
नेबुआ नौरंगिया : मूर्तियों को अंतिम रूप देने में जुटे कारीगर
नेबुआ नौरंगिया, कुशीनगर। क्षेत्र के नौरंगिया में स्थित सोलर पावर हाउस के पास ज्वालामुखी मूर्ति कला केन्द्र के मुख्य कारीगर महेन्द्र प्रजापति ने बताया कि इस साल बंगाली, अजंता और नटराज तीनों शैली की मूर्तियों की ज्यादा मांग हैं। मूर्तियों के बनावट और सजावट के अनुसार उसकी कीमत निर्धारित किया गया है। मूर्तियों को बनाने वाले ज्यादातर कारीगर पश्चिम बंगाल के रहने वाले हैं। करीब दो दर्जन मूर्तियों को बनाने में करीब तीन महीने से ज्यादा वक्त लग जाता हैं। इस साल आर्डर अधिक होने के कारण अप्रैल माह से ही कारीगर अपना काम शुरू कर दिए हैं। त्यौहार के 15 दिन पहले मूर्तियों की रंगाई का काम किया जाता है। आखिर में इनकी सजावट की जाती है। इस मूर्तियो को बनाने के लिए चिकनी मिटटी, पुआल, बांस और नारियल-मूज की रस्सी, सुतली और कील आदि की जरूरत पड़ती है। रंग से मूर्तियों की रंगाई करने पर चमक ज्यादा आती है। वह तीन प्रकार की मूर्तियां बनाते हैं। पहली मूर्ति बंगाली मॉडल की होती है। इसमें सभी मूर्तियां एक ही ढांचे में बनाई जाती है। दूसरी मूर्ति अजंता मॉडल की होती है, जो अलग-अलग होती है। इसके अलावा तीसरे मॉडल में नटराज मूर्तियां होती हैं।
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