झटक चुके है।मतलब साफ है कि आठ वर्षों में ये संख्या तकरीबन 450 के पार पहुंच चुकी है।

कांग्रेस का हाथ छोडने वाले बडे नेताओ की फेहरिस्त  में हिमंत बिस्वा सरमा, ज्योतिरादित्य सिंधिया,नारायण राणे,कैप्टन अमरेंद्र सिंह,चौधरी विरेन्द्र सिंह,कुलदीप विश्नोई, सुनील झाखड, आरपीएन सिंह,कपिल सिब्बल, जतिन प्रसाद, मिलिंद देवडा, एकनाथ शिंदे,गुलाम नवी आजाद,संजय निरुपम, जिंदल,हार्दिक पटेल,अश्विनी कुमार,अल्पेश ठाकुर, बाॅक्सर विजेंद्र सिंह, शत्रुघ्न सिंहा,जैसे बडे नाम शामिल है। इसके अलावा जयंती नटराजन,जीके वासन,पैसा खांडू, हेमवती नंदन  बहुगुणा परिवार के लोग, रीटा बहुगुणा, समेत और भी बडी संख्या में कांग्रेस को अलविदा कर चुके हैं। 

 हाथ को बाॅय-बाॅय कहने वाले सैंकडों नेताओ का मानना है कि 400 पार के आंकडे पर पहुंचाने के लिए बहुत  बडा हाथ राहुल गांधी को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। राहुल गांधी के व्यवहार पर करीब -करीब सभी ने प्रश्नचिन्ह लगाते हुए उन पर सीधा निशाना साधा है। बता दें कि राजनीतिक दलों में नेताओ का आना जाना वैसे तो आम बात है। लेकिन राहुल के नेतृत्व में साल-2014 का लोकसभा चुनाव हारने के बाद कांग्रेस में असंतुष्ट नेताओ की संख्या और पार्टी पर से उठते भरोसे का सिलसिला शुरू हुआ, वो अब तक जारी है। जो थमने का नाम नहीं ले रहा है।

सत्ता से दूर होती कांग्रेस से मोहभंग होने लगा है।  कांग्रेस के  कार्यकर्ताओ में लगातार हार झेलने की हद के चलते उन्होंने भी किसी बडे वटवृक्ष की छांव तलाशनी शुरू कर दी है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर मोदी की दी गारंटी पर अबकी बार 400 पार की दहाड के आगे मिमयाते कई पार्टयों के नेताओ को नई उपजाऊ जमीन तलाशने पर मजबूर होना पड सकता है।

 
 

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