मुस्लिमों के संदर्भ में बदली है भाजपा की रणनीति
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स्वतंत्र प्रभात। एसडी सेठी।
भारतीय जनता पार्टी मुसलमानों के संदर्भ में अपनी रणनीति पर परिस्थित के तहत रद्दोबदल करने की छिडी कवायद पर अमल करना चाह रही है। पार्टी के दो धुरंधरों मोदी-शाह युग में 'वोट की गारंटी दो, टिकट' लो की रणनीति से मुसलमानों के प्रति भाजपा के दृष्टिकोण में बडा बदलाव देखने को मिल सकता है। भाजपा में बदले दृष्टिकोण के संकेत साफ है।मुसलमानों में पैठ बनाने के लिए पार्टी दशकों से जी तोड कोशिशों में जुटी हुई है।
बशर्ते इस वर्ग को उन मुश्किल सीटों पर अपनी प्रांसांगिकता साबित करनी होगी,जहां उनके वोट निर्णायक स्थिति में है। भारतीय जनता पार्टी ने प्रभाव वाले राज्यों में मुसलमानों पर दांव लगाने से परहेज बरतने का स्पष्ट संकेत दिया है।उल्लेखनीय है कि भाजपा अब तक 405 सीटों पर उम्मीदवार की घोषणा कर चुकी है। केरल की मल्लपुरम सीट एकमात्र ऐसी सीट है जहां से पार्टी ने मुस्लिम उम्मीदवार अब्दुल सलाम को उतारा है।
बता दें कि कभी पार्टी का मुस्लिम चेहरा रहे शाहनवाज हुसैन ,मुख्तार अब्बास नकवी जैसे नेताओ को उम्मीदवारों की सूची में जगह नहीं मिली है। वह भी तब,जब देश की 65 सीटों पर मुस्लिम मतदाताओ की भागीदारी 30 से 65 फीसदी ,तो करीब 35 सीटों पर प्रभावशाली उपस्थिति है। भाजपा रणनीति में बडा बदलाव आया है।पार्टी अब वोट की कीमत पर ही इस समुदाय को टिकट देना चाहती है। उल्लेखनीय है कि दो साल पहले जब हैदराबाद में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में पीएम नरेंद्र मोदी ने पसमांदा मुसलमानों तक पहुंच बनाने का आह्वान किया,तब एक बारगी लगा कि इस बार पार्टी प्रभाव वाले राज्यों में इस वर्ग को मौका देगी।
आंकडों पर सरसरी नजर डालें तो, 100 सीटों पर मुस्लिमों का व्यापक असर 65 सीटों पर 30 से 65 फीसदी मुस्लिम आबादी 14 सीटें यूपी की तो 13 सीटें पश्चिम बंगाल की ,8 केरल,7 असम,5 जम्मू-कश्मीर, 4 बिहार,,3- मध्य-प्रदेश, दिल्ली,गोवा,हरियाणा,महाराष्ट्र, तेलंगाना,की 2-2 और तमिलनाडू की एक सीट है।
हालांकि भाजपा,अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ ने अपने तंई अब तक कई कार्यक्रम आयोजित किए हैं।अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ ने इस आह्वान के बाद इस वर्ग में पहुंच के लिए बिहार,उत्तर प्रदेश, में भाईचारा,सूफी सम्मेलन सहित कई कार्यक्रमों का आयोजन किया था। इस दौरान करीब '18 लाख मोदी मित्र 'बनाए गए। तब उम्मीदवारी में मुसलमानों को मौका मिलने की धारणा को मजबूती मिली थी। बता दें की भाजपा की स्थापना के बाद 1980 में भी मुस्लिमों में पैठ बनाने की कोशिश की।इस वर्ग के नेताओ को बार-बार राज्यसभा और सत्ता मिलने पर सरकार में मौका दिया गया।
बावजूद इसके पार्टी इस वर्ग में अपनी पैठ मजबूत करने में नाकाम रही। 2014 में भाजपा के सत्तासीन होने के बाद भाजपा ने मंत्रिमंडल में दो मुस्लिम नेताओ एमजे अकबर,नजमा हेपतुल्ला को जगह दी।हालांकि पार्टी के 7 मुस्लिम उम्मीदवार चुनाव जीतने में असफल रहे थे। 1977 और 1989 में आरिफ बेग चुनाव जीते। उन्हें कई बार मंत्री भी बनाया।
वहीं मुख्तार अब्बास नकवी बस एक बार ही चुनाव जीते,सैयद शाहनवाज हुसैन इकलौता मुस्लिम चेहरा है,जिन्होने 3 बार लोकसभा चुनाव में जीत हांसिल की है। इसी कडी में सिकंदर बख्त ने भाजपा मंत्रिमंडल से लेकर संगठन में भी उच्च पद संभाला बहरहाल भाजपा ने मोदी युग में रणनीति से लेकर और कई उल्लेखनीय कार्य किए हैं।जिसका असर पड़ शुरू हो चुका है।
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