सरवराकार सेवक है। ना कि मालिक , तो कैसे बिक गई राधाकृष्ण मंदिर की परिसंपत्तियां?
किस आधार पर दर्ज हो गई विरासत और दाखिल खारिज अहम सवाल।
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राम राज में राधाकृष्ण मंदिर खीरी टाउन की परिसंपत्तियों के अस्तित्व पर मंडरा रहे संकट के बादल।
स्वतंत्र प्रभात
लखीमपुर खीरी मामला तहसील लखीमपुर के कस्बा खीरी टाउन अन्तर्गत मोहल्ला पट्टी रामदास का है। जहां पर सैकड़ो वर्ष पुराना राधा कृष्ण मंदिर स्थित है। उक्त मंदिर के नाम सैकड़ो बीघा जमीन व अन्य भूमि राजस्व अभिलेखों में दर्ज कागजात है। उक्त मंदिर के सरवराकार कृष्ण मोहन माथुर थे और राधाकृष्ण मंदिर की परिसंपत्तियों की देखरेख करते आ रहे थे। काफी समय पहले सरवराकार रहे कृष्ण मोहन माथुर की मृत्यु हो गई थी।
सरवराकार कृष्ण मोहन माथुर ने अपनी मृत्यु के पहले एक रजिस्टर्ड वसीयत की थी जिसमें अपने पुत्र महेश चंद्र माथुर को राधा कृष्ण मंदिर का सरवराकार नियुक्त किया था। उपरोक्त राधा कृष्ण मंदिर के सर्वांकर रहते महेश चंद्र माथुर ने अपने परिजनों के साथ मिलकर राधा कृष्ण मंदिर की काफी जमीनों की बिक्री कर दी । ऐसे आरोप उन्हीं के परिवार के सदस्यों में से एक जीतू माथुर द्वारा लगाए गए हैं जीतू माथुर द्वारा शासन प्रशासन को दिए जा रहे शिकायती प्रार्थनापत्रो में राधा कृष्ण केनाम राजस्व अभिलेखों में दर्ज जमीनों का नियम विपरीत किये गये बिक्री नामों को प्रभाव शुन्य करते हुए मंदिर के नाम दर्ज जमीन राधाकृष्ण मंदिर को वापस दिलाए जाने की मांग की है।
उपरोक्त मंदिर की जमीन की देखरेख करने का अधिकार सरवराकार को है ना कि क्षेत्रीय लेखपाल और दबंग लोगों के साथ मिलकर राधाकृष्ण मंदिर के नाम दर्ज कागजात जमीन को बेच दिया जाय। यहां पर भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा को पार करते हुए तहसील प्रशासन के चंद जिम्मेदारों ने अपना जमीर बेच दिया। जिसके चलते मंदिर की जमीन की बिक्री होती रही और जिम्मेदार मौन साधे बैठे सबकुछ देखते रहे। बिक्रीत जमीनो के दाखिल खारिज में रिपोर्ट क्रेता के मुताबिक लगाकर दाखिल खारिज करवाने में सहयोग करने में लगे रहे यह आरोप जीतू माथुर ने तहसील प्रशासन सहित क्षेत्रीय लेखपाल और कानून गो पर लगाए हैं।
मामला यहीं पर नहीं रूकता है। महेश चंद्र माथुर ने अपने परिवार को मिलाकर काफी जमीन और आवासीय प्लाट आफताब खान को बेच दिया गया जिसकी जीतू माथुर ने एक दर्जन छाया प्रति देते हुए बताया कि प्रशासन द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है।और शिकायतो में भ्रामक व फर्जी आख्या लगा कर दबंग लोगों को संरक्षण दिया जा रहा है। लेखपाल साहब ने कार्यवाही करने के बजाय पुलिस बल के साथ में रात को विवादित भूमि पर कब्जा भी करवा दिया जो सरासर नाइंसाफी है।और मंदिर की जमीन पर दबंगों को कब्जा कराकर अपूर्णनीय क्षति पहुंचाए जाने जैसा लग रहा है।
नियमानुसार मंदिर केनाम दर्ज जमीन और मंदिर परिसर की समस्त जमीन मंदिर में बैठी मूर्तियों की है। मंदिर का सरवराकार मंदिर का सेवक है मालिक नहीं हो सकता है। ऐसा ही एक आदेश जिला अधिकारी फतेहपुर ने बिन्दकी तहसील में मंदिरो के सरवराकारो और तहसील प्रशासन के साथ हुई बैठक में दिए हैं उन्होंने कहा कि मंदिर से जुड़ी जमीन और खेती आदि मंदिर और मंदिर में बैठी मूर्तियों की है इसके आय व्यय का हिसाब भी देना होगा ऐसा न करना गैर कानूनी होने की बात कही है।
यदि जनपद खीरी में भी जिला अधिकारी ने मंदिरों की परिसंपत्तियों और सरवराकारी तथा वरासत सहित आय व्यय की कराई गई जांच तो एक बड़े फर्जीवाडे व गड़बड़ झाले का खुलासा होना होगा तय,और की लोगों पर भी आयेगी कार्यवाही की आंच।
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