शहरी पीएम आवास में भ्रष्टाचार और फर्जीबाडा की कमिश्नर से शिकायत कर जांच कराए जाने कीमांग

भ्रष्टाचार और अवैध वसूली में  लिप्त तत्कालीन डीसी स्नो फाउंटेन ,व सी एल टी सी विकास श्रीवास्तव सहित सर्वेयर, आशीष त्रिवेदी, और डी सी अरिनेम विनय श्रीवास्तव सहित अन्य पर क्यों नहीं की जा रही कार्यवाही।

शहरी पीएम आवास में भ्रष्टाचार और फर्जीबाडा की कमिश्नर से शिकायत कर जांच कराए जाने कीमांग

स्वतंत्र प्रभात 
लखीमपुर खीरी प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना में भ्रष्टाचार किस कदर हावी है इसका खुलासा उस समय प्रकाश में आया जब एक शिकायत कर्ता विशाल पांडे ने लखीमपुर में आयोजित जनता दर्शन शपथपत्र के साथ कमिश्नर रोशन जैकब से शिकायत करने का प्रयास किया। शिकायतकर्ता कमिश्नर को प्रार्थना पत्र देता इससे पहले उसका प्रार्थना पत्र अपर जिलाधिकारी खीरी द्वारा लपक लिया  गया और उसको कमिश्नर तक पहुंचने ही नहीं दिया गया।
 
अपने शिकायती प्रार्थना पत्र में विशाल पांडे ने आवास के नाम पर रिश्वत राशि लेकर अपात्रों और पहले से पक्का मकान बना हुआ है उनको आवास का लाभ देकर भ्रष्टाचार किए जाने के आरोप लगाए हैं। इतना ही नहीं शिकायत कर्ता ने सर्वेयर आशीष त्रिवेदी सहित स्नो फाउंटेन के डीसी रहे अभिषेक मिश्रा और तत्कालीन सी एल टी सी विकास श्रीवास्तव व अरिनेम डीसी विनय श्रीवास्तव पर मिलीभगत करके प्रति आवास 20हजार से 30हजार रूपए वसूल कर आउट आफ यू एल बी सैकड़ो आवास देकर करोड़ों रुपए का दुरुपयोग किया गया है। साथ ही साथ सरकारी सेवा में लगे लोगों व पति पत्नी दोनो को आवास दिए जाने के गंभीर आरोप लगाए हैं।
 
नगर पंचायत खीरी में एक आवास ऐसा भी है जिसे गांव में पीएम आवास योजना का लाभ मिला और खीरी टाउन नगर पंचायत में शहरी पीएम आवास से नवाजा गया। लखीमपुर शहर में ही पूर्व में हो चुके भ्रष्टाचार व वर्तमान में किया जा रहे भ्रष्टाचार को देखकर आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है ।जहां पहले से बने दो कमरा लैट्रिन बाथरूम किचन धारक व्यक्ति को नियम विपरीत आवास देकर भ्रष्टाचार को अंजाम दिया गया है। सूत्रों की जुवानी सत्य माने तो सर्वेयर आशीष त्रिवेदी पर एक डीपीआर में लाखों रुपए की वसूली यानी रिश्वतखोरी के आरोप लगाए गए हैं। इन सर्वेयर द्वारा दो पीएम आवास स्वयं व अपने परिजनों को दिए जाने की चर्चा आम है।
 
जबकि उनके परिजन गांव में रहते हैं। और इनका मकान लखीमपुर में पहले से गढी रोड पर बना बताया जाता है।भ्रष्टाचार में संलिप्तता के चलते इनको पूर्व में सेवा से निकाला भी गया था लेकिन फिर इनको क्यों ज्वाइन कराया गया।यह अहम सवाल बना हुआ है। इनके द्वारा पुनः काम पर लगते ही लखीमपुर में आवास के लिए आवेदन करने के साथ-साथ भीरा नगर पंचायत में भी आवास के लिए आवेदन करने के आरोप लगाए जा रहे हैं। मामला उस समय और तूल पकड़ गया जब शिकायतकर्ता ने कहा यह सारा भ्रष्टाचार पी ओ के सरंक्षण में हो रहा है।पी ओ डूडा को पूरे भ्रष्टाचार कीजानकारी है और इनकी भी हिस्सेदारी है इसीलिए दर्जनों शिकायतों के बाद भी साहब जांच नहीं करवा रहे हैं।
 
मामले की जांच कमेटी बनाकर उक्त मामले की कराई जाए निष्पक्ष जांच तो होगा करोड़ो रुपए के फजीबाडे व घोटाले का पर्दा फांस होगा ।प्रधानमंत्री आवास में इस कदर लूट घासोट का खेल खेला जा रहा है ।जिसका कोई पुरसा हाल ही नहीं है ।जिम्मेदार अपना हिस्सा लेकर आंख कान बंद किए हुए बैठे हैं।प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना में लगे सर्वेयर और अन्य अधिकारी गणों व दलालों के बीच चल रही मिली भगत के चलते अपात्रो को आवास देकर लाखों की कमाई का खेल खेला जा रहा है ।यह आरोप कई आवास लाभार्थियों के हैं ।।
 
पैसा निकल गया तीन साल पहले आवास बने ही नहीं
 
हद तो तब हो गई जब शिकायतकर्ता ने बताया कि दर्जनों प्रधानमंत्री आवास ऐसे हैं जिनका पैसा 3 साल पहले निकल गया पर आवास आज तक नहीं बने। आखिर कैसे हो गए इन आवासों के जियो टैग? और किसके मकान का निर्माण दिखाकर शासन को किया गया गुमराह? कूटरचित दस्तावेज किसने किया तैयार? यह अहम सवाल बने हुए हैं। इतना ही नहीं कई आवास तो ऐसे हैं की पीएम आवास पास कहीं और किया गया और बनवाया ग्राम पंचायत में यू एल बी से बाहर गया ।कई आवासो का पहले से बने दो मजिला मकान का रंग रोगन कराकर पैसा हड़प लिया गया।
 
शहर में लगभग एक सैकड़ा आवास आउट ऑफ यु एल बी विभिन्न ग्राम पंचायत में बनवाकर मनमानी रिश्वतखोरी किए जाने का मामला जन चर्चा का विषय बना है। यदि मात्र लखीमपुर शहर की ही करा ली जाए निष्पक्ष जांच तो कई करोड़ रुपए का भ्रष्टाचार का होगा खुलासा और परियोजना अधिकारी डूडा की जवाबदेही तय होगी कि आखिर अभी तक मामलेकी जांच किन कारणों से नहीं कराई गई।और किन परिस्थितियों में दोषियों के विरुद्ध मुकदमा पंजीकृत नहीं कराया जा रहा है।
 
1फिलहाल मामला जांच का विषय बना हुआ है जांच में और भी बहुत कुछ खूलासे आयेंगे सामने।उक्त शिकायत का संज्ञान लेते हुए अपर जिलाधिकारी प्रशासन ने अधिशासी अधिकारी नगर पालिका लखीमपुर और परियोजना अधिकारी डूडा को संयुक्त रूप से जांच कर कार्यवाही किए जाने के आदेश दिए हैं। वहीं शिकायत कर्ता ने मंडलायुक्त लखनऊ मंडल लखनऊ से मिलकर मामले की शिकायत कर जनपद में दिए गए आवासों का सत्यापन कराये जाने की मांग की है।

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