इन्फ्लूएंजा H3N2 :- "डरे नहीं, करे बचाव"

इन्फ्लूएंजा H3N2 :-

 
 
इस समय भारत के कुछ हिस्सों में कोरोना के बाद इन्फ्लूएंजा वायरस H3N2 देश में तेजी से फैल रहा है इस वायरस की वजह से दो लोगों की जान ले ली हैं  ऐसे में सतर्कता बरतना बहुत जरूरी है स्वास्थ्य के लिए। इन्फ्लूएंजा वायरस के टाइप A के सबटाइप H3N2 के मामलों पर भी नजर रखी जा रही है। इस सबके बीच सुरक्षा ही बचाव है। इसके लक्षणों और फैलने के कारणों को जानकर एहतियात बरतना जरूरी है।
 
H3N2  इंफ्लूएंजा अत्याधिक संक्रामक वायरस है जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में मुंह या छींकने, खांसने और यहां तक कि बोलने पर जो थूक निकलता हैं, वह आसपास मौजूद लोगों को संक्रमित कर सकता हैं।यदि ये संक्रमण कहीं किसी समान पर फैला हो तो छूने के बाद आप भी संक्रमित हो सकते हैं अपने मुंह या नाक को उसी हाथ से छू लेने से भी आप संक्रमित हो सकते हैं। प्रेग्नेंट महिलायें, बच्चे, उम्रदराज लोग और जो लोग पहले से गंभीर बीमारियों से पीड़ित हैं, उनमें इस वायरस से संक्रमित होने का जोखिम और बढ़ जाता है।
 
अगर किसी व्यक्ति को सांस लेने में दिक्कत, सीने में दर्द या तकलीफ, लगातार बुखार आना या खाना खाने में गले में दर्द होता है, तो जरूर है कि डॉक्टर को दिखाया जाए, ताकि सही इलाज हो सके। देश में इस वक्त इस फ्लू के 90 से ज्यादा मामले हैं। H3N2 इन्फ्यूएंजा की वजह से पहले भी देश में संक्रमण फैल चुका है। लोगों में फ्लू जैसे लक्षण मौसम में बदलाव के कारण भी है। ऐसे में यह समझना जरूरी है कि H3N2 वायरस के लक्षण क्या है। आइए जानें एच3एन2 इंफ्लूएंजा के बारे में। यह वायरस जो सांसो में संक्रमण पैदा करता है। यह वायरस पक्षियों और जानवरों को भी संक्रमित कर सकता है। पक्षियों सूअर और दूसरे जानवरों में इसके कई स्ट्रेन्स पैदा हो चुके हैं। प्रदेश में H3N2 इन्फ्लूएंजा के मरीज रोज मिल रहे हैं, यह सामान्य फ्लू की तरह है।
 
यही वजह है कि इसे मौसमी इन्फ्लूएंजा भी कहा जाता है, लेकिन इस बार इसके मरीजों की संख्या बढ़ने की आशंका है। इसे देखते हुए अस्पतालों में दवाएं एवं बेड की व्यवस्था सुनिश्चित की जा रही है। मंत्रालय से जारी निर्देश के तहत प्रदेश में भी स्वास्थ्य महानिदेशालय ने सभी मुख्य चिकित्साधिकारियों एवं अधीक्षकों को दवाओं के पर्याप्त इंतजाम, सांस रोग के इलाज से जुड़े उपकरण, (आईसीयू) की व्यवस्था दुरुस्त रखने के निर्देश जारी कर दिए हैं। इन्फ्लूएंजा वायरस से किसी तरह घबराने की जरूरत नहीं है। सभी लोग मास्क लगाएं ताकि कोविड और इन्फ्लूएंजा से बचा जा सके। मौसमी इन्फ्लूएंजा को लेकर किसी तरह की घबराने की जरूरत है ये साधारण सर्दी जुखाम की तरह खत्म हो जाती है। इसमें गले में संक्रमण होता है, कई लोगों को बिना दवा के ठीक हो जाता है। इस बार मरीजों की संख्या अधिक है। ऐसे में वृद्धजनों एवं बच्चों को लेकर सावधानी रखी जा रही है।
 
ठंड लगना,खांसना,बुखार, जी मिचलाना, उल्टी करना, गले में दर्द / गले में खराश, मांसपेशियोंऔर शरीर में दर्द, दस्त, छींक आना और नाक बहना जैसे लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर के पास जाए ताकि सही समय पर इलाज करके ईन सब पर काबू पाया जा सके। आराम करना, बहुत सारा लिक्विड पीना और बुखार कम करने के लिए एसिटामिनोफेन या इबुप्रोफेन जैसे ओवर-द-काउंटर दर्द निवारक का उपयोग करके H3N2 इन्फ्लूएंजा पर काबू पाया जा सकता है। भीड़ वाली जगहों से बचें और फेस मास्क का प्रयोग करें। अपने हाथों को बार-बार साबुन और पानी से धोएं अपने मुंह या नाक को न छुएं। छींकने और खांसने पर अपने मुंह और नाक को पर्याप्त रूप से ढक लें। बुखार और शरीर में दर्द होने पर पेरासिटामोल का प्रयोग करें
 
खूब सारे तरल पदार्थ पीकर हाइड्रेटेड रहें। सार्वजनिक स्थानों पर थूकना, हाथ मिलाना 
सेल्फ ट्रीटमेंट, डॉक्टर से संपर्क करने के बाद ही रोगी को एंटीबायोटिक्स या किसी अन्य दवा का उपयोग करना चाहिए। अन्य लोगों के बगल में बैठकर भोजन करने से बचे और बाहरी भोजन अंडा मांस इत्यादि से परहेज करे। 
अब जब आप संकेतों, लक्षणों और रोकथाम के सुझावों को बेहतर ढंग से समझ जाते हैं , तो सुरक्षात्मक उपाय करें और स्वास्थ्यवर्धक भोजन खाकर और इम्यूनिटी को बढ़ाकर अपने शरीर की अच्छी देखभाल कर सकते हैं।
 
पूजा गुप्ता
मिर्जापुर (उत्तर प्रदेश)

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