वह रे ए आर टी ओ उन्नाव पैसे दो कुछ भी बनवाओ, बच्चो के जीवन से खिलवाड़

जिम्मेदारो द्वारा समय समय पर जाँच न करने से ये स्कूल मनमानी कर रहे है। महानगरों से ज्यादा लिया जा रहा सुविधा शुल्क

वह रे ए आर टी ओ उन्नाव पैसे दो कुछ भी बनवाओ, बच्चो के जीवन से खिलवाड़

स्वतंत्र प्रभात ब्यूरो उन्नाव।

उन्नाव जिले में एक तरफ सड़क सुरक्षा माह चलाकर जागरूकता अभियान की सीख देने की बड़ी बातें की जाती है दूसरी तरफ ये सारी कार्यवाही बस आम लोगो के चालान तक हीं सिमट जाती है। वैसे तो नियमो का पालन न करने वालो पर कार्यवाही भी की जा रही है सड़क सुरक्षा को लेकर प्रति वर्ष तरह-तरह की जागरूकता कार्यक्रम चलाये जाते हैं

इसके बावजूद बात अगर आंकड़ों की करें तो हादसों में कमी देखने को नहीं मिलती है। उन्नाव में विभागीय मिली भगत से चलने वाले कुछ विशेष मोटर ड्राइविंग स्कूलों के ही बने प्रमाण पत्र को मान्यता दी जाती है उन्नाव के एआरटीओ कार्यालय में पांच मोटर ड्राइविंग स्कूल चल रहे है ऐसा इसलिए होता है

क्योंकि इन चिन्हित स्कूलों द्वारा मनमानी फीस आवेदक से ली जाती है उसके बाद सुविधा शुल्क प्राप्त होने के बाद आवेदक को बिना भार वाहन के टेस्टिंग के ही भार वाहन का डीएल थमा दिया जाता है इन चालकों को हैवी ड्राइविंग के संबंधित प्राथमिक मानक तक नही पता होते हैं इन्हें सड़को पर निकलने की छूट मिल जाती है।

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विचारणीय बात यह है कि यूपी के परिवहन मंत्री जो कि जिले के प्रभारी मंत्री हैं उनके ही जिले में अगर उनके ही विभाग द्वारा इस तरह की अंधेर की जाए तो इसे कहीं ना कहीं बेख़ौफ़ कार्यशैली ही कहेंगे। जिन्हें किसी बात का डर नहीं। बात अगर चर्चाओं की करें कानपुर लखनऊ जैसे महानगरों में प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए

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फीस कि दर की करें तो प्रति व्यक्ति 1700 से लेकर 2000 रु हैं। जानकारों की माने तो उन्नाव जैसी छोटी सिटी में ड्राइवरी स्कूल से मिलने वाला सर्टिफिकेट के 6000 रु लिए जा रहे है आवेदकों को यह तक नहीं मालूम है की ट्रेनिंग स्कूल कहां पर हैं। ऐसे में इसे कही न कही अंधेर हीं कहेंगे।

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बताते चलें कि स्वतंत्र प्रभात टीम ने मौके पर जाकर ज़ब इसकी पड़ताल की तो सुरते हाल कुछ और दिखा। स्कूलो में खड़े जर्जर ट्रक जो कि सालों से जगह से हिले तक नही और ट्रेनिंग देने वालों का कोई अता पता नहीं हैं। हा ये बात और है सब सुविधा शुल्क लेकर महीने में 24, 24 सर्टिफिकेट दे रहे हैं।

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