गिल्ली उड़ा रहा सरकारी आदेशों की खिल्ली
- प्रशासन और सरकार के लिए सिरदर्द बना मरौली खण्ड छः का अवैध खनन
- गिल्ली के रसूख के आगे बौना साबित हो रहा खनिज विभाग
बांदा।
बुंदेलखंड को बिकास और आर्थिक रूप से मजबूत कर केन्द्र सरकार व प्रदेश सरकार के मुखिया मोदी और योगी निरंतर नयी सौगातें दे रहे हैं। लेकिन उसके विपरीत इस एक्सप्रेस वे को जोडने वाले सभी सडकें प्रतिदिन 2500-3000 मोरम व गिट्टी लदे ओवरलोड ट्रकों के आवागमन से करोड़ों की लागत से बनी सडकों मे बडे बडे गढ्ढे और दूर दूर तक खाली धूल का गुबार ही दिखाई देता है। जिसके कारण इन रास्तों से होकर गुजरने वाले खनन ब्यापार से अलग अन्य ब्यापारियों और आम राहगीरों को जान जोखिम में डालकर यात्रा मजबूरी में करना पड़ता हैं l
मिनटों का सफर घंटों में तय करना पड़ता हैं जिसके लिए मुख्य रूप से खननमफियाओ व ओवरलोड ट्रकों के बांदा में होने वाले अवैध मोरम के कारोबार से जुड़े कारोबारी है जो प्रशासन और सरकार के लिए सिरदर्द बन गए हैं। मटौध थाना क्षेत्र के अन्तर्गत संचालित होने वाली मरौली खण्ड छः की खदान में खदान संचालक और गिल्ली द्वारा नियमों को ताक पर रखकर धड़ल्ले से ओवरलोडिंग व प्रतिबंधित मशीनों का प्रयोग कर नदी की जलधारा में करने से भी गुरेज नहीं कर रहे हैं। लाठी और बंदूक की नोकों पर जहां ग्रामीणों को जमकर धमकाया जाता है वहीं सैकड़ों की तादाद में आए ट्रकों के झुंड से धूल का गुबार उड़ता है इससे फसलों पर तो प्रतिकूल प्रभाव पड़ ही रहा है साथ ही साथ ग्रामीण दमा रोग के शिकार भी हो रहे हैं।
मरौली खण्ड छः के पट्टा धारक एनजीटी के नियमों और प्रशासनिक सख्तियों को ठेंगा दिखाते हुए दबंगई के दम पर दिन-रात बिना किसी नियमावली के मोरम के कारोबार को बदस्तूर जारी किए हैं। जिसमें मरौली के खंण्ड 6 के संचालक और पट्टा धारक प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी बिकास के रथ के लिए अवरोधक बनकर करोड़ों की लागत से बनी सडकों को खस्ताहाल कर के फरमान का भी भय नहीं रखते। जिला प्रशासन की लाख कोशिशों के बाद भी मानक से विपरीत ट्रकों में खदान से ही ओवरलोडिंग का खेला खेल रहे हैं।
ओवरलोडिंग और बिना रवन्ने के खदान से मोरम की बिक्री की पूरी जिम्मेदारी पट्टा धारक की होगी। ऐसा खनिज नियमावली में है। इसकी रोकथाम के लिए खनन नियमों में संसोधन करके सभी खनन पट्टा क्षेत्रों में हाईफ्रीक्वेंसी पीजेड सीसीटीवी कैमरे लोडिंग प्वाइंट, प्रवेश और निकासी के साथ ओवरलोडिंग को रोकने के लिए सभी भार माप कांटे का प्रयोग करना अनिवार्य किया गया, लेकिन उसके विपरीत इन सभी खनन पट्टा क्षेत्रों में सीसी कैमरे और भार मापन कांटा केवल दिखावे के लिए ही लगे हैं।
इनके सामने से दिन के उजाले में भी ओवरलोड ट्रक भरकर गुजारे जाते है। इतना ही नहीं तमाम लोग टीबी दमा से बीमार होकर हजारों रुपये अपने इलाज में फूंक चुके हैं।शाम होते ही जलधारा में खनन को उतर जाती हैं मशीनें शासन ने भले ही लिफ्टर मशीनों और पोकलैंड का प्रयोग खनन में प्रतिबंधित कर दिया हो लेकिन जनपद की सभी खदानों में इनका प्रयोग धड़ल्ले से किया जा रहा है। सूत्रों से ख़बर यह भी है कि शाम होते ही सारी मशीनें जलधारा में उतर जाती हैं फिर सारी रात पानी के भीतर से मोरम निकाली जाती है।
इससे जहां एक ओर जलीय जीव जन्तुओं पर खतरा मंडरा रहा है वहीं नदियों की कोख भी खाली हो रही है। ग्रामीणों का कहना है कि सारी रात मशीनों के जरिए पानी से बालू निकाली जाती है। ग्रामीणों ने बताया कि रात भर आधा दर्जन बड़ी-बड़ी मशीनें बीच धारा में बालू निकालकर बड़े गड्ढे कर रही है जिससे नदी की जलधारा पर भारी प्रभाव पड़ रहा है। भारी गड्ढे होने से पानी की धारा तो रुक ही रही है साथ ही बड़े-बड़े जीव जन्तुओं पर भी खतरा मंडरा रहा है। एवँ जिले के रास्तो का बुरा हाल है सभी रास्ते खस्ताहाल स्थिति मे है।
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