स्वतंत्र प्रभात
मीरजापुर। जनपद की करीब 80-90 किमी की सीमा से होकर गंगा नदी गुजरती है। जनपद के नदिनी, जोपा,नौगांव आदि स्थानों पर थोड़ी-थोड़ी दूर पर जेसीबी और पोकलैंड मशीन लगाकर बालू का अवैध खनन किया जा रहा है। यह पूरा अवैध कारोबार जनपद के कई विभाग की शह पर किया जा रहा है।
गंगा में खनन पर प्रतिबंध के बावजूद माफिया इसे दिन-रात छलनी कर रहे हैं। मीरजापुर जिले की करीब 80-90 किमी की सीमा से होकर गंगा नदी गुजरती है। इस क्षेत्र में थोड़ी-थोड़ी दूर पर जेसीबी और पोकलैंड मशीन लगाकर खनन किया जा रहा है। यह पूरा अवैध कारोबार यहां के कई विभाग की सह पर जारी है। न कोई रोकटोक न कोई सवाल-जवाब। खनन माफिया बेखौफ होकर धंधे में लगे हैं। पत्रकार की पड़ताल में पूरे खेल का राजफाश हो गया।
इन चौकी और थानों से होकर गुजरते है ओवरलोड ट्रैक्टर
जिले में विंध्याचल थाना अंतर्गत गैपुरा चौकी, नदिनी चौकी,अष्टभुजा चौकी,विंध्याचल थाना, कटरा कोतवाली अंतर्गत नटवा चौकी,शास्त्री सेतु चौकी से होकर ये ट्रैक्टर पास किया जाता है। ट्रैक्टर दिन-रात रेत ढोने में जुटे रहते हैं। अधिकतर खनन रात के अंधेरे में होता है, लेकिन कुछ ऐसे क्षेत्र हैं, जहां दिन में भी जारी रहता है। ऐसे कई ठिकानों पर पत्रकारों की एक टीम पहुंची, जहां का पूरा अवैध धंधा कैमरे में कैद हुआ।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश को दोहराते हुए राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण ने देश की किसी नदी में लाइसेंस या पर्यावरण मंजूरी के बिना रेत के खनन पर रोक लगा दी है। सवाल है कि नदियों को बचाने के लिए जनहित याचिकाओं और उस पर दिए गए अदालती फैसले से शुरू हुआ अभियान क्या खनन माफिया के फावड़े रोक पायेगा? न्यायाधिकरण अपने आदेश को लागू करने के लिए उन्हीं अफसरों पर निर्भर है जिनमें कुछ तो भ्रष्ट हैं और जो मुरैना के आइपीएस अफसर नरेन्द्र कुमार की तरह तनकर खड़े होते हैं, उन्हे कुचलकर मार दिया जाता है या दुर्गाशक्ति नागपाल की तरह निलंबित कर दिया जाता है। भवन निर्माण के बढ़ते कारोबार और उसके लिए मची रेत की लूट के इस माहौल में क्या हम नदियों को बचा पाएंगें?
इस तरह करते हैं खेल
बाढ़ के समय तराई के इलाकों के खेतों में बड़े पैमाने पर बालू जमा हो जाती है। इसके लिए नियम है कि किसान को तीन महीने का लाइसेंस दिया जाएगा। इसके आधार पर किसान खेत से बालू निकलवा सकता है। इसमें माफिया खेल करते हैं।
एक जानकार ने बताया कि माफिया किसानों से बातचीत कर उनको लाइसेंस दिलवाते हैं। इसके बाद मनचाही जगह से बालू ले जाते हैं। कोई सवाल करता है तो लाइसेंस का हवाला देते हैं। इसी तरह पूरा खेल चल रहा है।
जेसीबी से बराबर किए बालू के टीले
कई टन बालू का लगा ढेर बारिश में होगा करोड़ों का खेल
विंध्याचल थाना क्षेत्र के करीब आधा दर्जन इलाकों में सबसे अधिक अवैध खनन किया जा रहा है। खनन माफिया ने कई टन बालू जमा करना शुरू कर दिया है। यह पूरी तरह से गैर-कानूनी है। जब बारिश का मौसम आएगा तब वह इसे और ऊंचे दामों पर बेचेंगे। विंध्याचल थाना अंतर्गत काली खो मोड़ और भी आधा दर्जन स्थानों पर माफिया लोगों ने बालू का अवैध डंपिंग यार्ड बना रखा है।
शासन ने जनपद में गंगा की कटान को रोकने के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर रही है
खनन माफियाओं द्वारा शासन की मंशा और धन पर पानी फेरते
जनपद में जहां राज्य व केंद्र सरकार ने द्वारा करोड़ों रुपए गंगा की कटान को रोकने के लिए खर्च कर रही है तो वहीं खनन माफियाओं द्वारा सारे खर्च और उनके मंशा पर पानी फेरने में थोड़ी भी हिचक नहीं कर रहे हैं। इसमें जिला प्रशासन के कई विभाग भी संलिप्तता दिखाई पड़ रही है।
ओवरलोड ट्रैक्टर की वजह से नई सड़के हुए धाराशाई
भारी संख्या में धन का हो रहा है नुकसान इन ओवर लोड ट्रैक्टर की वजह से
जी हां गैपुरा चौकी से जोपा तक की नई सड़के धाराशाई हो गए।बताया जाता है कि इन ट्रैक्टरों की वजह से धूल मिट्टी भी उड़ता है और पूरा सड़क खराब हो गया है जिसके वजह से स्थानीय और बच्चों को स्कूल जाने तथा अन्य कार्यों के लिए इस सड़क से होकर मजबूरी में जाना पड़ता है।
भविष्य घट सकती है बड़ी घटना
स्थानीय लोगों ने बताया कि साहब ओवरलोड ट्रैक्टर दिन रात इस सड़क से गुजरते है हम लोगों के बच्चों बाहर निकलना भी मुश्किल हो गया है।माफियाओं का हाथ होने की वजह से कोई बोलता नहीं।
आखिर क्यों अफसरों को नहीं दिखता ये अवैध कारोबार
डीएम, एसपी, खनन अधिकारी जैसे तमाम अफसरों की जिले में फौज है। बच्चे-बच्चे को खनन के बारे में जानकारी है। किसी से भी बात करो वह खनन माफिया के नाम से लेकर खनन कहां-कहां हो रहा है, इनकी जानकारी दे देगा। मगर यह सब इन जिम्मेदार अफसरों को नहीं दिखाई दे रहा। या ये कहें कि सांठगांठ की वजह से अवैध कारोबार को नजरअंदाज करते हैं।
गंगा के किनारे खनन
गंगा किनारे जेसीबी लगी हैं। कई-कई बीघे में रेत निकालकर खाई बना दी गई है। वहां आसानी से खनन होता रहता है। पत्रकारों की एक टीम पहुंची तो जेसीबी व डंपर चालक वहां से चले गए।
शास्त्री सेतु पर भारी वाहन अथवा ओवर लोड वाहनों का गुजरना वर्जित है
शास्त्री सेतु की मरम्मत के लिए इन दिनों बड़े और ओवर लोड वाहनों का आवागमन पूरी तरह से वर्जित किया गया है।लेकिन ना जाने किसके सह पर ओवर लोड बालू लादकर ट्रैक्टर को पार किया जाता है। यह तो जांच का विषय है।