गौ संचालको की उदासीनता बना हुआ गौ वँशो के मौत का सबब
लावारिस लाश कुत्ते व चील कौवे का बना निवाला
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स्वतंत्र प्रभात
बलरामपुर
जहां गौ संरक्षण पर सरकार द्वारा करोड़ों रुपए खर्च करके उनके व्यवस्थाओं को चुस्त दुरुस्त रखने का लगातार दावे योगी आदित्य नाथ सरकार के द्वारा किया जा रहा है तो वही जमीनी स्तर पर गौ वँशो की हालत काफी दयनीय है। जहां भूख व इलाज के अभाव में लगातार गौवंश दम तोड़ते हुए दिखाई दे रहे हैं। वही देखा जा रहा है कि गौशाला के आहार और पौष्टिक पदार्थ व इलाज में मिलने वाले धन को कागज में भले ही गौवंश के इलाज और भोजन के लिए व्यव दिखाया जाता हो
लेकिन अक्सर गौ आश्रय केंद्र का हालत यह है कि वहां गौ आश्रय संचालक और विभागीय जिम्मेदारों के मिलीभगत का बोल बाला है और सरकारी धन के बंदरबाट का खेल लगातार खेला जा रहा है।जिसकी तस्वीर अक्सर गौ आश्रय केंद्रों की दुर्दशा देखने के लिए पर्याप्त है।तस्वीर बताती है व्यवस्थाएं क्या है और किस प्रकार गौवंश को मरने के लिये छोड़ दिया जाता है।
![IMG-20240217-WA0005](https://www.swatantraprabhat.com/media-webp/2024-02/img-20240217-wa0005.jpg)
जबकि योगी सरकार में गौ आश्रय केंद्र में गौवँशो को संरक्षण को लेकर पर्याप्त मात्रा में धन खर्च किये जा रहे के दावे होते है फिर भी गौ संरक्षण के दावे फेल के लिए पर्याप्त है। जबकि लगातार गौशाला में भ्रष्टाचार का खेल खेलने की बात सामने आ रही है जहां पर गौ संरक्षण व सेवा के नाम पर गौ संचालक और स्थानीय जिम्मेदारों की मिली भगत का खेल लगातार जारी है जिसका दंश कहीं ना कहीं गौशाला में रहने वाले गौ वँशो को झेलना पड़ रहा है और उनकी लगातार मौत हो रही है और उनके शव को चील कौवो और कुत्तों का निवाला बनने के लिये बाहर फेंक दिया जाता है।
ताजा मामला जनपद बलरामपुर के विकासखंड तुलसीपुर के अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत सिकटिहवा में बने गौशाला का है जहां पर भूख और इलाज के अभाव में लगभग आधा दर्जन से अधिक गौवँशो के मरने के बाद लाश गौशाला के बगल में बह रही सीरिया नाल पर पड़ा देखा जा रहा है और उनके लाश को चील कौवे तथा कुत्ते नोच कर अपना निवाला बना रहे हैं जिसकी तस्वीर देखने को मिल रहे हैं।
![IMG-20240217-WA0006](https://www.swatantraprabhat.com/media-webp/2024-02/img-20240217-wa0006.jpg)
ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सरकार गौ आश्रय केंद्रों के द्वारा गौवंश संरक्षण की बात कह रही है वह कितना सच है और कितना सटीक है जिसको लेकर सम्बन्धित अधिकारियों को इसका जवाब देना पड़ेगा कि इतनी व्यवस्था के बाद भी गौवंश की हालत इस प्रकार कैसे है। जबकि इससे पहले भी पचपेड़वा विकास खण्ड के इम्लियाकोडर में ऐसा मामला प्रकाश में आया था
जिसमे आधे दर्जन से अधिक मौत के बाद उनके लाशों को जंगली जानवर और चील कौवो का निवाला बनने के लिये खलिहान में फेंक दिया गया था जिसको लेकर काफी हलचल भी हुई थी। जबकिं योगी सरकार का यह भी कहना है कि गौ आश्रय केंद्रों में भ्रष्टाचार होने पर किसी को भी बक्शा नहीं जाएगा । इस सम्बंध में जब विकास खण्ड अधिकारी तुलसीपुर से बात की जाती है तो उनका कहना कि पंचायत सेक्रेटरी से बात कर के पता करता हूं जो एक बड़ा जांच का विषय है।
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