अंग्रेजों के विरूद्ध भारत छोड़ो आन्दोलन मे भाग लेने के कारण तमाम यातनाएं झेला महीनों जेल
स्वतंत्रता सेनानी को पेंशन और अन्य सरकारी सुविधायें तो दूर उन्हे जीते जी सरकार द्वारा वह सम्मान न मिल सका जिसके वह हकदार
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स्वतंत्र प्रभात
मसौली बाराबंकी । आजादी की 75 वी वर्षगांठ पर जहां अपना देश अमृत-महोत्सव मना रहा है वहीं अंग्रेजों के विरूद्ध भारत छोड़ो आन्दोलन मे भाग लेने के कारण तमाम यातनाएं झेलने तथा महीनों जेल में
नजरबंद रहने वाले जिले के एक स्वतंत्रता सेनानी को पेंशन और अन्य सरकारी सुविधायें तो दूर उन्हे जीते जी सरकार द्वारा वह सम्मान न मिल सका जिसके वह हकदार थे ।
विवरण के अनुसार सफदर गंज थानान्तर्गत ग्राम रसौली निवासी भगवान दास पुत्र चुन्नीलाल ने देश को स्वतंत्र करवाने हेतु अंग्रेजी सरकार की अनेको यातनाएं सहीं थीं तथा भारत छोड़ो आन्दोलन मे भाग लेने के
कारण उनको अंग्रेजों द्वारा 20 अगस्त से 26 अक्टूबर 1943 मे जिला कारागार बाराबंकी मे नजरबंद रखा गया था । इसका उल्लेख सूचना विभाग उत्तरप्रदेश लखनऊ द्वारा प्रकाशित पुस्तक " स्वतंत्रता संग्राम के सैनिक संक्षिप्त परिचय (21) जिला बाराबंकी के पृष्ठ संख्या 34 पर वर्णित है । उक्त स्वतंत्रता सेनानी की 18 जुलाई 1992 को मृत्यु हो चुकी है ।
जेलयात्रा के बाद उन्होने अपना पूरा जीवन आर्य समाज के मंच से समाज सेवा मे समर्पित कर दिया । उन्होने जिले मे कई स्थानों पर आर्य समाज की स्थापना की तथा वेद प्रचार, छुआछूत उन्मूलन, शुद्धिआन्दोलन,दलितोद्धार आदि विविध कार्य किये तथा श्रीराम जन्म भूमि मुक्ति आन्दोलन मे भी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया था ।
अपने जीवनकाल मे उन्होने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का प्रमाणपत्र तथा पेंशन आदि सरकारी सहायता हेतु निदेशक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी कल्याण परिषद लखनऊ को जेल मे साथ रहे दो स्वतंत्रता सेनानियों ग्राम मानपुर निवासी स्वतंत्रता सेनानी राम आसरे
पेंशन संख्या 1868) व ग्राम हरख निवासी स्वतंत्रता सेनानी कल्लू दास( पेंशन संख्या 1765) के प्रमाणपत्र सहित प्रार्थनापत्र तथा जिलाधिकारी बाराबंकी को भी प्रार्थनापत्र दिये थे लेकिन कोई परिणाम न निकला ।
उनके पुत्र शांति स्वरूप ने प्रदेश के मुख्य मंत्री तथा निदेशक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी कल्याण परिषद लखनऊ व जिलाधिकारी बाराबंकी को प्रार्थनापत्र प्रेषित कर उसे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के आश्रित का दर्जा दिये जाने की मांग की है ।
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